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इचांव में अब भी डायरिया का कहर, बढ़ रहे मरीज

डायरिया से पीड़ित मरीजों का निजी अस्पताल में चल रहा इलाज उपस्वास्थ्य केंद्र पर अतिक्रमण के चलते नहीं मिल रहा लाभ चांद : इचांव गांव में अभी डायरिया की बीमारी थमने का नाम नहीं ले रही है. इचांव गांव में डायरिया का कहर जारी है, जिससे दिन प्रतिदिन काफी संख्या में लोग डायरिया की गिरफ्त […]

डायरिया से पीड़ित मरीजों का निजी अस्पताल में चल रहा इलाज

उपस्वास्थ्य केंद्र पर अतिक्रमण के चलते नहीं मिल रहा लाभ

चांद : इचांव गांव में अभी डायरिया की बीमारी थमने का नाम नहीं ले रही है. इचांव गांव में डायरिया का कहर जारी है, जिससे दिन प्रतिदिन काफी संख्या में लोग डायरिया की गिरफ्त में जा रहे हैं. अभी तक डायरिया से दो बच्चों की मौत भी हो चुकी है. इसे लेकर गांव में दहशत का माहौल बना हुआ है. पता चला है कि एक ही परिवार के सभी सदस्य डायरिया की चपेट में आ जा रहे हैं.

पीएचसी चांद द्वारा देखरेख के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र द्वारा टीम गठित की गयी है. लेकिन, उनके पास कुछ दवा व ब्लीचिंग पावडर के अलावे कुछ नहीं है. इचांव गांव में उपस्वास्थ्य केंद्र बने लगभग चार वर्ष से अधिक हो गया. लेकिन, अभी तक उसमें कोई स्टॉफ नहीं रहते. उक्त उपस्वास्थ्य केंद्र में भूसा भरा गया है और उसमें किसी पशुपालक द्वारा पशुओं को बांधा जाता हैं.

इसकी सूचना कई बार ग्रामीणों द्वारा लिखित व मौखिक प्रखंडस्तरीय पदाधिकारियों को दी गयी. लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई. अगर, इस उपस्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक रहते तो रात को लोगों को काफी सहूलियत होती.

दो बच्चों की हो चुकी है मौत: इचांव गांव में डायरिया का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, जिनका इलाज हाटा व भभुआ के निजी अस्पतालों में किया जा रहा है. डायरिया के प्रकोप से दो लोगों की मौत भी हो चुकी है. इससे गांव में डायरिया को लेकर दहशत का माहौल बना हुआ है. पता चला है कि जिला पार्षद चंचल मिश्रा ने प्रखंड व जिलास्तरीय स्वास्थ्य विभाग के साथ इचांव गांव में भ्रमण कर दवा का वितरण कराया गया.

क्या कहते हैं ग्रामीण

गांव के प्रमोद कुमार ने कहा कि इचांव गांव में उपस्वास्थ्य केंद्र हैं. लेकिन, अतिक्रमण के चलते इसका उपयोग नहीं होता है. अगर उपस्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सक रहते तो गांव के लोगों को लाभ मिलता.

ग्रामीण रामनगीना सिंह, हीरा बिंद ने कहा कि दूषित जल के चलते समस्या हुई है. पीएचसी चांद द्वारा टीम प्रतिदिन आ रही है. लेकिन, उसका खास लाभ नहीं मिल पा रहा है. जलजमाव के चलते लोग दूषित जल पीने को बाध्य हैं. तीन साल से बरसात के दिनों में यह समस्या हो रही है. कई प्रखंड व जिलास्तरीय पदाधिकारी तथा स्थानीय विधायक भी यहां आश्वासन दिया. लेकिन, अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

क्या कहते हैं अधिकारी

इस संबंध में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ब्रजभूषण पांडेय ने कहा कि इचांव गांव में डायरिया का प्रकोप अभी भी बरकरार है. इसके निदान के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है.

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