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शांत रहीं सड़कें, छिपे रहे उपद्रवी
अतिक्रमणकारियों के हमले के बाद प्रशासन ने बदले ‘तेवर’ शहर में तीन दिनों से जारी अतिक्रमणकारियों व प्रशासन के बीच की ‘जंग’ खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. शनिवार को डीएम के आदेश के बाद प्रशासनिक अधिकारी शहर में अतिक्रमण हटाने गये. अधिकारी जैसे ही अतिक्रमण हटा कर वापस लौटे, अतिक्रमणकारी दोबारा काबिज […]
अतिक्रमणकारियों के हमले के बाद प्रशासन ने बदले ‘तेवर’
शहर में तीन दिनों से जारी अतिक्रमणकारियों व प्रशासन के बीच की ‘जंग’ खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. शनिवार को डीएम के आदेश के बाद प्रशासनिक अधिकारी शहर में अतिक्रमण हटाने गये. अधिकारी जैसे ही अतिक्रमण हटा कर वापस लौटे, अतिक्रमणकारी दोबारा काबिज हो गये.
रविवार को एक बार फिर अधिकारियों की टीम अतिक्रमण हटाने गयी, लेकिन इस बार अतिक्रमणकारियों ने उपद्रव मचाना शुरू कर दिया व टीम पर पथराव शुरू कर दी.
इस दौरान अर्थमूवर (जेसीबी) क्षतिग्रस्त हो गया व उसका ड्राइवर भी घायल हो गया. मामले ने तूल पकड़ा, तो पुलिसकर्मियों को वहां पहुंचना पड़ा. सोमवार को भी यह ‘जंग’ जारी रही. गिरफ्तारी के डर से कई अतिक्रमणकारी घरों में दुबके रहे.
भभुआ (सदर) : शहर में अतिक्रमण हटाने गयी नगर पर्षद व पुलिस टीम पर हमले के बाद प्रशासन ने तेवर कड़े कर लिये हैं. सोमवार को डीएम प्रभाकर झा ने नगर पर्षद के अधिकारियों को समाहरणालय में तलब कर हमला करनेवालों के खिलाफ सुस्त रवैया अपनाने पर जम कर क्लास लगायी व सख्त निर्देश देते हुए कहा अतिक्रमण हटाने के दौरान की गयी वीडियोग्राफी से हमलावरों को चिह्न्ति कर तत्काल उन पर प्राथमिकी दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी का निर्देश दिया है. डीएम ने शहर में किसी भी हालत में अतिक्रमण न पनपने की हिदायत दी है.
एकता चौक व सब्जी मंडी रही वीरान
अतिक्रमण हटाने गयी टीम पर हमले के एक दिन बार यानी सोमवार को सड़कें पूरी तरह से खामोश रहीं. अतिक्रमणकारियों का मुख्य अड्डा एकता चौक व सब्जी मंडी रोड वीरान पड़ा रहा. सब्जीवालों के साथ-साथ ठेलेवाले भी प्रशासनिक कार्रवाई के भय से सड़कों पर नहीं दिखे.
इस दौरान आढ़तियों के लिए बाहरी मंडी से प्रतिदिन ट्रकों व छोटे वाहनों से आनेवाले आलू,प्याज व सब्जियों की खेप भी नहीं दिखी. कुल मिला कर प्रशासन व अतिक्रमणकारियों के बीच गतिरोध बना हुआ है. अब देखना यह है कि लगातार अतिक्रमणकारियों के चंगुल में रहनेवाली शहर की सड़कें आखिर कब तक खामोशी की चादर ओढ़े रहती है.
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