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आंगनबाड़ी केंद्रों में आवंटन के अभाव में बंद है पोषाहार

हाल जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों का निजी मकान में संचालित होते हैं सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्र शौचालय व पेयजल जैसे सुविधा का खटकता है अभाव जहानाबाद : बाल कुपोषण दूर करने के उद्देश्य से मिलनेवाला खाना आवंटन के अभाव में बंद है. जिले में संचालित करीब नौ सौ से ऊपर आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार के राशि […]

हाल जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों का

निजी मकान में संचालित होते हैं सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्र
शौचालय व पेयजल जैसे सुविधा का खटकता है अभाव
जहानाबाद : बाल कुपोषण दूर करने के उद्देश्य से मिलनेवाला खाना आवंटन के अभाव में बंद है. जिले में संचालित करीब नौ सौ से ऊपर आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार के राशि नहीं मिलने के कारण बच्चों को खाना नहीं मिल पा रहा है. बच्चों को खाना नहीं मिलने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर केंद्रों पर बच्चों की उपस्थिति नगण्य रहती है. बाल कुपोषण मुक्त बिहार के नारे के साथ बढ़ता बाल विकास परियोजना विभाग में जनवरी के बाद से ही आवंटन का अभाव बताया जाता है.
पोषाहार के आवंटन के अभाव में लगभग महीन भर से आगंनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को अन्न से दर्शन नहीं हो पा रहा है. बच्चों को खाना नहीं मिलने के कारण बच्चों की उपस्थिति एवं योजना के सफल संचालन पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है. ऐसे तो समेकित बाल विकास के लिए समाज कल्याण विभाग द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था में सुधार के लिए कई तरह की जिम्मेवारी सौंपी गयी है. आंगनबाड़ी सेविका को समाज कल्याण की दिशा में जन्म से लेकर मृत्यु प्रमाण पत्र तक निर्गत करने का अधिकार दे दिया गया है.
स्कूल पूर्व शिक्षा हो या स्वास्थ्य के क्षेत्र में बच्चों को टीकाकरण जैसे महत्वपूर्ण सुविधा ग्रामीणों को उपलब्ध करायी जा रही है. लेकिन, जिले में पोषाहार के बंद होने से उक्त योजना लक्ष्य से भटकता नजर आ रहा है. केन्द्र संचालन में लगे सेविका-सहायिका भी अपनी कर्तव्य का निर्वहन करते हुए बच्चों की कम उपस्थिति का मुख्य कारण पोषाहार का अभाव बताते हैं. बीते वर्ष दिसंबर से समाज कल्याण विभाग के आलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक रियल टाइम मॉनीटरिंग सिस्टम विकसित करने पर जोर दिया था.
साथ ही शौचालय व पेयजल जैसी महत्वपूर्ण सुविधा आंगनबाड़ी केंद्र पर बहाल करने की बात कही गयी थी, लेकिन अभी भी सैकड़ों ऐसे केंद्र हैं, जहां पेयजल व शौचालय का अभी भी अभाव है. पेयजल जैसी महत्वपूर्ण सुविधा के नदारद रहने के कारण आस-पास के सरकारी चापाकल पर खाना बनाने से लेकर पीने के पानी तक निर्भर रहना पड़ता है. सैकड़ों केंद्र अब भी प्राइवेट मकान या फिर सामुदायिक भवन में संचालित किये जाते हैं.
हाल के दिनों में पोषण एवं बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य की देखभाल के लिए केंद्र पर कई तरह के स्वास्थ्य जांच के लिए जरूरी उपकरण भी उपलब्ध कराया गया है. लेकिन, फिलहाल महीना भर से पोषाहार के बंद होने से डिजिटल थर्मामीटर व आला के सहारे ही परियोजना का बाल विकास होता दिख रहा है. इस बाबत पूछे जाने पर डीपीओ श्रुतिदेव ने पोषाहार के बंद होने का मुख्य कारण आवंटन का अभाव बताया है.

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