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एक कमरे में होती है तीन वर्गों की पढ़ाई

एक कमरे में होती है तीन वर्गों की पढ़ाईएक भवन में चल रहे तीन विद्यालय कमरों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई हो रही बाधितनगर पालिका मध्य विद्यालय में सुविधाओं का है घोर अभाव प्रतिनिधि, भभुआ (नगर) सरकार द्वारा स्कूलों को सुविधा संपन्न बनाये जाने को लेकर कई पहल की जा रही है. स्कूलों में […]

एक कमरे में होती है तीन वर्गों की पढ़ाईएक भवन में चल रहे तीन विद्यालय कमरों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई हो रही बाधितनगर पालिका मध्य विद्यालय में सुविधाओं का है घोर अभाव प्रतिनिधि, भभुआ (नगर) सरकार द्वारा स्कूलों को सुविधा संपन्न बनाये जाने को लेकर कई पहल की जा रही है. स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने के लिए सरकार हर वर्ष करोड़ों रुपये छात्रवृत्ति, पोशाक प्रोत्साहन सहित कई योजनाओं में खर्च कर रही है. परंतु, इन सब योजनाओं के बावजूद भी सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही है. जिले के ग्रामीण इलाकों की बात छोड़ दें तो जिला मुख्यालय स्थित नगरपालिका मध्य विद्यालय आज संसाधनों के अभाव में जूझ रहा है. आजादी से पूर्व में स्थापित यह विद्यालय शहर के गरीब तबके के बच्चों के लिए एक अच्छा संस्थान माना जाता रहा है. परंतु, कमरों की कमी, शिक्षकों की कमी सहित अन्य दो स्कूल भी इसी स्कूल परिसर में संचालित है. इसमें यहां पढ़ने वाले बच्चों का पठन-पाठन अधर में लटका हुआ है. एक साथ तीन स्कूल हो रहे संचालित नगरपालिका मध्य विद्यालय में एक साथ तीन स्कूलों के बच्चे पढ़ाई कर रहे है, जिसमें सदर प्रखंड से सटे सेमरियां गांव का न्यू प्राथमिक विद्यालय तथा वार्ड नंबर एक का उर्दू प्राथमिक विद्यालय व वहीं इस विद्यालय की भी पढ़ाई विद्यालय भवन के परिसर में होती है. बातचीत के क्रम में पता चला कि यह दोनों विद्यालय ढाई वर्षों से इसी विद्यालय परिसर में संचालित किये जा रहे हैं. गौरतलब है कि न्यू प्राथमिक विद्यालय सेमरिया का सारा कामकाज तो इस विद्यालय से चल रहा है. मगर, सेमरियां के बच्चे यहां नहीं पढ़ते. जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी होने की वजह से अभिभावक भी अपने बच्चों को यहां पढ़ने के लिए नहीं भेजते जबकि मिली जानकारी के अनुसार, उक्त स्कूल में 87 बच्चों का एडमिशन भी है. भूमिहीन है विद्यालयवैसे तो जिले में कई स्कूलों का अपना भवन नहीं है. इस कमी को दूर करने के लिए एक स्कूल को दूसरे स्कूल से टैग कर दिया जा रहा है. नगरपालिका मध्य विद्यालय में टैग किये गये ये दोनों विद्यालय भूमिहीन है, जिससे अब तक इन स्कूलों को अपना भवन नहीं है. उर्दू प्राथमिक विद्यालय के लिए भूमि उपलब्ध नहीं है. वहीं, न्यू प्राथमिक विद्यालय सेमरियां में 2007 में स्कूल भवन के लिए राशि मिली थी. मगर, वहां भी भूमि उपलब्ध नहीं होने की वजह से आज तक वहां विद्यालय नहीं बन पाया. पहले दो शिफ्ट में चलता था स्कूलस्कूल में बच्चों से बातचीत के दौरान पता चला कि एक ही कमरे में एक से तीन वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं. बच्चों के बैठने की व्यवस्था नहीं है. अच्छी पढ़ाई भी नहीं होती. पूर्व में इस विद्यालय को शिक्षा विभाग द्वारा दो शिफ्टों में चलाया जाने का निर्देश था, जिससे बच्चों को थोड़ी सहूलियत मिलती थी. परंतु, यह व्यवस्था खत्म होने से फिर से बच्चों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. शिक्षकों की कमी से हो रही परेशानी शिक्षकों के अभाव से भी स्कूली के पठन-पाठन में परेशानी हो रही है. इसकी सूचना वरीय पदाधिकारियों को दी जा चुकी है.शिवपूजन सिंह, हेडमास्टर कहती हैं डीइओचुनाव के बाद स्कूल को दो शिफ्ट में चलाया जा रहा था. अब अत्यधिक ठंड बढ़ जाने से इस पर पुन: विचार किया जायेगा. भवनहीन विद्यालयों को टैग कर पठन-पाठन कराया जा रहा है. रेखा कुमारी, डीइओ ……………फोटो…………….9. प्रिंसिपल का फोटो10. स्कूल का फोटो…………………………….

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