पंचम योजना के करीब नौ करोड़ रुपये जिले में एक वर्ष से पड़े हुए हैं
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पौने दो साल गुजर गये, जिला परिषद से एक भी विकास का काम नहीं हुआ
पंचम योजना के करीब नौ करोड़ रुपये जिले में एक वर्ष से पड़े हुए हैं इतनी राशि से 135 से अधिक की योजनाओं पर हो सकता था विकास का काम कटिहार : पंचायत चुनाव हुए करीब पौने दो वर्ष गुजर गये, लेकिन जिला परिषद की ओर से जिले में अब तक एक भी विकास का […]
इतनी राशि से 135 से अधिक की योजनाओं पर हो सकता था विकास का काम
कटिहार : पंचायत चुनाव हुए करीब पौने दो वर्ष गुजर गये, लेकिन जिला परिषद की ओर से जिले में अब तक एक भी विकास का काम नहीं कराया जा सका है. चुनाव में जीत कर आये जिला परिषद सदस्यों से क्षेत्र के लोग पूछ रहे हैं कि आखिर जिला परिषद की निधि से एक भी काम क्यों नहीं हो पाया है. इसका जवाब देने में जिप सदस्यों के पसीने छूट रहे हैं. जिले में 31 जिला परिषद के सदस्य हैं. यदि वर्ष में दो-दो विकास योजनाओं पर ही काम हुआ होता, तो पौने दो वर्षों में करीब 124 योजनाओं का काम पूरा हो गया होता. इतने विकास कार्य होते, तो 124 टोले व गांवों का विकास हो गया होता, पर ऐसा कुछ नहीं हो सका है.
जिप अध्यक्ष भी बनी हैं उदासीन
जानकारी के मुताबिक पंचम योजना के करीब नौ करोड़ रुपये जिले में एक वर्ष पूर्व से पड़े हुए हैं. प्रशासनिक पदाधिकारी व जिप अध्यक्ष की उदासीनता की वजह से इस राशि का अब तक उपयोग नहीं हो सका है. पंचम राशि की योजना से जिप सदस्य ग्रामीण इलाके के गली-मोहल्लों में पीसीसी सड़क, नाली, सार्वजनिक शौचालय आदि पर काम करा सकते थे, लेकिन किसी तरह का काम नहीं कराया गया. इससे एक ओर तो गांव-मोहल्ले का विकास अवरुद्ध हुआ,
तो दूसरी ओर जिप सदस्यों को जिस उद्देश्य से लोगों ने जीता कर भेजा था वह उद्देश्य पर पूरा नहीं हो रहा है. जानकारी के अनुसार जिप सदस्य 7.50 लाख की योजना अपने स्तर से प्रस्तावित कर काम करा सकते हैं. इससे अधिक राशि की योजना होने पर टेंडर की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. यदि विकास के लिए काम होता, तो अब तक जिले में पंचम योजना की नौ करोड़ की राशि से ही 7.50 लाख की 135 योजनाओं पर काम हो सकता था. इस तरह प्रत्येक जिप सदस्य चार विकास योजनाओं का काम आसानी से करा सकते थे.
फोन रिसीव नहीं करती हैं जिला परिषद अध्यक्ष
इस संबंध में जब जिला परिषद अध्यक्ष से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो फोन उनके प्रतिनिध व जेठ राजकुमार राय ने उठाया और कहा कि जिला परिषद अध्यक्ष बात नहीं करेंगी, अगर उनसे बात करना है, तो जब वह कार्यालय में हों, तभी संपर्क करिये.
