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टीबी नियंत्रण में बाधक बन रहे प्राइवेट डॉक्टर

रुचि नहीं लेने से टीबी नियंत्रण व उन्मूलन कार्यक्रम पड़ा मंद निर्देश के बावजूद अधिकतर प्राइवेट डॉक्टर विभाग को नहीं देते टीबी मरीजों की जानकारी भभुआ सदर : माना जाता है कि जिले की आबादी का करीब 60 प्रतिशत मरीजों का इलाज प्राइवेट डॉक्टरों द्वारा किया जाता है. स्वाभाविक है कि जब प्राइवेट डॉक्टर अधिक […]

रुचि नहीं लेने से टीबी नियंत्रण व उन्मूलन कार्यक्रम पड़ा मंद
निर्देश के बावजूद अधिकतर प्राइवेट डॉक्टर विभाग को नहीं देते टीबी मरीजों की जानकारी
भभुआ सदर : माना जाता है कि जिले की आबादी का करीब 60 प्रतिशत मरीजों का इलाज प्राइवेट डॉक्टरों द्वारा किया जाता है. स्वाभाविक है कि जब प्राइवेट डॉक्टर अधिक मरीज देखते हैं, तो उनके पास आनेवाले टीबी के लक्षण वाले मरीजों की संख्या भी सरकारी अस्पतालों की तुलना में अधिक ही होगी.
सरकारी अस्पतालों में इलाज करानेवाले टीबी मरीजों का फॉलोअप टीबी विभाग द्वारा किया जाता है. लेकिन, एक-दो डॉक्टरों को छोड़ दें, तो जिले के अधिकतर प्राइवेट डॉक्टरों द्वारा अपने मरीजों की जानकारी विभाग को नहीं दी जाती है, जिसके चलते प्राइवेट डॉक्टर सरकार द्वारा चलाये गये टीबी नियंत्रण व उन्मूलन कार्यक्रम में प्राइवेट डॉक्टर अब भी बाधक बने हुए हैं. करीब एक वर्ष पहले स्वास्थ्य विभाग ने राज्य से टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए निश्चय पोर्टल पर सभी टीबी मरीजों की पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. इस संबंध में विभाग ने प्राइवेट डॉक्टरों पर जोर देते हुए कहा था कि उन्हें प्रतिदिन अपने टीबी मरीजों की जानकारी निर्धारित फॉर्मेट में देना जरूरी है.
लेकिन, व्यावहारिक रूप में इस संबंध में शत-प्रतिशत विभाग को सफलता नहीं मिल पायी. प्राइवेट डॉक्टरों से टीबी के मरीजों को छीनने का उद्देश्य विभाग का कतई नहीं था. बल्कि, मरीजों को बेहतर सुविधा देकर राज्य व जिले से टीबी को खत्म करना था. प्राइवेट डॉक्टर अगर टीबी के मरीजों का स्पयूटम जांच, दवा व सीवीनेट मशीन से एमडीआर जांच के लिए भेजते हैं, तो विभाग यह सुविधाएं मरीजों को नि:शुल्क देकर उनका फॉलोअप भी करने को तैयार है. लेकिन, प्राइवेट डॉक्टरों को इस मामले में रुचि नहीं लिये जाने के चलते यह अभियान मंद पड़ा हुआ है.
निजी डॉक्टरों को किया जा रहा जागरूक
सदर अस्पताल के जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि विभाग ने सेमिनार का आयोजन कर प्राइवेट डॉक्टरों को टीबी बीमारी व डेली रेजीमन की जानकारी पूर्व में दी जा चुकी है. प्राइवेट व सरकारी अस्पताल के सभी टीबी मरीजों का डिटेल्स निश्चय पोर्टल पर अपलोड करना है. बहुत ही कम डॉक्टरों द्वारा टीबी मरीजों की जानकारी दी जा रही है. लेकिन, पहले से काफी सुधार हुआ है.
टीबी मरीजों की कुंडली बताता है निश्चय पोर्टल
सरकार द्वारा टीबी के मरीजों की पूरी जानकारी के लिए निश्चय नामक पोर्टल बनाया गया है. टीबी मरीजों की जानकारी कहीं भी निश्चय पोर्टल पर अब एक क्लिक में मिल जाती है. टीबी मरीज के इलाज से लेकर अब तक कितना ठीक हो पाया है.
इसकी जानकारी निश्चय पोर्टल से मिलती है. टीबी मरीजों का डाटा ऑनलाइन होने से राज्य में कहीं भी किसी भी टीबी मरीज की स्थिति आसानी से देखी जा सकती है. निश्चय पोर्टल पर मरीज के रजिस्टर्ड होने के बाद मरीज को एक यूनिक आइडी मिलती है, जिससे वह इस बीमारी के संबंध में कहीं भी डॉक्टरी सलाह ले सकता है.
जिले के अधिकतर डॉक्टर नहीं जुड़ सके पोर्टल से
हालांकि, इस पोर्टल से राज्यभर के सभी प्राइवेट डॉक्टरों को जोड़ा गया है. लेकिन, इस पोर्टल से जिले के अभी कुछ ही डॉक्टर जुड़ पाये हैं.
विभाग द्वारा कई बार सेमिनार का आयोजन कर प्राइवेट डॉक्टरों को इस पोर्टल पर अपने मरीजों की जानकारी अपलोड करने को विभाग ने अनुरोध किया गया. लेकिन, इसमें विभाग को पूर्ण रूप से कामयाबी नहीं मिल पायी. विभाग ने आद्रा इंडिया और डब्ल्यूएचआइ एनजीओ को प्राइवेट डॉक्टरों से टीबी मरीजों की सूचना एकत्र करने की जिम्मेदारी दी है. प्राइवेट डॉक्टरों द्वारा देखे गये टीबी मरीजों का फॉलोअप नहीं होने से मरीज दवा का पूरा कोर्स पूरा नहीं करता है. दूसरी बार जब वह डॉट सेंटर पहुंचता है, तब तक एमडीआर टीबी का मरीज का शिकार हो चुका होता है.

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