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शहरी क्षेत्र में घर के निर्माण व विस्तार के लिए मिलेगा अब सरकार से अनुदान
भभुआ सदर : शहरी क्षेत्र में आवास बनानेवाले और आवास के लिए सरकारी ऋण लेनेवालों के लिए खुशखबरी है, क्योंकि अब यदि वे ऋण लेकर घर बनाना चाहते हैं या जिन्होंने जून 2015 तक किसी बैंक से ऋण लिया है तो उन्हें भी अब लिये गये ऋण या लेनेवाले ऋण पर ब्याज अनुदान मिलेगा. क्योंकि, […]
भभुआ सदर : शहरी क्षेत्र में आवास बनानेवाले और आवास के लिए सरकारी ऋण लेनेवालों के लिए खुशखबरी है, क्योंकि अब यदि वे ऋण लेकर घर बनाना चाहते हैं या जिन्होंने जून 2015 तक किसी बैंक से ऋण लिया है तो उन्हें भी अब लिये गये ऋण या लेनेवाले ऋण पर ब्याज अनुदान मिलेगा. क्योंकि, अब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी क्षेत्र में घर का निर्माण एवं विस्तार के लिए ऋण लेने वालों को केंद्र सरकार आधारित ऋण पर ब्याज अनुदान दिया जा रहा है.
मार्च 2019 तक आवास के लिए ऋण पर ब्याज दिया जायेगा. इस योजना के अंतर्गत पात्र परिवार यदि गृह निर्माण या विस्तार के लिए बैंकों या हाउंसिंग फिनांस कंपनी से गृह ऋण लेता है, उस ऋण पर ब्याज अनुदान मिलेगा. लेकिन, शहरी क्षेत्र में ऋण अधिकतम 12 लाख रुपये तक ही मिल सकता है.
आर्थिक रूप से कमजोर कर सकते हैं दावा : आर्थिक रूप से कमजोर एवं निम्न आय वर्ग के अंतर्गत आने वाले परिवार 2022 तक इस योजना का लाभ ले सकते हैं.
यानी जो जून 2015 से अब तक आवास ऋण लिये हैं, उन्हें भी इस योजना का लाभ मिलेगा. जबकि, मध्यम आय वर्ग प्रथम व द्वितीय के अंतर्गत आने वाले परिवार को इस योजना का लाभ दिसंबर 2017 से मार्च 2019 तक ले सकते हैं. इसमें जो व्यक्ति जनवरी 2017 से अब तक आवास ऋण ले चुके हैं. उन्हें भी इस योजना का अतिरिक्त लाभ मिलेगा.
इसके लिए संबंधित अभ्यर्थी या लाभुक ऋण संबंधी कागजात नगर पर्षद कार्यालय में जमा करेंगे साथ ही इसके लिए आवेदन भी देना होगा. जिस आवेदन को नप प्रशासन स्वीकृत करते हुए विशेष ब्याज अनुदान के लिये बैंक को अग्रसारित करेगा. नप विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अब तक करीब दर्जन भर लोगों ने ऋण पर ब्याज अनुदान के लिए आवेदन दिया है.
इनको मिल सकता है शहरी आवास ऋण
वैसे व्यक्ति को इस योजना का लाभ मिलेगा, जिसके नाम से भारत में किसी भी भाग में पक्का मकान न हो. जिस जमीन पर ऋण लिया जा रहा है, उसका स्वामित्व उस व्यक्ति के नाम हो. ऐसे व्यक्ति को शहरी आवास ऋण मिल सकता हैं. यह लाभ फ्लैट खरीदने पर भी मिल सकता है.
नगर विकास व आवास विभाग के अनुसार लाभार्थी के परिवार में पति, पत्नी और अविवाहित पुत्र व पुत्री शामिल हों. योजना का लाभ लेनेवालों को चार तरह के आय वर्ग में बांटा गया है. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, निम्न आय वर्ग, मध्यम आय वर्ग प्रथम व मध्यम आय वर्ग द्वितीय.
इसके तहत वैसा परिवार जिनकी वार्षिक आय तीन लाख रुपये है और वे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में रखे गये हैं, तो इन्हें तीन लाख तक का ऋण दिया जायेगा. इस पर 6.5 प्रतिशत की दर से ब्याज सब्सिडी मिलेगा. ब्याज सब्सिडी की राशि अधिकतम एक लाख दस हजार 93 रुपये होगी. इसी तरह निम्न आय वर्ग में तीन से छह लाख तक के आय के व्यक्ति आते हैं. इनको छह लाख तक का ऋण दिया जा सकेगा.
इस पर भी 6.5 प्रतिशत ब्याज दर सब्सिडी दी जायेगी, जबकि मध्यम आय वर्ग-एक को 12 लाख रुपये तक के वार्षिक आय पर नौ लाख रुपये तक ऋण दिया जायेगा. जिस पर चार प्रतिशत ब्याज सब्सिडी मिलेगा व 18 लाख रुपये तक की वार्षिक आमदनी को मध्यम आय वर्ग-दो में रखा गया है. इन्हें 12 लाख रुपये ऋण मिलेगा, जिस पर 3 प्रतिशत की दर से ब्याज सब्सिडी मिलेगी.