काम नहीं होने से जिला परिषद सदस्य हैं निराश
अमदाबाद के जिप सदस्य उत्तम ठाकुर, कोढ़ा के जिप सदस्य वकील दास, समेली की जिप सदस्य सरिता देवी का कहना है कि पौने दो साल हमलोगों का कार्यकाल हो चुका है, लेकिन जिला परिषद से एक भी विकास काम नहीं हुआ है. पूरे जिले में विकास का काम जिला परिषद की ओर से ठप है. क्षेत्र में लोगों को आश्वासन देते-देते पौने दो साल का वक्त निकल चुका है. अब लोगों का विश्वास जिप सदस्यों से टूट रहा है. जिस तरह लोगों ने वोट कर हमलोगों को जीता कर भेजा,
जो हमने वादे किये थे उसे अब तक पूरा करने में सफल नहीं हुए हैं. ऐसे में लोगों का गुस्सा होना लाजमी है. जिप सदस्य इसके लिए सिस्टम व सरकार को दोषी ठहराते हैं. उनका कहना है कि सरकार ने हमलोगों को निकम्मा बनाकर छोड़ दिया है. हमलोग जनता के बीच किस मुंह से जाएं. एक भी काम क्षेत्र में विकास का नहीं करा पाये हैं. जिप सदस्यों का कहना है कि पंचम योजना की राशि एक वर्ष पूर्व से आकर जिले में पड़ी हुई है, लेकिन उस राशि से विकास नहीं हो सका है. जिप सदस्यों का कहना है कि सरकार व प्रशासन यदि गंभीर नहीं होता है, तो हमलोग आंदोलन को विवश होंगे.
अभियंता के नहीं रहने से काम ठप
तर्क दिया जा रहा है कि जिला परिषद में अभियंता का पद खाली है. इसके कारण पंचम योजना की राशि से काम नहीं हो सका है. सवाल उठता है कि जिला परिषद में यदि अभियंता का पद खाली है, तो उसे भरने की दिशा में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी. यही नहीं दूसरे विभागों से भी अभियंता की पदस्थापना करायी जा सकती थी. अभियंता के द्वारा ही विकास कार्यों को अमलीजामा पहनाया जाता है. उनके द्वारा ही विकास कार्यों का प्राक्कलन तैयार किया जाता है. अभियंता के नहीं रहने से उक्त कार्य नहीं हो पा रहा है. इसकी वजह से करोड़ों की राशि जिले में आकर बेकार पड़ी हुई है.
बैठक तक नहीं हो पाती, तो िवकास का काम कहां से हो
जिप सदस्य तौकीर आलम ने कहा कि नियमानुसार प्रत्येक तीन महीने में जिला परिषद की सामान्य बैठक होनी है. हालत यह है कि प्रत्येक तीन महीने की बात छोड़ दें, तो पूरे वर्ष बैठक नहीं हो पाती है. ऐसे में चुने हुए जिप सदस्य कहां चर्चा करेंगे. कैसे प्रस्ताव लिया जायेगा. उन्होंने कहा कि 2016 के नवंबर माह में जिला परिषद की सामान्य बैठक हुई थी. इसके बाद नियमानुसार प्रत्येक तीन महीने में बैठक होनी थी, लेकिन बैठक नहीं हुई. वर्ष 2017 के नवंबर माह में जाकर बैठक हुई है. इसके लिए जिप सदस्य तौकीर आलम जिला परिषद अध्यक्ष की नाकामी बताते हैं. उन्होंने कहा कि जब बैठक ही नहीं होगी,
तो विकास की बात ही कहां होगी. बैठक होगी तभी विकास की बात हो सकती है. हम सरकार व प्रशासन के विरोध में आक्रोश प्रकट कर सकते हैं. प्रस्ताव लेकर ऊपर तक भेज सकते हैं. यही वजह है कि क्षेत्र में जिप सदस्य एक भी विकास कार्य नहीं करा सके हैं. इसके लिए अब एक ही रास्ता बचा है कि अपने हक के लिए आंदोलन करें.
भेजा गया है स्मार पत्र
जिला अभियंता का पद रक्त रहने की वजह से विकास योजनाओं का कार्य शुरू नहीं किया जा सका है. दो बार पंचायती राज विभाग को पत्र लिखा जा चुका है. बुधवार को भी विभाग को स्मार पत्र भेजा गया है. जिला अभियंता की पदस्थापना होने के साथ ही जितने भी काम पेंडिंग हैं, वह शुरू हो जायेंगे. खबर
अमित कुमार पांडेय, डीडीसी
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