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चार घंटे में एक ही डॉक्टर देख रहे 500 मरीज !
गुरुवार को एक डॉक्टर के भरोसे रहा ओपीडी मरीज रहे परेशान सुधरने को तैयार नहीं अस्पताल प्रशासन भभुआ सदर : क्या ऐसा संभव हो सकता है कि एक डॉक्टर महज चार घंटे में यानी 240 मिनट में पांच सौ मरीजों का मर्ज जान लें और उसको दवा लिख दें. लेकिन, सदर अस्पताल में ऐसा हो […]
गुरुवार को एक डॉक्टर के भरोसे रहा ओपीडी
मरीज रहे परेशान सुधरने को तैयार नहीं अस्पताल प्रशासन
भभुआ सदर : क्या ऐसा संभव हो सकता है कि एक डॉक्टर महज चार घंटे में यानी 240 मिनट में पांच सौ मरीजों का मर्ज जान लें और उसको दवा लिख दें. लेकिन, सदर अस्पताल में ऐसा हो सकता है.
गुरुवार को मरीजों के इलाज के साथ खिलवाड़ सदर अस्पताल के वाह्रय रोगी विभाग में हुआ, जहां महज एक डॉक्टर ने सुबह आठ बजे से लेकर 12 बजे तक पांच सौ मरीजों का मर्ज जानते हुए उन्हें रोग संबंधित दवा लिख दी. यह सच सदर अस्पताल के रजिस्ट्रेशन रजिस्टर में दर्ज है. इस दौरान डॉक्टर ने मरीजों को न तो स्टेथेस्कोप लगाया और न ही अन्य कोई जांच की.
बस मरीज से मर्ज पूछा और परामर्श वाले परचे पर दवा लिख दी. इस संबंध में गुरुवार को ओपीडी में मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर से पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है. यहां अकेले इलाज करना पड़ रहा है. मरीजों की परेशानी देखते हुए केवल उनके मर्ज को पूछ दवा लिखना मजबूरी है. ऐसे में समझा जा सकता है कि अस्पताल की व्यवस्था कितनी बुरी तरह से कुव्यवस्था में बदली हुई है. लेकिन, अस्पताल प्रबंधन सब कुछ जानते हुए भी मरीजों को एक अकेले डॉक्टर या कहे भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है.
गौरतलब है कि बरसात के संक्रमित मौसम के चलते इन दिनों मरीजों की बाढ़ सी आयी हुई है. प्रतिदिन पांच सौ से अधिक बीमार बुढ़े, बच्चे व महिलाएं बेहतर इलाज के भरोसे सदर अस्पताल में आ रहे हैं. लेकिन, अस्पताल की कुव्यवस्था और न सुधरनेवाला अंदाज बीमारों को और बीमार कर रहा है. गुरुवार को सदर अस्पताल के ओपीडी में एक डॉक्टर के रहने से मरीजों को इलाज व परामर्श के लिए घंटों लाइन में लग कर जूझना पड़ा था. ओपीडी में गुरुवार को डॉ अभिलाष चंद्रा व डॉ एसआर सिंह की ड्यूटी थी.
लेकिन, डॉ एसआर सिंह के छुट्टी पर रहने के चलते डॉ अभिलाष चंद्रा को अकेले ही ओपीडी में मरीजों को देखना पड़ा. उन्होंने इस बारे में पूछने पर बताया कि अकेले ही वह मरीजों को देख रहे हैं. उधर, डॉक्टर के अकेले रहने के चलते मरीज अपनी बारी के इंतजार में लाइन में खड़े थे. लाइन में खड़ी भगवानपुर की मीना देवी, वार्ड संख्या दो के शिवप्रताप सिंह, मैनुद्दीन आदि का कहना था कि कब से लाइन में खड़े हैं.
लेकिन, अकेले डॉक्टर के रहने के चलते परेशानी हमलोगों को भी है. उनका कहना था कि आदमी सोच कर चलता है कि अस्पताल में अच्छा इलाज के साथ मुफ्त दवा मिलेगी. लेकिन, सदर अस्पताल में न डॉक्टर हैं और न ही दवा. वैसे सदर अस्पताल में जिले के शीर्ष अधिकारियों द्वारा सख्ती से दिये गये निर्देश के बावजूद अस्पताल के अधिकारी सुधरने को तैयार नहीं.
गुरुवार को भी अस्पताल प्रबंधन को पहले से पता था कि जिनकी आज ड्यूटी है वह डॉक्टर पिछले एक हफ्ते से छुट्टी पर हैं और मौसम के उतार-चढ़ाव से मरीजों की बाढ़ सी आयी हुई है. लेकिन, गुरुवार को अस्पताल प्रबंधन मात्र एक डॉक्टर के भरोसे मरीजों को छोड़ अपनी ड्यूटी बजाता रहे. सदर अस्पताल में केवल एक डॉक्टर के उपस्थित रहने पर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ प्रह्रलाद सिंह का कहना था कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. डॉक्टर के छुट्टी पर रहने के चलते कुछ परेशानी आ रही है.
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