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गरमी के कारण डायरिया ने पसारे पांव

भभुअ सदर. गरमी की तीव्रता के साथ ही अब अस्पतालों में डायरिया के मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. केवल सदर अस्पताल में ही 12 से 28 मई तक लगभग 100 से अधिक मरीज डायरिया के भरती किये जा चुके हैं. रविवार को लगभग आधा दर्जन डायरिया की चपेट में आये रोगियों को […]

भभुअ सदर. गरमी की तीव्रता के साथ ही अब अस्पतालों में डायरिया के मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. केवल सदर अस्पताल में ही 12 से 28 मई तक लगभग 100 से अधिक मरीज डायरिया के भरती किये जा चुके हैं. रविवार को लगभग आधा दर्जन डायरिया की चपेट में आये रोगियों को सदर अस्पताल में भरती किया गया. लेकिन, अस्पताल में डायरिया से पीड़ित मरीजों को भरती तो कर लिया जा रहा है. लेकिन, उन मरीजों के लिए दवाओं सहित अन्य व्यवस्था अस्पताल प्रशासन द्वारा नहीं की जा सकी. रविवार को डायरिया से पीड़ित होकर इलाज के लिए सदर अस्पताल आये कुकुराढ़ के रामजी पटेल, अनिता देवी आदि ने बताया कि डॉक्टर ने डायरिया बताया है.
लेकिन, दवा नहीं होने को कह बाहर की दवाएं लिख दी हैं. डायरिया के संबंध में अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ विनय कुमार तिवारी ने बताया कि डायरिया अक्सर संक्रमण के कारण होता है. इसका मुख्य कारण बिना ढंके भोजन का सेवन, बाजार में खुले कटे फल व शरबत, गरमी में खाली पेट रहना, शौच के बाद हाथों को ठीक से साफ न करना, मौसमी संक्रमण, दूषित पेयजल आदि हैं. इसका लक्षण जल्दी-जल्दी दस्त होना, पेट में तेज दर्द व मरोड़ इलाज के अभाव में मर्ज बढ़ने पर उल्टी होने लगती है. इससे डिहाइड्रेशन हो जाता है. हाथ पैर में कमजोरी लगने लगती है. पानी की कमी हो जाने से मरीज का मुंह सूखने लगता है. वक्त पर इलाज न होने पर मरीज बेहोश होनेलगता है. यह बीमारी अनदेखी पर मौत को दावत भी दे सकती है. इन लक्षणों के दिखने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.
ऐसे करें बचाव : स्वच्छ जल का सेवन करें, शौच के बाद हाथों को अच्छी तरह साफ करें, भोजन बनाने से पहले और खाना खाने के पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें, सब्जियों, फलों को ठीक से धोये, बाजार के खुले कटे फल, शरबत, मसालेदार चीजों से परहेज करें, जगह-जगह पानी न पिये, बाहर जाते वक्त घर से ही बोतल में साफ पानी लेकर चले.
डायरिया के साथ दूसरी बीमारियां भी हावी
गैस्ट्रोइंट्राइटिस : गंदे पानी व दूषित भोज्य पदार्थ के कारण यह बीमारी होती है, इसका लक्षण उल्टी, दस्त होता है.
टायफायड : यह जलजनित बीमारी है, जो दूषित पेयजल पीने से होता है. इसमें मरीज के दस्त के साथ इसके कीटाणु पानी में चले जाते हैं. जो बाद में अन्य लोगों को भी अपनी चपेट में ले लेते हैं. इसका लक्षण लंबे समय तक बुखार, कुछ मरीजों को उल्टी, पेट में कब्जियत होता है.
पीलिया : दूषित पेयजल से यह बीमारी होती है. इसके अलावा दूषित रक्त से भी लोग इसके शिकार होते हैं. जैसे एक ही सुई कई लोगों को लगाने से. इसका लक्षण रोगी को कमजोरी, भूख में कमी, थकान, उल्टी होती है, पेशाब पीला होता है.
मलेरिया : मच्छरों के कारण होनेवाला मलेरिया कई प्रकार का होता है जैसे वाइवेक्स, ओवेल, मलेरी व फाल्सीफेरम. इनमें ‘फाल्सीफेरम’ बेहद खतरनाक है जो दिमागी मलेरिया के नाम से जाना जाता है. इसमें मरीज की मौत तक हो जाती है. फाल्सीफेरम में रोगी को विशेष इलाज की जरूरत होती है.
इसमें पांच दिन तक लगातार इलाज किया जाता है. हालांकि ज्यादातर मरीजों को ‘वाइवेक्स’ होता है, वहीं ‘ओवेल’और मलेरी के केस बहुत कम देखे जाते हैं. इसका लक्षण सिर व बदन दर्द, बुखार, बदन का टूटना, कभी कभी उल्टी व डायरिया भी हो जाता है. वाइवेक्स में ज्यादातर ठंड देकर बुखार चढ़ता है और तेजी से पसीना होकर उतर जाता है. बुखार के दौरान कंपकंपी होती है. फाल्सीफेरम में सिरदर्द, बुखार, कमजोरी होती है. यह ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है. मलेरिया की वाइवेक्स, ओवेल, मलेरी श्रेणी में 14 दिन इलाज करना पड़ता है. लेकिन, फाल्सीफेरम में विशेष इलाज पांच दिन तक चलता है. इसका बचाव आस पड़ोस में कहीं पानी इकट्ठा न होने दें, साथ ही कूलर का पानी भी नियमित बदलें, पूरी बांह के कपड़े पहने और रात में मच्छरदानी में ही सोये. कुल मिला कर इन बीमारियों में से किसी की भी अनेदखी न करें. लक्षण दिखते ही चिकित्सक से तत्काल संपर्क करे.

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