सर्वे कर 38 एसी लगाये जाने की जगह चयनित
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गर्मी से मरीज बेहाल, अधिकारी उठा रहे एयर कंडीशन का आनंद
सर्वे कर 38 एसी लगाये जाने की जगह चयनित भभुआ सदर : जिले के सदर अस्पताल में उपचार कराने आनेवाले मरीजों को डॉक्टर के उपचार व दवाओं से भले ही राहत मिल रही हो, लेकिन गर्मी ने उन्हें बेहाल कर दिया है. लगातार तापमान में बढ़ोतरी होने के बाद भी सदर अस्पताल में प्रशासन ने […]
भभुआ सदर : जिले के सदर अस्पताल में उपचार कराने आनेवाले मरीजों को डॉक्टर के उपचार व दवाओं से भले ही राहत मिल रही हो, लेकिन गर्मी ने उन्हें बेहाल कर दिया है. लगातार तापमान में बढ़ोतरी होने के बाद भी सदर अस्पताल में प्रशासन ने वार्डों में अभी तक ऐसी क्या कूलर भी नहीं लगाये गये हैं. दूसरी तरफ सदर अस्पताल के अधिकारी अपने चेंबर में बैठ एयर कंडीशन का आनंद उठा रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल अस्पताल के कर्मचारियों का है, जिनके कार्य स्थल का अब तक गर्मी से निजात की कोई व्यवस्था प्रबंधन द्वारा नहीं की जा सकी है. इधर, जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है. वार्डों में मरीजों का रहना मुश्किल हो गया है.
गर्मी से बेहाल मरीजों की हालत ये है कि कई रात को घर चले जाते हैं. स्थिति ऐसी आ पहुंची है कि मरीजों को वार्ड की गर्मी सहन नहीं होती है, तो वे कभी अंदर तो कभी बाहर आकर उठते-बैठते रहते हैं. लेकिन, फिर भी उन्हें उमस और गर्मी से राहत नहीं मिल रही है. न्यूनतम तापमान 30 डिग्री होने से वार्डों में भर्ती मरीजों को रात को भी राहत नहीं मिल पा रही है.
मरीजों के वार्ड में कूलर भी नहीं लगा गौरतलब है कि पिछले साल 14 दिसंबर को जब सदर अस्पताल का सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने औचक निरीक्षण किया था, तो उन्होंने बिहार के कुछ अन्य जिलों की तरह भभुआ सदर अस्पताल में भी अधिकारियों व जनता जनार्दन के बीच अस्पताल को गर्मी के मौसम से पहले पूर्णतः वातानुकूलित कर दिये जाने का एलान किया था. लेकिन, भीषण गर्मी अब सिर पर तांडव करने लगी है और मरीज से लेकर परिजन तक बेचैन हैं. लेकिन, स्वास्थ्य मंत्री का वादा अब तक कोरा ही साबित हुआ है. वैसे गौर करनेवाली बात यह है कि स्वास्थ्य मंत्री की घोषणा के बाद मरीजों के वार्ड में भले ही ऐसी क्या कूलर भी नहीं लगाये जा सके. लेकिन, अधिकारियों के चेंबर में इस गर्मी ऐसी जरूर लग गये हैं.
सर्वे के बाद भी एसी लगाने का कार्य अधूरा
सदर अस्पताल को पूर्णतः वातानुकूलित करने में हो रही देरी के संबंध में अस्पताल की व्यवस्था संभालने वाले अस्पताल प्रबंधक मनीषचंद्र श्रीवास्तव का स्पष्ट कहना था कि अस्पताल में किन-किन जगहों पर ऐसी लगायी जायेगी. कुछ सेंट्रल ऐसी भी लगाये जाने हैं. इसके लिए सर्वे का काम पूर्ण हो चुका है. इसमें सदर अस्पताल के भर्ती वार्ड से लेकर इमरजेंसी, ओपीडी सहित दवा भंडारण व कक्ष में 38 ऐसी लगाये जाने हैं. सर्वे के बाद कार्य कितना आगे बढ़ा, उन्हें इसके बारे में और अधिक जानकारी नहीं है.
मरीजों के साथ परिजन भी परेशान
अस्पताल में भर्ती मरीज तो अपनी अस्वस्थता के कारण बेड पर ही रहते हैं. लेकिन, मरीज के परिजनों का हाल इससे भी ज्यादा बुरा है. मरीज को अकेले नहीं छोड़ने तथा रात काटने की मजबूरी इनके सामने होती है. लिहाजा दर्जनों महिला व पुरुष मरीज व उनके परिजन 24 घंटे भीषण गर्मी सहने को मजबूर हैं. यह नजारा न केवल अस्पताल के एक वार्ड में है. बल्कि अधिकतर वार्डों में इसी तरह की स्थिति बनी हुई है. एक मरीज के परिजन ने बताया कि उमस और गर्मी से राहत नहीं मिलने के कारण रात तो जैसे-तैसे कट जाती है. लेकिन, दिन में स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो जाती है. दिन में एक-एक मिनट काटना मुश्किल हो जाता है. लेकिन, उपचार कराने दूरदराज से आने के कारण वे अस्पताल छोड़ कर कहीं जा भी नहीं सकते.
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