जर्जर भवन पर ही बन रही दूसरी मंजिलअनदेखी की हद. बच्चों की जान से खिलवाड़, स्कूल भवन निर्माण में भारी लापरवाहीसफेद गिट्टी व पीली ईंट का हो रहा प्रयोगकरीब 21 लाख की लागत से बनने हैं पांच कमरेमामला कन्या उच्च विद्यालय नुआंव काप्रतिनिधि, नुआंव (कैमूर) ‘बरबाद गुलिस्तां करने को एक ही उल्लू काफी है, यहां तो हर साख पर बैठा उल्लू है अंजामे गुलिस्तां क्या होगा ‘ उक्त पंक्तियां नुआंव बाजार स्थित बालिका उच्च विद्यालय में हो रहे भवन निर्माण पर चरितार्थ होती हैं. इस निर्माण में ठेकेदार सहित विभाग के लोग भी कम खर्च कर अधिक राशि बचाने के चक्कर में छात्राओं व शिक्षिकाओं के जीवन को ही दावं पर लगा रहे हैं. विद्यालय भवन तो पहले से ही जर्जर है. दीवारों में दरारे फट चुकी हैं उसी भवन पर विभाग ने बिना कुछ सोचे समझे दो मंजिला भवन तैयार करने की अनुमति दे दी है. विद्यालय भवन के ऊपरी भाग पर हो रहे पांच कमरों के निर्माण में ठेकेदार ने घटिया सामग्री का प्रयोग किया है. इसके निर्माण में एक नंबर ईंट की जगह तीन नंबर की ईंट का प्रयोग किया जा रहा है. इतना हीं नहीं जिस सफेद गिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है, उसे निर्माण विभाग द्वारा पूर्व में ही मृत गिट्टी घोषित किया जा चुका है. इसको दरकिनार करते हुए धड़ल्ले से इसका प्रयोग किया जा रहा है. वहीं भवन में पूर्व में प्रयोग में लाये गये ईंट को भी निकाल कर प्रयोग में लाया जा रहा है.इस विद्यालय के ऊपरी तल पर हो रहे पांच कमरों के निर्माण का टेंडर करीब चार माह पूर्व हुआ था. इन पांचों कमरों पर लगभग 21 लाख रुपये खर्च करने हैं. इस विद्यालय के भवन में तो पहले से ही दरारें पड़ी हुई हैं, जो कभी भी किसी अप्रिय घटना का गवाह बन सकती हैं. लेकिन, नये कमरो के निर्माण में भी अनियमितता बरती जा रही है. इसी प्रखंड के जैतपुरा स्थित मध्य विद्यालय मे वर्ष 2014 में फरवरी में विद्यालय की छत का छज्जा गिरने से करीब एक दर्जन छात्रों को चोटें आयी थीं. बच्चों का इलाज पीएचसी, गर्रा में हुआ था. घटना की जानकारी मिलते ही तत्कालीन डीएम अरविंद कुमार सिंह व तत्कालीन एसडीएम खुर्शीद अनवर सहित कई पदाधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे थे. विद्यालय के सचिव हारुन अंसारी ने कहा कि उनके कहने पर ही भवन से निकाली गयी पुरानी ईंट को लगाया जा रहा है. वहीं गिट्टी को इंजीनियर के आदेश पर लगाया जा रहा है. ईंट की जांच अभी नहीं की है. कार्यपालक अभियंता विवेकानंद यादव ने बताया कि काली गिट्टी या सफेद गिट्टी में कोई अंतर नहीं है. सफेद गिट्टी भी अच्छी गुणवत्ता की होनी चाहिए, जबकि विभाग सफेद गिट्टी को पहले से ही मृत गिट्टी घोषित कर इसके प्रयोग पर बैन लगा चुका है. फोटो- 10. ऊपरी तल पर लिंटर के ऊपर भवन से निकले पुराने ईंट से हो रही जुड़ाई 15. विद्यालय के प्रांगण में रखी सफेद गिट्टी
जर्जर भवन पर ही बन रही दूसरी मंजिल
जर्जर भवन पर ही बन रही दूसरी मंजिलअनदेखी की हद. बच्चों की जान से खिलवाड़, स्कूल भवन निर्माण में भारी लापरवाहीसफेद गिट्टी व पीली ईंट का हो रहा प्रयोगकरीब 21 लाख की लागत से बनने हैं पांच कमरेमामला कन्या उच्च विद्यालय नुआंव काप्रतिनिधि, नुआंव (कैमूर) ‘बरबाद गुलिस्तां करने को एक ही उल्लू काफी है, यहां […]
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