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तिथि के बढ़ने से मकर संक्रांति 15 जनवरी को

तिथि के बढ़ने से मकर संक्रांति 15 जनवरी को 80 से 100 साल में एक दिन आगे बढ़ जाता है मकर संक्रांति का समय 2015 में भी 15 जनवरी को मनाया गया था मकर संक्रांति का पर्व प्रतिनिधि, भभुआ (सदर)वर्ष 2015 की तरह इस बार भी यानी 2016 में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी […]

तिथि के बढ़ने से मकर संक्रांति 15 जनवरी को 80 से 100 साल में एक दिन आगे बढ़ जाता है मकर संक्रांति का समय 2015 में भी 15 जनवरी को मनाया गया था मकर संक्रांति का पर्व प्रतिनिधि, भभुआ (सदर)वर्ष 2015 की तरह इस बार भी यानी 2016 में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी शुक्रवार को मनाया जायेगा. अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है. लेकिन, पिछले कुछ बर्षों से मकर संक्रांति के पर्व का मुहूर्त अब 14 के बजाय 15 जनवरी को आता है. वर्ष 2014 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को थी. इसी साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनायी गयी और वर्ष 2016 में भी मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को ही मनाया जायेगा. इसी प्रकार से आगे के वर्षों में भी मकर संक्रांति का स्नान 14 जनवरी के बजाय अब 15 जनवरी को होगा. जानकारी के अनुसार, सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ मकर संक्रांति का पर्व देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है. सूर्य आराधना का पर्व है मर संक्रांति मकर संक्रांति को मुख्यत: सूर्य का पर्व माना जाता है. आचार्य सत्येंद्र द्विवेदी के अनुसार मकर संक्रांति का समय हर 80 से 100 साल में एक दिन आगे बढ़ जाता है. 19 वीं शताब्दी में कई बार मकर संक्रांति 13 व 14 जनवरी को मनाई जाती थी. लेकिन, पिछले तीन साल से लगातार संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. आचार्य सत्येंद्र द्विवेदी के अनुसार साल 2017 और 2018 में संक्रांति 14 जनवरी को शाम को चढ़ेगी. लेकिन, उसका पुण्य काल 15 जनवरी को ही माना जायेगा. क्योंकि सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तब संक्रांति मानी जाती है. इसका पर्व काल 12 घंटे तक रहता है. यह सूर्य आराधना का पर्व है. इसलिए अगर शाम अथवा रात में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है तो शास्त्र अनुसार अगले दिन पर्व मनाया जाता है और इसका विशेष पुण्य काल 12 घंटे तक रहता है. आनेवाले सालों में मकर संक्रांति का पर्व अब 15 जनवरी को ही मनाया जायेगा. सूर्य स्थिर है और पृथ्वी सहित सारे ग्रह सूर्य के चक्कर लगाते हैं. निर्णय राशियों के पीछे चले जाने के कारण हर 80 से 100 साल में यह अंतर आता है.रात्रि काल में मकर राशि में प्रवेश के चलते बढ़ रहे दिन कुछ सालों से रात्रि काल में मकर राशि के प्रवेश के चलते मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को पड़ रहा है. आचार्य सत्येंद्र द्विवेदी के अनुसार संक्रांति काल में कुछ सालों में अंतर आता है. पिछले तीन से चार साल से मकर संक्रांति का पर्व लगातार 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि सूर्य कई बार रात में मकर राशि में प्रवेश करता है. इसलिए अगले दिन सूर्योदय के बाद ही मकर स्नान होता है. इसका पर्वकाल 12 घंटे रहता है. 2016 से 2020 तक विशेष काल 15 जनवरी को ही दिया है. इन सालों में संक्रांति या तो 14 की शाम को या 14 और 15 जनवरी की रात्रि में माना जायेगा.

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