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उप स्वास्थ्य केंद्र से मरीजों को नहीं मिली अब तक कोई सुविधा
मोहनिया (सदर): जिस प्रकार भगवान राम के आगमन को लेकर सबरी अपनी पलकें बिछाये उनके आगमन की राहत देखती रही और लंबे समय बाद त्रेता युग में भगवान के दर्शन हो गया. उसी प्रकार इस कलयुग में कई वर्षो से चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों की राह तक रहा बघिनी का प्राथमिक उपस्वास्थ्य केंद्र. कभी सौभाग्य प्राप्त […]
मोहनिया (सदर): जिस प्रकार भगवान राम के आगमन को लेकर सबरी अपनी पलकें बिछाये उनके आगमन की राहत देखती रही और लंबे समय बाद त्रेता युग में भगवान के दर्शन हो गया. उसी प्रकार इस कलयुग में कई वर्षो से चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों की राह तक रहा बघिनी का प्राथमिक उपस्वास्थ्य केंद्र. कभी सौभाग्य प्राप्त भी होगा या नहीं कह पाना मुश्किल है . क्योंकि लाखों रुपये की लागत से बने इस उपस्वास्थ्य केंद्र पर आज तक कोई स्वास्थ्यकर्मी का कदम नहीं पड़ा है.
किराये के मकान में चलता है स्वास्थ्य केंद्र : अपना भवन होने के बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग पिछले 46 वर्षो से एक निजी मकान को किराये पर लेकर स्वास्थ्य केंद्र चलाता है. 1969 में उक्त गांव में स्वास्थ्य केंद्र न होने के कारण विभाग द्वारा रामचंद्र राम के मकान को किराये पर लिया गया था. कुछ वर्षो तक विभाग ने किराये का भुगतान किया उसके बाद वह भी देना बंद कर दिया, जिसको लेकर गृह स्वामी ने न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था. इतना सब कुछ होने के बाद भी विभाग का भवन बन कर वीरान पड़ा है. लेकिन विभाग अपने भवन में जाने का न तो नाम ले रहा है और न ही गृह स्वामी को किराये का भुगतान कर रहा है.
ग्रामीणों को नहीं मिलती जानकारी : इस उपस्वास्थ्य केंद्र के बनने के बाद कभी यहां कोई चिकित्सक नहीं आये. ग्रामीणों की जांच व इलाज के लिए यदि कभी चिकित्सकों की टीम भी आती है तो विद्यालय पर जिसकी जानकारी भी सभी ग्रामीणों को नहीं मिल पाती है, जिससे वे इलाज व दवा से वंचित रह जाते हैं यह स्वास्थ्य केंद्र केवल हाथी का दांत बन कर रह गया है.
गलत स्थान का किया गया चयन : ग्रामीण ओम प्रकाश सिंह, दुखी राम, मनई राम, मदन यादव व मुखतार अंसारी कहते हैं कि इस स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण के लिए जानबूझ कर गलत स्थान का चयन कराया गया, जबकि ग्रामीण इस भवन को कोटि पर ऊंचे स्थान पर बनाने की मांग कर रहे थे जिसका परिणाम यह है कि इसके चारों तरफ गंदगी व जंगल है, जिसकी वजह से कभी इस भवन में स्वास्थ्यकर्मी नहीं बैठते हैं, जिसकी वजह से ग्रामीण स्तर पर लोग इलाज व दवा से वंचित हैं.
1979 में बना था उपस्वास्थ्य केंद्र
इस उपस्वास्थ्य केंद्र को बने लगभग 36 वर्ष हो गया. लेकिन इतने बड़े समयावधि के बीच भी इस भवन में कभी स्वास्थ्यकर्मी नहीं. बैठे परिणाम यह हुआ कि इस स्वास्थ्य केंद्र के चारों तरफ जंगल व गंदगी का अंबार लग चुका है.
बनेगा नया भवन
भवन जजर्र हो चुका है. गांव में नया भवन बनने के लिए स्वीकृत मिली है. उसके तैयार होने पर स्वास्थ्यकर्मी नये भवन में बैठेंगे.
डॉ एससी लाल, उपाधीक्षक, अनुमंडलीय अस्पताल के
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