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150 रुपये बिक रही अरहर दाल, सब्जी के भाव भी बढ़े
भभुआ (नगर) : प्रतिदिन की तरह सोमवार की सुबह एकता चौक स्थित एक चाय की दुकान में वृद्धों की टोली जमी हुई थी. एक ने कहा दो वक्त की दाल-रोटी मिल जाये अब तो भगवान से यही प्रार्थना है. इतना सुनते ही लोगों के बीच जुबानी जंग छिड़ गयी. संजय साह ने बताया अब तो […]
भभुआ (नगर) : प्रतिदिन की तरह सोमवार की सुबह एकता चौक स्थित एक चाय की दुकान में वृद्धों की टोली जमी हुई थी. एक ने कहा दो वक्त की दाल-रोटी मिल जाये अब तो भगवान से यही प्रार्थना है.
इतना सुनते ही लोगों के बीच जुबानी जंग छिड़ गयी. संजय साह ने बताया अब तो दाल का सिर्फ सपना देखो प्रतिदिन भाव तल्ख हुए जा रहे हैं. सब्जी मंडी रोड के केदार यादव बता रहे थे कि इन दिनों उनके घर में पक रही सब्जियों में टमाटर गायब है. बात महंगाई से शुरू हुई और सरकार को कोसने लगे.
असल में दाल-रोटी प्रतीक था कि कुछ नसीब नहीं तो खाने को दाल रोटी मिल ही जाये साथ में आलू टमाटर का चोखा हो तो और भी बेहतर पर अब तो दोनों पर आफत है. पिछले दो साल में कइयों ने तो अरहर दाल के स्वाद को भी भूला दिया है. हालांकि,चना दला उन्हें राहत दिये हुए था. वृद्ध लोग आसानी से रोटी डूबो कर चबा लेते थे. लेकिन, अब तो वो भी मयस्सर नहीं हो रहा है.
चना दाल भी हुई ‘गरम’: चकबंदी रोड के कामेश्वर शर्मा का कहना है अरहर दाल के भाव जब बढ़े तो घर में एक किलो चना दालकी आ जाता थी. लेकिन, महंगाई की इस आंच में दालों के भाव ने ऐसा डंसा है कि अब तो चना दाल ने भी इतराना शुरू कर दिया. अब तो दाल के स्वाद से भी मुंह फेरने की नौबत आन पड़ी है. एक हफ्ते बीते भी नहीं कि चना दाल में दुबारा से करीब 10 फीसदी की तेजी आ गयी है.
बजट के पंख कतर रहीं सब्जियां
बात सब्जियों की करें तो इनके भी तेवर कुछ कम नहीं है. हाल के दिनों में हरी सब्जियों के भाव भी आसमान छू रहे हैं. टमाटर तो ऐसा लाल हो गया है कि लोगों के बजट के पंख कतरने शुरू कर दिये हैं.
बाजार में मिल रहा टमाटर थोक मंडी में ही 44 सौ रुपये प्रति क्विंटल के भाव बिका. खुदरा में बढ़िया टमाटर 60 रुपये प्रति किलो की दर से इठलाते दिख रहा है. वहीं, सब्जियों का राजा कहे जाने वाले आलू का भाव भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है. यह अलग बात है. टमाटर का भाव और चटख लाल हो रहा है.
फलों के राजा आम ने दी राहत :
हालांकि महंगाई के मौसम में फलों का राजा आम राहत दे रहा है. 30 से 40 रुपये प्रति किलो के भाव पर अच्छा आम बाजार में आसानी से उपलब्ध है. लेकिन, टमाटर ने सब्जी के स्वाद को कड़वा बना दिया है. अब तो ज्यादातर लोग हरी सब्जियों को छोड़ आलू और सोयाबीन की सब्जी को तवज्जो दे रहे हैं.
बीते साल महंगाई बनी थी मुद्दा
पिछले साल सूबे में विधानसभा चुनाव होना था और दैनिक खाद्य वस्तुओं में महंगाई जबरदस्त राजनीतिक मुद्दा बनी थी. इसका असर चुनाव परिणाम पर भी पड़ा. हालांकि, सरकार की ओर से आगे महंगाई से निबटने के लिए बफर स्टॉक बनाने की बात कही गयी.
लेकिन, यह धरातल पर कितना उतरा इस साल की महंगाई उसका प्रमाण है. पिछले साल की तरह इस सीजन में भी दाल व अन्य वस्तुओं के दामों में आग लगी हुई है, जिसका असर लोगों की जेबों पर पड़ रहा है. सामान्य लोगों के लिए बढ़ती महंगाई एक काल की तरह है जो उनके बजट को बिगाड़ कर रख दे रही है.
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