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व्यवस्था से हारे खिलाड़ियों ने संवारने का उठाया जिम्मा

स्टेडियम की रेतीली व बंजर जमीन पर खिलाड़ी खुद लगा रहे घास भभुआ सदर : प्रशासन से लगातार गुहार लगाये जाने के बावजूद जब शहर के प्रमुख जगजीवन स्टेडियम की हालत नहीं सुधरी, तो खेल के क्षेत्र में भविष्य ढूंढनेवाले खिलाड़ियों ने प्रशासनिक व्यवस्था से थक हार स्वयं स्टेडियम को संवारने व सुधारने का बीड़ा […]

स्टेडियम की रेतीली व बंजर जमीन पर खिलाड़ी खुद लगा रहे घास
भभुआ सदर : प्रशासन से लगातार गुहार लगाये जाने के बावजूद जब शहर के प्रमुख जगजीवन स्टेडियम की हालत नहीं सुधरी, तो खेल के क्षेत्र में भविष्य ढूंढनेवाले खिलाड़ियों ने प्रशासनिक व्यवस्था से थक हार स्वयं स्टेडियम को संवारने व सुधारने का बीड़ा उठा लिया. खिलाड़ी स्टेडियम की रेतीली व बंजर जमीन पर घास लगा इसकी शुरुआत भी कर चुके हैं. स्टेडियम में क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी खेलनेवाले खिलाड़ी जंगली घास को लाकर स्टेडियम में लगाने का कार्य बारी-बारी से कर रहे हैं. यूं तो कैमूर को फुटबॉल, क्रिकेट व वॉलीबॉल के क्षेत्र में खेलकूद का नर्सरी कहा जाता है.
लेकिन, जिले में सुयोग्य माली के बिना इस नर्सरी का वांछित विकास नहीं हो रहा. यहां खिलाड़ी बदहाल व्यवस्था से जूझते हुए अपने दमखम, आत्मबल व दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर खेल जगत में अपनी खास पहचान बना रहे हैं. लेकिन, जिला प्रशासन व जिले के जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा व उदासीनता से जिले में खेलकूद का स्तरीय उन्यनयन नहीं हो पा रहा है.
दोमट की जगह बलुआही मिट्टी : गौरतलब है कि दो साल पहले पांच लाख की राशि से स्टेडियम में मिट्टी भराई का कार्य कराया गया था. लेकिन, प्रशासन के निर्देश पर ठेकेदार द्वारा स्टेडियम में दोमट मिट्टी की जगह बलुआही मिट्टी डाल दिया गया. बलुआही मिट्टी के चलते स्टेडियम में घास की परत आयी ही नहीं. इस बीच रेगिस्तान की तरह स्टेडियम में उड़ते धूल और बारिश में भारी जलजमाव से निजात दिलाने के लिए खिलाड़ी से लेकर खेल प्रतिनिधि तक डीएम से गुहार लगा चुके. लेकिन, दो साल तक प्रशासनिक रवैये के चलते स्टेडियम की बदहाली दूर नहीं की जा सकी. थक हार कर खिलाड़ियों ने इस बरसात स्वयं रेतीले हो चुके स्टेडियम की जमीन पर घास लगाने की ठानी है.
हालांकि, इस 26 जनवरी डीएम राजेश्वर प्रसाद सिंह ने भवन विभाग के कार्यपालक अभियंता को स्टेडियम को एक महीने तक बंद कर घास लगाने का निर्देश दिया था. लेकिन, डीएम का यह आदेश भी वित्तीय अड़चनों के चलते हवा हवाई हो गया.
घास लगाने के लिए फिर से बोला जायेगा : स्टेडियम की बदहाल व्यवस्था पर इसके सचिव सह भभुआ एसडीओ ललन प्रसाद ने कहा कि पूर्व में डीएम साहेब द्वारा घास लगाने को कहा गया था. अब किन कारणों से घास का रोपण नहीं किया गया. इस संबंध में पत्राचार किया जायेगा. भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता को पुन: स्टेडियम में घास लगाने को कहा जायेगा.
आखिर किसके यहां फरियाद लगायी जाये
स्टेडियम में गुरुवार को घास लगाने में जुटे और इस सीजन बिहार स्टेट क्रिकेट को रिप्रजेंट करके आये उदीयमान क्रिकेट खिलाड़ी प्रिंस सिंह का कहना था कि स्टेडियम में बालुहट मिट्टी के चलते प्रैक्टिक्स करने में नहीं बनता, कई बार स्टेडियम में घास लगवाने को प्रशासन से कहा गया. लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई. मजबूरन अब हमलोग स्वयं घास लगाने रहे हैं.
वहीं, हॉकी में बिहार जूनियर नेशनल खेल कर आये अजीत चौधरी का कहना था कि शहर में खेलने के लिए एकमात्र स्टेडियम बचा हुआ है. लेकिन, बंजर समान भूमि व जलजमाव के चलते अक्सर प्रैक्टिक्स में असुविधा होती है. डीएम से लेकर अन्य अधिकारी भी इस स्टेडियम में आते हैं. लेकिन, खेल और खिलाड़ियों को सुविधा प्रदान करने में उनका नजरिया काफी उदासीन है.
सीएम के आगमन पर बंद नालियों से हो रहा जलजमाव
जगजीवन स्टेडियम में घास की अनुपलब्धता तो खिलाड़ियों को रूलाती ही है. जलजमाव की समस्या भी उन्हें प्रतिभा निखारने में रोड़ा अटकाती है. स्टेडिय के केयर टेकर कबीर अली ने जलजमाव की समस्या पर बताया कि सीएम नीतीश कुमार के सात निश्चय यात्रा को लेकर स्टेडियम में आयोजित जनसभा के चलते स्टेडियम के मुख्य मंच के समीप बनी नालियों को मिट्टी डाल कर बंद कर दिया गया था, जो आजतक नहीं खोला गया.
कहा कि जब-जब बारिश होती है तो नाले में मिट्टी भरे होने के चलते स्टेडियम में जलजमाव हो जाता है. स्टेडियम में घास लगाने में जुटे अजय, प्रीतेश, रजनिश, फैजल, शशांक आदि ने बताया कि प्रशासन हम खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने में कोई मदद नहीं करता, हमलोग जैसे-तैसे अपने दम पर खेल रहे हैं.

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