छह बेड वाला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को 30 बेड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपग्रेड की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी. जिले के 16 प्रखंडों में 24 घंटे सेवा देने वाली छह बेड का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था आम लोगों के लिए दी गयी. लेकिन सदर अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा आज तक नहीं मिल सका है. हालांकि, 300 बेड का जिला अस्पताल बनाने के लिए पिछले वर्ष ही सरकार का आदेश आ चुका है. जिला व स्वास्थ्य प्रशासन भूमि उपलब्ध नहीं होने का बहाना बता कर अब 300 बेड के अस्पताल का मामला को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
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300 बेड का कब बनेगा सदर अस्पताल, जमीन पर लिटा होता है इलाज
कटिहार: जिले की आबादी लगातार बढ़ रही है. लेकिन स्वास्थ्य सेवा पुराने र्ढे पर चल रही है. सरकार स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए लगातार आधारभूत संरचना को दुरुस्त करने की दिशा में पहल कर रही है. ऐसा माना जा रहा है कि जब से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (पहल राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन) शुरू […]
कटिहार: जिले की आबादी लगातार बढ़ रही है. लेकिन स्वास्थ्य सेवा पुराने र्ढे पर चल रही है. सरकार स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए लगातार आधारभूत संरचना को दुरुस्त करने की दिशा में पहल कर रही है. ऐसा माना जा रहा है कि जब से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (पहल राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन) शुरू हुई है, तब से लगातार आधारभूत संरचना में सुधार हो रहा है. जिले के मनिहारी व बारसोई रेफरल हॉस्पिटल को अनुमंडलीय अस्पताल में अपग्रेड किया गया.
बेड के अभाव में फर्श पर रहते हैं मरीज . सदर हॉस्पिटल में बेड के अभाव में मरीज को फर्श पर रखा जाता है. फिलहाल सदर अस्पताल में 100 बेड के आसपास उपयोग होता है. जबकि जिले की आबादी 32 लाख की है. हद तो उस वक्त हो जाती है, जब स्वास्थ्य विभाग बंध्याकरण करने के बाद महिलाओं का फर्श पर लिटा देते हैं. यहां स्वास्थ्य विभाग मानवाधिकार का भी ख्याल नहीं करती है. जबकि बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं को फर्श पर लिटाने के बाद इन्फेक्शन होने का खतरा अधिक रहता है.
फल-फूल रहा निजी नर्सिग होम. सरकारी जिला अस्पताल में बेड नहीं रहने की वजह से मरीज निजी नर्सिग होम में उपचार कराने के लिए विवश हैं. सदर अस्पताल में आधारभूत संरचना के अभाव की वजह से ही शहर में निजी नर्सिग होम फल फूल रहा है. आये दिन निजी क्लिनिक व निजी नर्सिग होम खुल रहे हैं. अगर सदर अस्पताल में 300 बेड की व्यवस्था होती, तो मरीजों को काफी फायदा पहुंचता.
रैन बसेरा के लिए निगम को मिल गयी भूमि. स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन 300 बेड का अस्पताल के लिए भूमि नहीं की बात करते हैं. सिविल सजर्न डॉ सुभाष चंद्र पासवान की माने तो 300 बेड के अस्पताल के लिए भूमि का अभाव है. इसलिए यह मामला लंबित है. सदर अस्पताल परिसर में रैन बसेरा के लिए नगर निगम को जमीन दे दी गयी. रैन बसेरा बन कर भी तैयार हो गया. रैन बसेरा अब सफेद हाथी साबित हो रहा है. दूसरी ओर सदर अस्पताल के समीप ही डीपीएम का भव्य भवन बन रहा है. जबकि सदर अस्पताल परिसर में एक निजी व्यक्ति को कंट्रेक्ट पर दवा दुकान चलाने के लिए दिया गया है. इससे जाहिर होता है कि स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन 300 बेड के अस्पताल बनाने के प्रति कितना संजीदा है.
जनप्रतिनिधि उदासीन . इस मामले में स्थानीय जनप्रतिनिधि भी उदासीन है. जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी आये दिन विकास व कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा की जाती है. लेकिन कभी इस बात पर चर्चा नहीं होती कि कटिहार की 32 लाख की आबादी के लिए 300 बेड का अस्पताल क्यों नहीं बन रहा है. 300 बेड के अस्पताल बनाने में जो रोड़ा है, उसे कैसे दूर किया जाय.
विस के चालू सत्र में उठेगा मामला . स्थानीय विधायक तारकिशोर प्रसाद से बात करने पर बताया कि 20 फरवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र के दौरान 300 बेड वाला जिला अस्पताल का मामला उठाया जायेगा. विधानसभा सत्र के दौरान वह तारांकित प्रश्न के दौरान इस मामला को उठायेंगे.
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