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छठ की खबर में नीचे की ओर जोड़ दें

छठ की खबर में नीचे की ओर जोड़ देंबजने लगे छठ मइया के गीतशहर के गली मुहल्लाें में भगवान भास्कर व छठ मइया के गीत बजने लगे हैं. ऐसी मान्यता है कि छठ व्रत करने से शरीर निरोग रहता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है. भभुआ शहर सहित पूरे जिले में श्रद्धा व […]

छठ की खबर में नीचे की ओर जोड़ देंबजने लगे छठ मइया के गीतशहर के गली मुहल्लाें में भगवान भास्कर व छठ मइया के गीत बजने लगे हैं. ऐसी मान्यता है कि छठ व्रत करने से शरीर निरोग रहता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है. भभुआ शहर सहित पूरे जिले में श्रद्धा व आस्था के साथ छठ पर्व मनाया जाता है. शुद्धता का रखा जाता है ध्यान छठ पर्व में शुद्धता व पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है. जिन घरों में छठ पर्व होनेवाला होता है, वहां कुछ दिन पहले से ही लोग शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं. नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत होती है. इस दिन छठ व्रती स्नान-दान कर कद्दू की सब्जी, चने की दाल व भात का प्रसाद ग्रहण करते हैं. छठ से जुड़ीं कथाएं छठ पर्व को लेेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. एक प्राचीन कथा के अनुसार जब पांडव जुए में अपना राजपाठ हार गये, तो द्रौपदी ने भगवान सूर्य की उपासना की. इसके बाद द्रौपदी की मनोकामना पूरी हुई और पांडवों का खोया हुआ राजपाठ मिल गया. एक अन्य कथा के अनुसार, छठ पर्व मनाने के पीछे महाभारत के एक मुख्य पात्र दानवीर कर्ण से भी जुड़ा है. वहीं, कुछ लोग इस पर्व को कृषि के साथ भी जोड़ कर देते हैं. एक नजर में चार दिवसीय छठ पर्व नहाय-खाय : छठ व्रत के पहले अर्थात कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को व्रती सरोवर, तालाब, व घर में ही स्नान-दान कर अरवा चावल की भात, कद्दू की सब्जी व चने की दाल आदि सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं. खरना : छठ पर्व के दूसरे दिन अर्थात पंचमी को पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद शाम में छठ व्रतियों द्वारा सूर्य पूजन अर्थात व्रत करने का संकल्प लिया जाता है. साथ ही, चंद्रास्त के पूर्व ही नमक रहित भोजन व फल आदि ग्रहण किया जाता है. अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ पर्व के तीसरे दिन अर्थात षष्ठी को दिन भर उपवास रह कर व्रती नहर, तालाब, नदी आदि घाटों पर पहुंचते हैं और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देते हैं. उदीयमान सूर्य को अर्घ्य छठ के चौथे दिन अर्थात सप्तमी को छठ व्रती उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ देते हैं, उसके बाद पारण करते हैं.

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