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बगैर वैकेंसी 20 शिक्षकों का कराया गया योगदान, हुआ वेतन भुगतान भी

प्रखंड के छह स्कूलों में प्राधिकार के आदेश पर शिक्षकों ने दिया योगदान अब तक नियोजित शिक्षकों के कागजात भी डीईओ कार्यालय को नहीं दिये गये भभुआ कार्यालय (कैमूर) : भगवानपुर प्रखंड में बगैर सीट के ही 20 शिक्षकों का विभिन्न विद्यालयों में योगदान कराने व बिना विभागीय आदेश के ही उन्हें वेतन भुगतान करने […]

प्रखंड के छह स्कूलों में प्राधिकार के आदेश पर शिक्षकों ने दिया योगदान

अब तक नियोजित शिक्षकों के कागजात भी डीईओ कार्यालय को नहीं दिये गये
भभुआ कार्यालय (कैमूर) : भगवानपुर प्रखंड में बगैर सीट के ही 20 शिक्षकों का विभिन्न विद्यालयों में योगदान कराने व बिना विभागीय आदेश के ही उन्हें वेतन भुगतान करने का मामला प्रकाश में अाया है. यह गड़बड़ी प्रखंड नियोजन इकाई व शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से की गयी है. प्रखंड के छह स्कूलों में योगदान करनेवाले इन शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिए न तो जिला शिक्षा पदाधिकारी और न ही शिक्षा विभाग के निदेशक से कोई मार्गदर्शन मिला है. वहीं, सूत्रों का कहना है कि कैमूर जिले में बगैर सीट के कुल 38 शिक्षकों की बहाली की गयी है.
दरअसल, जिला अपीलीय प्राधिकार के आदेश पर भगवानपुर के प्रखंड नियोजन इकाई के सचिव सह प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने तीन फरवरी 2018 को कुल 22 शिक्षकों के नियोजन का आदेश जारी किया था. इस आदेश के अनुपालन में अड़चन यह था कि प्राधिकार ने 2008 की रिक्त सीटों पर उन्हें नियोजित करने का आदेश पारित किया था. लेकिन, खास बात यह कि 2008 की रिक्तियों को शिक्षा विभाग ने 2012 की रिक्तियों में समायोजित कर बहाली कर ली थी.
ऐसे में 2008 की कोई सीट खाली ही नहीं थी, जिस पर प्राधिकार के आदेश पर शिक्षकों की बहाली की जा सके. लेकिन, इधर 22 में से 20 शिक्षकों का छह विद्यालयों में बगैर सीट के ही आठ से 17 मई के बीच योगदान करा लिया गया. इसके बाद भगवानपुर के बीईओ ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को 19 मई 2018 को पत्र लिख इस मामले में मार्गदर्शन मांगा है. मार्गदर्शन मांगे जाने पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बीईओ से जवाब मांगा कि जब भगवानपुर प्रखंड में शिक्षकों के रिक्त पद ही नहीं हैं, तो फिर उनका योगदान कैसे करा लिया गया? क्या इसके लिए विभाग की अनुमति ली गयी? अगर प्राधिकार का आदेश विभागीय नियम के अनुकूल नहीं था,
तो फिर क्या नियोजन इकाई द्वारा राज्य अपीलीय प्राधिकार में अपील की गयी? इस मामले में शिक्षकों के योगदान से पहले ही प्राधिकार का आदेश आने के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बीईओ को 18 अप्रैल 18 को पत्र लिख कर शिक्षकों के नियोजन संबंधित कागजात बिंदुवार जांच कर मांगा. इसमें आवेदन पंजी, औपबंधिक मेधा सूची, आपत्ति पंजी, अंतिम मेधा सूची, काउंसेलिंग पंजी, चयनित सूची, योगदान का पत्र, नियुक्ति पत्र सहित उनके सर्टिफिकेट एवं अन्य दस्तावेजों की मांग की गयी. लेकिन, बहाल शिक्षकों से संबंधित कोई भी कागजात डीईओ कार्यालय को अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया. डीईओ के बिना मार्गदर्शन के ही इन 20 15 शिक्षकों के वेतन का भी भुगतान कर दिया गया है.
पदस्थापित शिक्षकों के नाम
शिक्षक विद्यालयों का नाम
रमेंद्र कुमार सिंह उमवि अमरपुर
रामाश्रय सिंह उमवि अमरपुर
राकेश कुमार पांडेय उमवि अमरपुर
कन्हैया प्रसाद उमवि घोषा
अनीता श्रीवास्तव उमवि घोषा
सुनील कुमार सिंह चौहान उमवि घोषा
अनीता कुमारी उमवि घोषा
फिरोज कुमार सुमन उमवि पिहरा
सीता कुमारी उमवि बल्लीपुर
खुशबू कुमारी उमवि बल्लीपुर
अंजना कुमारी उमवि बल्लीपुर
आरती कुमारी उमवि बल्लीपुर
पूनम कुमारी उमवि दुल्लहपुर
धर्मजीत सिंह उमवि जैतपुरकला
शिवदानी पासवान उमवि जैतपुरकला
एक शिक्षक पदाधिकारी का रिश्तेदार भी
सूत्रों के मुताबिक, शिक्षकों की बहाली में गड़बड़ी बड़े पैमाने पर हो रही है. इसमें शिक्षा विभाग के जिलास्तर के अधिकारी से लेकर कई अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल हैं. सूत्र यह भी बताते हैं कि योगदान कराये गये 20 शिक्षकों में एक शिक्षक शिक्षा विभाग के जिला स्तर के एक पदाधिकारी का नजदीकी रिश्तेदार भी बताये जा रहे है.
क्या कहते हैं डीएम
डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने इस मामले में पूछे जाने पर बताया कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी. अगर ऐसा हुआ है, तो पूरे मामले की जांच करा कर दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी. यह मामला काफी गंभीर है. इसमें अधिकारी हो या कर्मी, जो जांच में दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जायेगी.
क्या कहते हैं डीईओ
इस संबंध में डीईओ कामेश्वर कामती ने बताया कि यह मामला उनकी संज्ञान में आने के बाद उन्होंने बीईओ भगवानपुर से कई बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है. शिक्षा विभाग के निदेशक को भी पत्र लिख कर मार्गदर्शन मांगा गया है. विभाग को अवगत कराते हुए निदेशक से यह मार्गदर्शन मांगा गया है कि बगैर सीट के ही भगवानपुर में 15 शिक्षकों को योगदान करा लिया गया है. ऐसे में आगे क्या करना चाहिए.
क्या कहते हैं बीईओ
इस मामले में पूछे जाने पर भगवानपुर के बीईओ केसरी सुधीर सिंह पहले तो भड़क उठे, फिर उन्होंने कहा कि मैं भुगतान नहीं करता हूं, तत्कालीन डीपीओ स्थापना के लिखित आदेश पर मैंने शिक्षकों का वेतन बना कर भेजा था, जिसका भुगतान जिला से ही किया गया है. इस मामले में मैं और कुछ नहीं बता सकता. आप वहीं मौजूदा डीपीओ स्थापना से बात करें.

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