मरीजों की जानकारी उपलब्ध कराने में मदद करें, सभी के सहयोग से टीबी का होगा खात्मा
बुधवार को शहर में जुटे जिले के सभी डॉक्टर, टीबी मुक्त बिहार को लेकर हुई परिचर्चा
2025 तक भारत को टीबी मुक्त देश बनाने का है लक्ष्य
इस बीमारी से भारत में प्रतिदिन लगभग 1400 लोगों की होती है मौत
सरकारी अस्पतालों में 44 प्रतिशत तो 56 प्रतिशत निजी चिकित्सकों से इलाज कराते हैं
भभुआ सदर. टीबी मुक्त बिहार बनाने और 2025 तक टीबी रोग से भारत को मुक्त करने के विषय पर बुधवार को शहर के होटल कुबेर में यक्ष्मा रोग पर कैमूर आईएमए के द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन कैमूर सिविल सर्जन डॉ मिथलेश झा ने दीप जला कर किया.
सेमिनार में आयोजित परिचर्चा में जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार सिंह सहित अन्य डॉक्टरों ने 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने पर अपने विचार रखे. सभी वक्ताओं ने निजी क्षेत्र के चिकित्सकों से अपील की कि वे टीबी के प्रत्येक मरीज की जानकारी उपलब्ध कराने में सरकार की मदद करें, ताकि इस महामारी को नियंत्रित किया जा सके.
गौरतलब है कि भारत में प्रतिदिन लगभग 1400 लोगों की मौत इस बीमारी से होती है. उक्त कार्यक्रम में बताया गया कि 60 प्रतिशत से भी अधिक टीबी मरीजों का उपचार निजी चिकित्सकों द्वारा किया जाता है. बिना निजी क्षेत्र के चिकित्सकों के सहयोग के टीबी पर नियंत्रण कर पाना बहुत ही मुश्किल है.
कार्यशाला के दौरान सिविल सर्जन डॉ मिथलेश झा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार तपेदिक की बीमारी को 2025 तक नियंत्रित करने को पूरी तरह से तैयार है. इस रोग को नियंत्रित करने के लिए चाहे सरकारी डॉक्टर हों, या फिर प्राइवेट, सभी का सहयोग अपेक्षित है.
सरकारी अस्पतालों में मात्र 44 प्रतिशत ही मरीज टीबी का इलाज कराने आते हैं. बाकी, 56 प्रतिशत मरीज निजी क्लिनिक और डॉक्टर के पास पहुंचते हैं. क्योंकि, टीबी के मरीज यह सोचते है कि निजी डॉक्टर उसके रोग की गोपनीयता बरकरार रखेंगे और इससे वे सामाजिक कलंक मानने वाले लोगों से बचे रह सकेंगे.
इधर, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार सिंह ने अपने संबोधन में टीबी रोग पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि जागरूकता के अभाव के चलते आज भी लोग टीवी रोग को एक कलंक के नजरिये से देखते हैं.
लेकिन, केंद्र सरकार ने 2018 में ही टीबी मुक्त भारत बनाने का संकल्प लिया, जिसके चलते आज निजी व सरकारी क्षेत्र में टीबी मरीजों को लेकर मेडिकल के क्षेत्र में एक गंभीर विचार बना है और सभी का सहयोग रहेगा, तो संभवतः 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करा लिया जायेगा. सेमिनार के दौरान अन्य वरीय डॉक्टरों ने भी अपने विचार रखे.
कार्यक्रम के अंत में आइएमए कैमूर के अध्यक्ष डॉ संतोष कुमार सिंह ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया. सेमिनार में जिले के सरकारी व निजी डॉक्टर मौजूद रहे, जिसमें मुख्य रूप से आइएमए कैमूर के सचिव डॉ अरविंद त्रिवेदी, डॉ जयशंकर मिश्रा, डॉ रामेश्वर सिंह, डॉ आरके चौधरी, डॉ श्रीकांत सिंह, डॉ माहताब, डॉ लोकनाथ तिवारी, डॉ प्रतिभा, डॉ मीना पाठक, डॉ डीके सिंह मंटू, डॉ एके दास, डॉ त्रिभुवन नारायण मौजूद शामिल हैं.
सड़कों के बीच बनाये गये डिवाइडर हुए क्षतिग्रस्त
भभुआ नगर. शहर में इन दिनों डिवाइडर जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गये हैं और आये दिन लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. लेकिन, जिले के आलाधिकारी सहित जनप्रतिनिधि इसी सड़क से गुजर रहे हैं. लेकिन, उनका ध्यान क्षतिग्रस्त डिवाइडरों पर नहीं जा सका है. नगर पर्षद का कहना है कि जल्द सभी क्षतिग्रस्त डिवाइडरों का निर्माण व मरम्मत कराया जायेगा.
लेकिन, अबतक क्षतिग्रस्त होकर सड़क के टेढ़े मेढ़े खड़े और रखे इन जानलेवा हुए डिवाइडरों की मरम्मत नहीं करायी जा सकी है. इसके चलते किसी बड़े हादसे से इन्कार नहीं किया जा सकता. शहर के लोगों ने भी जल्द से जल्द क्षतिग्रस्त व टूटे पड़े इन डिवाइडरों की मरम्मत की मांग नगर पर्षद से की है.
जब इसकी जानकारी नप ईओ अनुभूति श्रीवास्तव को दी गयी तो उन्होंने इसे प्राथमिकता देने को कहते हुए जल्द सभी सड़कों के बीच बने डिवाइडरों की मरम्मत करवाने की बात कही.
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