भभुआ सदर : धूप और 44 डिग्री के तापमान के साथ मंगलवार से रमजान की शुरुआत हो गयी. इस वर्ष 20 रोजा 15 घंटे से भी अधिक का होगा. ऐसे में रोजेदारों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. पहला रोजा मंगलवार को 14 घंटा 47 मिनट का रहा. जानकारों के अनुसार, सब्र व इबादत का महीना रमजान-ऊल-मुबारक को सभी महीनों का खलीफा कहा जाता है.
इस पाक व मुकद्दस महीने का इस्लाम धर्म अनुयायियों के लिए खासा महत्व है. यह महीना खुशियों का पैगाम लेकर आता है. मुसलमान पूरे एक महीना शिद्दत के साथ इबादत करते हैं और रोजा रख कर रमजान मनाते हैं. रोजा संयम, इबादत, नेक व नीयत का प्रतीक है.
दिनचर्या में हुआ परिवर्तन : रोजा प्रारंभ करते ही लोगों ने अपनी दिनचर्या में परिवर्तन शुरू कर दिया है, ताकि इस भीषण गर्मी में रोजा रखने में उन्हें किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पडे़. नन्हे-मुन्ने बच्चों ने भी मंगलवार को पहला रोजा रखा. गौरतलब है कि पिछले वर्ष 2018 में रमजान का आगाज 17 मई से हुआ था. इसमें 15 रोजा मई माह में थे, जबकि 15 जून माह में.
उस वक्त भी काफी प्रचंड गर्मी थी. लेकिन, इस वर्ष समय से पूर्व गर्मी के आरंभ होने व जिले का तापमान मंगलवार को 44 डिग्री तक पहुंचने से रोजेदारों ही नहीं हर तबका परेशान है. इसके बावजूद अकीदत का गर्मी व लू पर भारी पड़ना तय माना जा रहा है.
रमजान के महीने को लेकर शहर के नवाबी मुहल्ले, दक्षिण मुहल्ले, चिक टोली, छावनी मुहल्ला व ईदगाह मस्जिद सहित अन्य स्थानों के मस्जिदों में विशेष साफ-सफाई का काम लगभग पूरा हो चुका है. इसके साथ ही शहर के साथ साथ कस्बों, प्रखंड मुख्यालयों व ग्रामीण क्षेत्रों के मस्जिदों में तरावीह की विशेष व्यवस्था आरंभ सोमवार से ही हो गयी है.
रोजे में करें कुरान करीम की तिलावत : मौलाना रिजवान कासमी ने फरमाया कि रमजान के पाक महीने में रोजा रखें. नमाज तरावीह पढ़ें और गुनाहों से तोबा करें. इस्तगफार पढ़े और कुरआन करीम की तिलावत करें. एतकाफ में बैठें. शबेकद्र की तलाश करें. सदका व खैरात करें.
रोजा अफ्तार कराएं. इस्लाह की कोशिश करें. आखिरत की फिक्र पैदा करें. पांच वक्त की नमाज व जमाअत अदा करें. नफ्ल नमाज खास तौर से तहज्जुद अदा करें. अल्लाह का जिक्र करें, निगाह नीची करें. कान और जुबान की हिफाजत करें.हलाल माल से रोजा अफ्तार करें और अल्लाह से डरते रहें.
रोजे में क्या नहीं करें : चुगली, हसद, गीबत, कीना, झूठ से बचें. रिश्वत न दें और न ही लें. जिनाकारी, बदकारी, चोरी, डकैती आदि से बचें. मस्जिदों को शोर-शराबे से महफूज रखें. फिल्में व धारावाहिक से परहेज करें. मजदूरों पर जुल्म नहीं करें, किसी का हक नहीं मारे. किसी का दिल नहीं दुखाएं. हर उस काम से बचें जिससे अल्लाह और उसके रसूल ए अकरम ने मना फरमाया है.