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परिवार को सुबह छह बजे मिली मौत की सूचना, मचा कोहराम

डीएसपी के अंगरक्षक के तौर पर तैनात थे भभुआ के मुन्ना चौधरी भभुआ सदर : मुजफ्फरपुर में वाहन चेकिंग के दौरान एक अनियंत्रित ट्रक द्वारा रौंदे जाने से कैमूर के एक जवान सहित पांच लोगों की मौत हो गयी. मृत जवान भभुआ शहर के वार्ड संख्या 13 निवासी नेबुलाल चौधरी का बेटा मुन्ना चौधरी बताया […]

डीएसपी के अंगरक्षक के तौर पर तैनात थे भभुआ के मुन्ना चौधरी
भभुआ सदर : मुजफ्फरपुर में वाहन चेकिंग के दौरान एक अनियंत्रित ट्रक द्वारा रौंदे जाने से कैमूर के एक जवान सहित पांच लोगों की मौत हो गयी. मृत जवान भभुआ शहर के वार्ड संख्या 13 निवासी नेबुलाल चौधरी का बेटा मुन्ना चौधरी बताया जाता है, जो मुजफ्फरपुर में डीएसपी के अंगरक्षक के तौर पर तैनात था.
इस हादसे में मृतक मुन्ना के साथ उसके तीन अन्य साथियों की भी मौत हो गयी. जबकि, इस घटना में मुजफ्फरपुर डीएसपी कृष्ण मुरारी प्रसाद व ओपी थानाध्यक्ष डीएन झा भी चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल बताये जाते हैं.
जानकारी के अनुसार, मुजफ्फरपुर के पानापुर ओपी क्षेत्र में रात एक बजे मुजफ्फरपुर-मोतिहारी हाईवे पर ट्रक से शराब आने की सूचना पर डीएसपी व ओपी थानाध्यक्ष अकुरहां ढाला पर सड़क किनारे वाहन लगा आनेवाले वाहनों की तलाशी लेने लगे. इस दौरान मोतिहारी की ओर से आ रहे एक तेज रफ्तार ट्रक सभी को रौंदता हुआ भाग निकला. ट्रक के रौंदे जाने से डीएसपी व थानाध्यक्ष सहित उनके तीन अंगरक्षक जिसमें मुन्ना भी शामिल था सहित एक सैप जवान व एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गये, जिन्हें अस्पताल पहुंचाया गया. लेकिन, अस्पताल में मुन्ना सहित अन्य चार ने दम तोड़ दिया.
दिव्यांग पिता पर आयी परिवार की जिम्मेदारी
शहर के वार्ड संख्या 13 के रहनेवाले मुन्ना चौधरी के असमय मौत के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी अब पुन: दिव्यांग (विकलांग) पिता के कंधों पर आ पड़ी है. मृतक मुन्ना के घर में उसके विकलांग पिता सहित मां, कुंवारी बहन, तीन भाई के अलावे उसकी पत्नी और उसके चार बच्चों का खर्च मुन्ना चला रहा था. पिता और भाई पहले ताड़ी के धंधे से जुड़े थे. लेकिन, सरकार के प्रतिबंध से वे सब भी बेरोजगार हो चले थे.
पिता भी पिछले साल ताड़ के पेड़ से गिर कर अपनी कमर तुड़वा चुके हैं और चलने फिरने के काबिल नहीं है. कमाऊ पुत्र के अकस्मात चले जाने से टूटे नेंबूलाल चौधरी का कहना था कि उससे परिवार को बड़ी उम्मीद थी. उसके भेजे रुपयों से घर का खर्च चलता था, न जाने भगवान को क्या सूझा कि एक गरीब परिवार का सहारा छीन लिया. तीन बेटियों व एक बेटे के पिता मृतक मुन्ना की सबसे बड़ी बेटी भी अभी सिर्फ पांच साल की है.
2011 में हुई थी बहाली
मृत पुलिस जवान मुन्ना का 17 दिसंबर 2011 को बिहार पुलिस में चयन हुआथा. पुलिस में चुने जाने के बाद उसकी पोस्टिंग मुजफ्फरपुर हुई थी, जहां पर वह पिछले छह वर्षों से तैनात था और पिछले वर्ष ही मुजफ्फरपुर डीएसपी के अंगरक्षक के तौर पर तैनात हुआ था. सिपाही बनने से पहले मुन्ना भी अपने पिता के ताड़ी उतारने के पुस्तैनी धंधे से जुड़ा हुआ था. वार्ड पार्षद उत्तम चौरसिया ने बताया कि मुन्ना का लक्ष्य था सिपाही बनना. क्योंकि, उसके कुछ साथी भी पुलिस में बहाल हुए थे, जिन्हें देख मुन्ना भी काफी लगन से मेहनत कर उस मुकाम तक पहुंचते हुए परिवार का सहारा बना था. लेकिन, यह सहारा भी छीन गया.

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