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जिला दवा भंडार गृह में फिर साढ़े चार हजार बोतल आरएल दवा एक्सपायर्ड

2016 में खरीदी गयी आरएल दवाओं की हुई खपत, 2015 की दवाएं हुई एक्सपायर्ड भभुआ कार्यालय : कैमूर का स्वास्थ्य विभाग अपने हैरान कर देनेवाले कारनामों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहता है. स्वास्थ्य विभाग के जिला दवा भंडार गृह में एक बार फिर साढ़े चार हजार बोतल आरएल (रिंग लेक्टर) दवा रखी-रखी एक्सपायर्ड कर […]

2016 में खरीदी गयी आरएल दवाओं की हुई खपत, 2015 की दवाएं हुई एक्सपायर्ड

भभुआ कार्यालय : कैमूर का स्वास्थ्य विभाग अपने हैरान कर देनेवाले कारनामों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहता है. स्वास्थ्य विभाग के जिला दवा भंडार गृह में एक बार फिर साढ़े चार हजार बोतल आरएल (रिंग लेक्टर) दवा रखी-रखी एक्सपायर्ड कर गयी. यह दवाई 2015 में बिहार में दवा की आपूर्ति करनेवाली सरकारी एजेंसी बीएनएसआईसीएल से खरीदी गयी थी. आरएल की दवा (पानी की बोतल) का इस्तेमाल डायरिया, डिलिवरी व मरीजों के कमजोर होने की स्थिति में चिकित्सकों द्वारा अधिकतर किया जाता है. खास बात यह है कि 2016 में स्थानीय स्तर पर जो आरएल दवा खरीदी गयी, वह स्टॉक में समाप्त हो गयी और जो 2015 में सरकारी एजेंसी से खरीदी गयी वह दवा स्टॉक में रखी-रखी ही एक्सपायर्ड हो गयी.
दरअसल, 2015 में कैमूर के स्वास्थ्य विभाग द्वारा 25 हजार बोतल आरएल बीएनएसआईसीएल से मंगायी गयी थी. उसमें साढ़े 20 हजार बोतल आरएल दवा का इस्तेमाल स्वास्थ्य विभाग द्वारा कर लिया गया और साढ़े चार हजार बोतल आरएल दवा स्टोर में ही 31 मार्च 2018 को एक्सपायर्ड कर गयी. दवा के एक्सपायर्ड करने के बाद सिविल सर्जन कैमूर द्वारा बीएनएसआईसीएल को दवा वापस ले जाने के लिए पत्र लिखा है. आरएल दवा का बाजार मूल्य लगभग 45 रुपये प्रति बोतल है. ऐसे में लगभग दो लाख रुपये की साढ़े चार हजार बोतल आरएल दवा स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण 12 दिनों पहले एक्सपायर्ड कर गयी है.
इसमें चौकानेवाली बात यह है कि 2016 में स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य विभाग ने आरएल की खरीदारी की थी. 2015 में सरकारी एजेंसी से मंगायी गयी आरएल दवा स्टोर में पड़ी रही और 2016 में स्थानीय स्तर पर खरीदी गयी आरएल दवा को खपत कर दिया गया. जबकि, जो दवा पहले मंगायी गयी या जिसका एक्सपायरी पहले है, उसे नियमानुकूल पहले इस्तेमाल किया जाना चाहिए था. लेकिन, बाद में मंगायी गयी दवा को पहले इस्तेमाल किया गया और पहले से रखी गयी दवा का इस्तेमाल नहीं किये जाने के कारण वह एक्सपायर्ड हो गयी. आरएल दवा की खपत सदर अस्पताल से लेकर पीएचसी,
एपीएचसी पर प्रतिदिन भारी मात्रा में है. इसे डायरिया, डिलिवरी, मरीज को कमजोरी महसूस होने पर दिया जाता है. इतनी महत्वपूर्ण दवा होने के बावजूद बड़ी मात्रा में एक बार फिर आरएल दवा का एक्सपायर्ड होना स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है. ऐसा नहीं है कि दवा के एक्सपायर्ड करने का यह कोई पहला मामला है. दवाओं को एक्सपायर्ड करने के बाद अस्पताल में छुपाने एवं बाहर फेंके जाने के कई मामले पूर्व में भी सामने आ चुके हैं. लेकिन, उजागर होने के बाद जांच के नाम पर पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है.

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