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मछली मारनेवाले मछुआरों पर अब लगेगी लगाम
हर वर्ष प्रवासी पक्षियों का आता है बड़ा समूह भभुआ शहर : कैमूर व रोहतास के किसानों के फसलों की सिंचाई के लिए महत्वाकांक्षी दुर्गावती जलाशय तीन वर्षों से बन कर तैयार है. इस डैम के दायें तटबंध से निकलने वाली नहर से रोहतास तो बायें तटबंध के नहर से कैमूर जिले की हजारों एकड़ […]
हर वर्ष प्रवासी पक्षियों का आता है बड़ा समूह
भभुआ शहर : कैमूर व रोहतास के किसानों के फसलों की सिंचाई के लिए महत्वाकांक्षी दुर्गावती जलाशय तीन वर्षों से बन कर तैयार है. इस डैम के दायें तटबंध से निकलने वाली नहर से रोहतास तो बायें तटबंध के नहर से कैमूर जिले की हजारों एकड़ खेतों की सिंचाई होती है.
यह जलाशय सेंचुरी क्षेत्र में पड़ता है. इसलिए इसके विकास के लिए सिंचाई व वन विभाग का भी ध्यान अधिक रहता है. दुर्गावती जलाशय के जलसंग्रहण क्षेत्र का वन विभाग द्वारा मोटर बोट से निरीक्षण किया जायेगा.
ताकि, जलाशय क्षेत्र में मछली मारने वाले मछुआरों, प्रवासी पक्षियों के साथ अन्य गतिविधियों पर नजर रखा जा सके. इसके लिए विभाग द्वारा मोटर बोट व शेड के लिए योजना तैयार किया जा रहा है.
दुर्गावती जलाशय से संबंधित अधिकारियों के मुताबिक, पिछले वर्ष हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी दुर्गावती जलाशय के जलसंग्रह क्षेत्र में अपना बसेरा बनाये हुए थे. इन पक्षियों में ब्राह्मी बत्तख, स्किमर, औसप्रे, वाग टिंगल आदि शामिल थे, जो जल संग्रहण क्षेत्र के वृक्षों की टहनियों, छोटे वृक्षों व झाड़ियों में अपना बसेरा बनाये हुए थे. जाड़े के मौसम समाप्त होते ही वापस कर चले जाते है.
गौरतलब है कि इस जलाशय का जलसंग्रहण क्षेत्र 18 हजार हेक्टेयर में फैला हुआ है. इसके बीच में हरे भरे पेड़, पहाड़ों की लंबी शृंखला इन पक्षियों के प्रजनन हेतु उपयुक्त जगह साबित होता है. यही नहीं उन पक्षियों के भोजन के लिए इस जलाशय में मछलियों का बड़ा समूह भी उपलब्ध है. लेकिन, इस जलाशय के विस्तृत भू-भाग के जलसंग्रह क्षेत्र में निगरानी के लिए वन विभाग को फिलहाल काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
जलाशय से मछली मारने की रोक के बावजूद भी मछली मारने की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं. सूत्रों के अनुसार, जलाशय क्षेत्र में मछुआरों द्वारा नाव व ट्यूब पर बैठ कर जाल से मछली मारने का काम किया जाता है. संसाधन के अभाव में विभाग को जानकारी होने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. वॉच टाॅवर से होती है देखरेख
वर्तमान में दुर्गावती जलाशय के जल संग्रहण क्षेत्र व आसपास में वन विभाग द्वारा वॉच टाॅवर से देखरेख किया जाता है. जानकारी के मुताबिक, करीब छह सात माह पूर्व जलाशय के पश्चिमी पहाड़ी पर वन विभाग द्वारा वाॅच टाॅवर का निर्माण कराया गया. जहां से जल संग्रहण व इसके आसपास के क्षेत्रों में नजर नजर रहती है.
बोले डीएफओ
दुर्गावती जलाशय के जलसंग्रहण क्षेत्र की देखरेख के लिए एक मोटर बोट की जरूरत है. मोटर बोट व शेड के लिए करीब 12-13 लाख की लागत आयेगी है. इसके लिए योजना तैयार कर विभाग को भेजा जा रहा है. आगामी जनवरी तक मोटर बोट उपलब्ध हो जायेगा. इसके बाद जलाशय के जलसंग्रह क्षेत्र का हर गतिविधियों पर मोटर बोट से निरीक्षण करते हुए नजर रखा जायेगा. इसके साथ ही मछली मारने वाले मछुआरे पर लगाम लग जायेगी.
सत्यजीत कुमार, जिला वन पदाधिकारी, कैमूर
प्रवासी पक्षियों के संरक्षण हेतु बुलाये जायेंगे विशेषज्ञ
दुर्गावती जलाशय के सहायक अभियंता ने बताया कि में विगत वर्ष प्रवासी पक्षियों का एक बड़ा समूह आया हुआ था. इस बार भी प्रवासी पक्षियों का का समूह आया हुआ है. वहीं, इस संबंध में डीएफओ सत्यजीत कुमार से पूछे जाने पर बताया कि प्रवासी पक्षियों के संरक्षण हेतु उत्तराखंड के पक्षी विशेषज्ञ से बातचीत की गयी है. दिसंबर में विशेषज्ञों की आने की संभावना है. इसके बाद प्रवासी पक्षियों की संरक्षण हेतु क्या किया जा सकता है.
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