भभुआ नगर : जिले में एक तरफ जहां अन्य प्रदेशों में निबंधित और रिजेक्टेड वाहनों का प्रयोग धड़ल्ले से होता है. वहीं, निजी वाहनों का उपयोग भी व्यावसायिक तौर पर किया जा रहा है. जिला परिवहन विभाग को इसकी सुध कहां कि वह इस पर लगाम लगा सके या नियंत्रण कर सके. वैसे भी यात्रियों […]
भभुआ नगर : जिले में एक तरफ जहां अन्य प्रदेशों में निबंधित और रिजेक्टेड वाहनों का प्रयोग धड़ल्ले से होता है. वहीं, निजी वाहनों का उपयोग भी व्यावसायिक तौर पर किया जा रहा है. जिला परिवहन विभाग को इसकी सुध कहां कि वह इस पर लगाम लगा सके या नियंत्रण कर सके. वैसे भी यात्रियों की सुविधाओं के मामले में तो परिवहन विभाग पहले से ही मौन धारण किये हुए हैं. इसी का खामियाजा है कि रूट पर न तो यात्रियों का किराया निर्धारित है
और न ही यात्री ओवरलोड पर नियंत्रण. शहर के अग्रवाल पेट्रोल पंप पर सैकड़ों निजी वाहन लगते हैं. इनका उपयोग धड़ल्ले से व्यावसायिक रूप में हो रहा है. कई लग्जरी गाड़ियां भी यहां आसानी से उपलब्ध हैं. बस जेब ढीली करने की जरूरत है. वाहन स्वामी अपनी मरजी से किराया निर्धारित करते हैं. नतीजा यह होता है कि हर कदम पर यात्री ठगी का शिकार होते हैं.
सरकारी राजस्व के प्रति भी विभाग की संजीदगी नहीं दिखती. निजी वाहनों के नाम पर वाहनों के हो रहे व्यावसायिक प्रयोग से सरकारी राजस्व का चूना लग रहा है. लेकिन, इसकी परवाह विभाग को भी नहीं है या फिर यूं कहा जाये कि विभाग जानबूझ कर इसे नजरअंदाज कर रहा है. बहरहाल मामला चाहे जो भी हो. लेकिन, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यहां निजी वाहनों का भी व्यावसायिक वाहन के रूप में प्रयोग होता है.
रिजेक्टेड वाहनों की नहीं होती जांच : शहर में यूपी, दिल्ली, हरियाणा, मुंबई आदि राज्यों से रिजेक्टेड वाहनों को यहां लाकर धड़ल्ले से चलाया जा रहा है. खटारा वाहनों की जांच को लेकर भी परिवहन विभाग द्वारा कोई सक्रियता नहीं दिखायी जाती.
क्या कहते हैं अधिकारी
निजी वाहन के नाम पर वाहनों का व्यावसायिक उपयोग करनेवालों के विरुद्ध अभियान चलाकर कार्रवाई की जायेगी. वाहनों के परमिट जांच का काम जिले में शुरू हो चुका है.
भरत भूषण प्रसाद, डीटीओ