प्रखंड में ईंट भट्ठा चलानेवाले उमेश सिंह,चंद्रभान सिंह व शकील खां ने बताया कि इस धंधा को सरकारी उपेक्षा का भी दंश ङोलना पड़ रहा है. बिहार के ईंट व्यवसायी को प्रत्येक साल लाखों रुपये वाणिज्यकर व प्रदूषण नियंत्रण विभाग में देना पड़ता है. लेकिन, उत्तर प्रदेश की सीमा से नजदीक होने से उत्तर प्रदेश के कारोबारी अवैध ढंग से अपना ईंट बिहार में बेचते हैं. इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गयी है. अगर प्रशासन उत्तर प्रदेश के ईंट व्यापारियों को अवैध रूप से बिहार में ईंट बेचने पर रोक लगा दे व बिहार में ईंट बेचने पर टैक्स लिया जाये, तो बाजार में प्रतिस्पर्धा घटेगी व व्यापार में मुनाफा होने लगेगा.
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बढ़ता गया कोयले का दाम घटती गयी ईंट की कीमत
भगवानपुर: कोयले के दाम में वृद्धि व ईंट की कम खपत के कारण इस समय ईंट उद्योग घाटे का सौदा साबित हो रहा है. पांच वर्ष पहले प्रखंड में जहां प्रत्येक साल व्यापारी ईंट उद्योग में निर्भीक होकर पैसा लगाते थे. वहीं अब व्यापारियों ने इस उद्योग से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है. करीब […]
भगवानपुर: कोयले के दाम में वृद्धि व ईंट की कम खपत के कारण इस समय ईंट उद्योग घाटे का सौदा साबित हो रहा है. पांच वर्ष पहले प्रखंड में जहां प्रत्येक साल व्यापारी ईंट उद्योग में निर्भीक होकर पैसा लगाते थे. वहीं अब व्यापारियों ने इस उद्योग से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है. करीब दो साल से क्षेत्र में कोई नया ईंट भट्ठा नहीं खुला. कई व्यापारियों ने इस व्यापार से नाता भी तोड़ लिया है.
क्या है ईंट व्यापारियों की राय : ईंट संघ के प्रखंड अध्यक्ष शिवशंकर सिंह उर्फ माला सिंह ने बताया कि पांच वर्ष पहले ईंट का दाम 2200 रुपया प्रति हजार था. कोयले का दाम 3500 रुपया प्रति टन था. लेकिन, अब कोयला 11000 रुपये प्रति टन व ईंट 4000 रुपया प्रति हजार हो गया है.
प्रखंड ईंट संघ के सचिव उपेंद्र सिंह ने बताया कि कोयले के साथ-साथ मजदूरों की भी मजदूरी पांच गुना बढ़ गयी है. प्रतिस्पर्धा के कारण ईंट का दाम नहीं बढ़ पा रहा है. पूर्व में ईंट भट्ठा का व्यवसाय करने वाले शंकर यादव ने बताया कि इस उद्योग से 20 लाख रुपये का घाटा हुआ है. इस उद्योग को छोड़ दिया.
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