रमजान . मसजिदें हुईं गुलजार, तरावीह शुरू, लोगों में उत्साह
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नजर आया चांद, शुरू हुआ रमजान
रमजान . मसजिदें हुईं गुलजार, तरावीह शुरू, लोगों में उत्साह जहानाबाद : चांद नजर आते ही माह-ए-मोबारक रमजान की शुरुआत हो गयी है. रोजेदारों ने चांद देखने का एहतेमाम किया और चांद नजर आते ही अल्लाह का शुक्र अदा किया. बच्चों ने पटाखे छोड़ कर माह-ए-रमजान का इस्तकबाल किया. मसजिदें नमाजियों से गुलजार हो गयीं. […]
जहानाबाद : चांद नजर आते ही माह-ए-मोबारक रमजान की शुरुआत हो गयी है. रोजेदारों ने चांद देखने का एहतेमाम किया और चांद नजर आते ही अल्लाह का शुक्र अदा किया. बच्चों ने पटाखे छोड़ कर माह-ए-रमजान का इस्तकबाल किया. मसजिदें नमाजियों से गुलजार हो गयीं. वहीं, चांद नजर आते ही सोमवार की रात से तरावीह शुरू हो गया. मंगलवार से मुसलिम भाई रोजे रखेंगे. रहमतों और बरकतों का महीना रमजान शुरू होते ही नेकियों का मौसम शुरू हो गया है.
जानकार बताते हैं कि रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं, वहीं दोजख के दरवाजे बंद कर दिये जाते हैं. इस महीने में नफिल नमाजों का सवाब फर्ज के बराबर और फर्ज नमाजों का सवाब सत्तर गुणा बढ़ा दिया जाता है. इसे कुरान के नाजिल का महीना भी कहा जाता है.
रमजान में महीने भर तोबा के साथ विभिन्न इबादतें की जाती हैं, ताकि इनसान के सारे गुनाह धुल जाएं और सारी दुनिया का मालिक राजी हो जाये. हर मुसलमान मर्द व औरत आकिल व बालिग पर रमजान का रोजा फर्ज है.
रोजा जिससे मकरूह हो जाता है :झूठ, गीवत, चुगली, गाली देना, नापाक रहना, फजूल बकना, नाच देखना, फिल्म देखना, जुआ, ताश, शतरंज और नाजायज खेल खेलना, बिल उजर किसी चीज को चखना या चबाना आदि से रोजा मकरू हो जाता है. रोजेदार को चाहिए कि मकर व रेया से परहेज करें और इबादत-ए इलाही में मशगूल व मशरूफ रहें.
रोजा जिससे टूट जाता है :हुक्का, बीड़ी, सिगरेट, पान ओर तंबाकू खाने से, कान में तेल डालने या चले जाने से, मुंह भर कै को निगल जाने से, नाक में पानी डालते वक्त दिमाग पर चढ़ जाने से रोजा टूट जायेगा.
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