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घर से निकलते ही गंदगी व दुर्गंध से होता है सामना
शहर से तीन तरफ से घिरे अखलासपुर की हालत बदतर भभुआ सदर : भभुआ शहर से तीन तरफ से घिरे और जिले का सबसे बड़ा गांव होने का दंभ भरनेवाले अखलासपुर गांव की हालत बद से बदतर है. इस गांव के लोगों की विडंबना है कि उन्हें घर से निकलते ही सड़क किनारे फैले शौच […]
शहर से तीन तरफ से घिरे अखलासपुर की हालत बदतर
भभुआ सदर : भभुआ शहर से तीन तरफ से घिरे और जिले का सबसे बड़ा गांव होने का दंभ भरनेवाले अखलासपुर गांव की हालत बद से बदतर है. इस गांव के लोगों की विडंबना है कि उन्हें घर से निकलते ही सड़क किनारे फैले शौच व दुर्गंध से सामना होता है. इसके अलावे अखलासपुर गांव की साढे 12 हजार की आबादी को प्रतिदिन टूटी गलियों व जाम नालियों के गंदा पानी से जूझना पड़ता है.
इस गांव में जागरूकता या फिर प्रशासनिक शिथिलता की कमी कहे कि 80 प्रतिशत पक्के मकान व अधिकतर घरों में शौचालय होने के बावजूद इस गांव के अधिकतर लोग सड़क किनारे या खुले में शौच का मोह त्याग नहीं कर पा रहे हैं. न ही गांव के सभी प्रवेश मार्ग पर खुले में शौच की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए न तो जिला प्रशासन रुचि ले रहा है और न ही जनप्रतिनिधि.
घर में बने शौचालय के प्रति ग्रामीण उदासीन: जिले के सबसे बड़े गांव में ग्रामीण घर में बने शौचालय के प्रति काफी उदासीन नजरिया अपनाये हुए हैं, जिसके चलते गांव की सभी सड़कें शौच से पटी रहती है. गौरतलब है कि अखलासपुर पंचायत में सरकार की मदद से 2027 शौचालय के निर्माण कराये जाने थे. लेकिन, अब तक मात्र 1151 शौचालयों का ही निर्माण कराया जा सका. अभी भी इस गांव में 253 शौचालय का निर्माण द्रुतगति से चल रहा है.
जबकि, 703 शौचालय अब भी बनाये जाने शेष हैं. इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि इस गांव में अधिकतर लोग जो रहते तो हैं आलिशान घर में, लेकिन शौच के लिए अब भी बाहर ही जाते हैं. गांव के रमेश प्रसाद कहते हैं कि लोग खुद ही इस स्थिति के लिए जिम्मेवार हैं. क्योंकि, सरकार व बुद्धिजीवी घर में बने शौचालय का उपयोग करने को कह-कह के थक हार चुके हैं. लेकिन, लोगों को आज भी बाहर शौच करने का मोह त्याग नहीं पा रहे हैं.
गांव को बदसूरत बनाने में नगर पर्षद भी जिम्मेवार
नगर पर्षद से सटे होने की वजह से इस गांव की दुर्दशा के लिए नप भी बराबर की जिम्मेवार हैं.क्योंकि, शहर के नालों से निकलने वाला मुख्य नाले का पानी अखलासपुर स्टैंड होते हुए गांव के खाली स्थानों व खेतों में जमा हो जाता है, जिससे निकलती दुर्गंध लोगों का जीना हराम कर देती है. इसके अलावे गांव के भी गली, मुहल्लों में जल निकासी की सुदृढ़ व्यवस्था नहीं होने की वजह से घरों से निकलने वाली नालियों का पानी सड़क पर फैला रहता है. अखलासपुर गांव में रहनेवाले प्रवीन श्रीवास्तव का कहना था कि गांव के तीन तरफ से नदी व नहर बहती हैं. लेकिन, नालों की जर्जर स्थिति व जलनिकासी की व्यवस्था नहीं किये जाने से इस बरसात में गली व मुहल्ले नरक बन जाते हैं.
विधायकजी भी नहीं बदल सके गांव की तसवीर
अखलासपुर गांव ने भभुआ विधानसभा को चार बार प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया. लेकिन, भभुआ विधानसभा से जीतकर विधायक बने जनप्रतिनधि खुद अपने गांव का विकास नहीं कर सके. वर्ष 1985 में पहली बार गांव के रामलाल सिंह भभुआ से विधायक बने, तो लगा कि अब गांव का विकास होगा. लेकिन, ग्रामीणों की आशा पूरी नहीं हो सकी.
पुन: 1990, 1995 व 2000 में रामलाल विधायक बने. लेकिन, उनके सभी कार्यकाल में जरूरतों को छोड़ दे तो गांव का विकास अवरूद्ध ही रहा. इसके बाद वर्ष 2000, 2005 और 2010, 2015 में इसी गांव के डॉ प्रमोद सिंह विधायक बने. लेकिन, सड़कों को चकाचक करने के अलावे इनके कार्यकाल में भी कोई उतरोतर विकास गांव तक नहीं पहुंचाया गया, जिसका फल है कि आज भी इस गांव में लोगों की जरूरतों के अनुसार कोई व्यवस्था नहीं प्राप्त हो सकी है और आज भी लोग नरक भोगने को मजबूर हैं.
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