गड़बड़ी . एक साल पूर्व घोषित किया गया था ओडीएफ गांव, िफर भी नहीं हुआ सुधार
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खुले में शौच के कलंक से नहीं उबरा कलानौर
गड़बड़ी . एक साल पूर्व घोषित किया गया था ओडीएफ गांव, िफर भी नहीं हुआ सुधार मॉडल का दर्जा प्राप्त इस गांव का विदेशी टीम ने किया था अवलोकन जहानाबाद : जिले के मखदुमपुर प्रखंड का एक गांव है कलानौर जिसे एक साल पूर्व प्रशासन के द्वारा खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) पहला गांव […]
मॉडल का दर्जा प्राप्त इस गांव का विदेशी टीम ने किया था अवलोकन
जहानाबाद : जिले के मखदुमपुर प्रखंड का एक गांव है कलानौर जिसे एक साल पूर्व प्रशासन के द्वारा खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) पहला गांव का दर्जा दिया गया था. उस वक्त इस गांव को मॉडल के रूप में पेश किया गया था. करीब ढाई सौ घरों वाले इस गांव के हर घर में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय बनाये गये थे. लेकिन कुछ ही दिनों के बाद उक्त कथित मॉडल गांव अपने पुराने वजूद में आ गया. आज स्थिति यह हो गयी है कि गांव के लोग खुले में शौच करने पर विवश है. ऐसा इसलिए हुआ कि लाखों रुपये की लागत से कलानौर के हर घरों में जो शौचालय बनाये गये वह कारगर नहीं है.
तकनीकी गड़बड़ी के कारण लोग शौचालय में जाना पसंद नहीं करते. खुले में शौच करना उनकी विवशता है. ग्रामीणों का कहना है कि जो शौचालय उनके घरों में बनाये गये उससे पानी का निकास नहीं होता. गंदगी जमी रहती है दुर्गंध फैलती है ऐसी हालत में ग्रामीण खुले में जाकर शौच करना ज्यादा मुनासिब समझते हैं. यहां उल्लेखनीय है कि हर घर शौचालय निर्माण को लेकर स्वयंसेवी संगठनों और विभिन्न एजेंसियों द्वारा कई स्तरों पर काम किया जा रहा है ताकि हर गांव को खुले में शौच से मुक्त बनाया जाये.
वहीं दूसरी तरफ जिले का पहला खुले में शौच से मुक्त गांव कलानौर की बड़ी आबादी आज भी फिर से खुले में शौच करने जाने को विवश है वे आशा लगाये हैं कि निर्मित शौचालय की गड़बड़ियों में सुधार होगा और उन्हें खुले में शौच करने जाने से मुक्ति मिलेगी. मखदुमपुर प्रखंड का यह गांव जिले का पहला ओडीएफ गांव है जहां सभी घरों में शौचालय का निर्माण करा उसे खुले में शौच से मुक्त गांव बनाया गया था. इस मामले में यह गांव एक मॉडल के रूप में उभरा था. इसे देखने तथा इस संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए कई देशी-विदेशी टीमों ने इस गांव का भ्रमण भी किया था. लेकिन आज इस गांव की बड़ी आबादी खुले में शौच जाती है.
इस कारण यह बताया जाता है कि जिन घरों में शौचालय बना है उन घरों में इसके उपयोग से दुर्गंध फैलती है जिस कारण रहना मुश्किल हो जाता है. ग्रामीणों की मानें तो शौचालय निर्माण में लगी एजेंसी द्वारा जो शौचालय का निर्माण कराया गया है उसमें पानी निकासी की कोई सुविधा नहीं है. जिसके कारण शौचालय का उपयोग करने से दुर्गंध फैलती है. इस परेशानी से बचने के लिए ग्रामीण इसका उपयोग करने के बजाय बाहर जाना ही उचित समझते हैं.
जागरूकता की भी है कमी:गांव के हर घर में शौचालय निर्माण करा प्रशासनिक स्तर पर इस गांव को ओडीएफ घोषित कर तो दिया गया. लेकिन ग्रामीणों में जागरूकता की कमी के कारण आज भी लोग इसका उपयोग करने की बजाय बाहर जाते हैं. वहीं कई लोगों की बाहर जाने की आदत है जो छूटती ही नहीं है. ऐसे में जागरूकता का अभाव के कारण लोग शौचालय का समुचित उपयोग नहीं कर पा रहे हैं.
क्या कहते हैं ग्रामीण
घर में शौचालय का निर्माण तो हुआ है, लेकिन इसका उपयोग नहीं करते हैं. बाहर जाना ही अच्छा लगता है. इसके उपयोग से दुर्गंध फैलती है.
उपेंद्र मांझी
शौचालय के उपयोग के बाद पूरे घर में बदबू भर जाती है. जिसके बाद घर में रहना मुश्किल हो जाता है. इस कारण से इसका उपयोग हमेशा नहीं करते हैं.
जयंति देवी
शौचालय काफी छोटा होने के कारण उपयोग में परेशानी होती है. वहीं दुर्गंध आने की भी शिकायत है..
अभिमन्यु कुमार
शौचालय का निर्माण हुआ है लेकिन बाहर जाने की आदत छूटती ही नहीं है. आदत से मजबूर होने के कारण खुले में शौच जाने से बाज नहीं आ रहे हैं.
नंद कुमार शर्मा
सभी घरों में शौचालय का निर्माण कराया गया है. अगर कोई टेक्नीकल गड़बड़ी है तो उसकी जांच करायी जायेगी.
राजेश कुमार दिनकर
मखदुमपुर प्रखंड के गांव कलानौर में बना शौचालय हुआ बदहाल .
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