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वन माफियाओं की होगी पौ बारह, नक्सलियों की कटेगी चांदी

भभुआ : कैमूर में केंदू पत्ता का टकसाल खुलते ही तय है कि वन माफियाओं की पौ बारह होगी और नक्सलियों की भी चांदी कटेगी. गौरतलब है कि कैमूर का पूरा वन प्रक्षेत्र 113402 हेक्टेयर में फैला है. इसमें से 986444 हेक्टेयर एरिया सेंचुरी क्षेत्र में तथा वन प्रक्षेत्र का 14758 हेक्टेयर एरिया नन सेंचुरी […]

भभुआ : कैमूर में केंदू पत्ता का टकसाल खुलते ही तय है कि वन माफियाओं की पौ बारह होगी और नक्सलियों की भी चांदी कटेगी. गौरतलब है कि कैमूर का पूरा वन प्रक्षेत्र 113402 हेक्टेयर में फैला है. इसमें से 986444 हेक्टेयर एरिया सेंचुरी क्षेत्र में तथा वन प्रक्षेत्र का 14758 हेक्टेयर एरिया नन सेंचुरी क्षेत्र में आता है. इसी नन सेंचुरी क्षेत्र से ही केंदू पत्ता की तोड़ाई व संग्रहण किया जाना है. लेकिन खबरों की माने तो इस नन सेंचुरी एरिया में वर्ष 2002 में किये गये सर्वेक्षण के अनुसार केंदू पत्ता के श्रोतों की संख्या बेहद कम थी.

हालांकि वर्ष 2002 के बाद नन सेंचुरी एरिया में केंदू पत्ता के श्रोतों का सर्वे किया गया अथवा नहीं इस संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए निगम के डिविजनल मैनेजर से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका. जबकि वन विभाग को किसी अन्य सर्वे के बारे में कोई जानकारी नहीं है. अब अगर वर्ष 2002 के सर्वे को ही आधार मान लिया जाये तो तय है कि नन सेंचुरी एरिया के टेंडर पर वन माफिया सेंचुरी एरिया से केंदू पत्ता उठाने से बाज नहीं आनेवाले हैं.

ऐसे में वन माफियाओं का पौ बारह तो होगा ही. साथ ही जैसे वन माफिया सेंचुरी एरिया में घुसेंगे वैसे ही उन पर नक्सलियों की नजर भी गड़ जायेगी. फिर नक्सलियों द्वारा पहले केंदू पत्ता व्यवसाय में चलाये जा रहे लेवी सिस्टम का भी लागू होना तय हो जायेगा और उनकी भी चांदी कटेगी.

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