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संसाधन पर्याप्त, फिर भी नहीं मिल रहा समुचित लाभ

संसाधन पर्याप्त, फिर भी नहीं मिल रहा समुचित लाभ जिले के अस्पतालों में बहाल चिकित्सीय सुविधा महज दिखावाआइसीयू, एसएनसीयू, व ब्लड बैंक का नहीं मिल रहा लाभसदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की भी हालत ठीक नहींज्यादातर मरीज रेफर किये जाते हैं पटनाफोटो- 2 से 5 तकमृत्युंजय कुमारजहानाबाद, नगर. सामाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा […]

संसाधन पर्याप्त, फिर भी नहीं मिल रहा समुचित लाभ जिले के अस्पतालों में बहाल चिकित्सीय सुविधा महज दिखावाआइसीयू, एसएनसीयू, व ब्लड बैंक का नहीं मिल रहा लाभसदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की भी हालत ठीक नहींज्यादातर मरीज रेफर किये जाते हैं पटनाफोटो- 2 से 5 तकमृत्युंजय कुमारजहानाबाद, नगर. सामाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है. लेकिन आम लोगों को स्वास्थ्य सुविधा का बेहतर लाभ नहीं मिल रहा है. जिले में न तो अस्पतालों की कमी है और न ही संसाधनों का अभाव है. फिर भी इसका लाभ आम लोगों तक नहीं पहुंच रहा है. कहीं चिकित्सकों की कमी तो कभी दवाओं के अभाव के कारण अस्पताल तक पहुंचने वाले मरीज भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह रहे हैं. जिले में संसाधन के नाम पर आइसीयू, एसएनसीयू के साथ ही हाईटेक ओटी की भी उपलब्धता है. अस्पतालों में 24 घंटे स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध रहने का दावा भी हो रहा है लेकिन जमीनी हकीकत इससे इतर है.क्या-क्या हैं सुविधाएं:आम लोगों तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर अनेको संसाधन उपलब्ध हैं. लेकिन इन ससाधनों का सही उपयोग नहीं होने के कारण मरीज इसके लाभ से वंचित रहते हैं. जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में आइसीयू, एसएनसीयू, जेनरल ओटी, आइओटी, ब्लड बैंक, पैथोलॉजी जांच घर, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, इसीजी आदि की सुविधाएं उपलब्ध है. लेकिन इन सुविधाओं का लाभ आम मरीज नहीं उठा पा रहे हैं. सदर अस्पताल में बना आइसीयू वर्षों से बंद पड़ा है . चिकित्सकों की कमी के कारण आधुनिक उपकरणों से लैस इस आइसीयू का लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है. जिसके कारण मरीज को पटना रेफर कर दिया जाता है.इमरजेंसी वार्ड की स्थिति: सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की हालत संतोषजनक नहीं रहने के कारण आपातकालीन मरीज को इसका भरपुर लाभ नहीं मिल रहा है. इमरजेंसी वार्ड में 15 बेड लगे हैं जिसके 2 बेड टूटे पड़े हैं वहीं अन्य बेडों की हालत भी काफी बेहतर नहीं है. आपातकालीन स्थिति में इलाज कराने आने वाले मरीजों को आधी से अधिक दवाएं बाहर से लाना पड़ता है. इमरजेंसी में प्रतिदिन 20-25 मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं, जिसमें अधिकांश मरीजों को बेहतर इलाज के नाम पर पटना रेफर कर दिया जाता है.ओपीडी की स्थिति :सदर अस्पताल में संचालित ओपीडी सेवा का लाभ प्रतिदिन 500 से अधिक मरीज उठाते हैं. ओपीडी में सामान्य चिकित्सक के साथ ही हड्डी, आंख, दांत, सर्जन, महिला चिकित्सक आदि उपलब्ध रहते हैं . चिकित्सकों द्वारा मरीजों का इलाज तो कर दिया जाता है लेकिन उन्हें जरुरी दवाएं नहीं मिल पाती हैं. ऐसे में मरीज या तो बाहर से दवा खरीद इलाज कराते हैं या फिर वे बिना दवा ही घर वापस लौट जाते हैं.इंडोर की स्थिति: सदर अस्पताल स्थित इंडोर में प्रतिदिन करीब 30 मरीज एडमिट रहते हैं. इन मरीजों को समय पर खाना तो उपलब्ध करा दिया जाता है. लेकिन जरूरी दवाओं के लिए उन्हें टकटकी लगाना पड़ता है. इंडोर में भरती मरीज को देखने डाॅक्टर साहब कब आते हैं यह निश्चित नहीं रहता है. यहां तक कि वार्ड अटेंडेंट भी बार-बार बुलाने के बाद ही उपस्थिति दर्ज कराती है. जिन मरीजों की पहुंच अस्पताल प्रशासन तक होती है उसका इलाज तो बेहतर ढंग से हो जाता है लेकिन सामान्य मरीज को डाक्टर साहब के इंतजार में अपना समय बिताना पड़ता है.अस्पतालों एवं चिकित्सकों की संख्या:जिले की जनसंख्या 12 लाख से अधिक है. ऐसे में जनसंख्या के अनुरूप न तो अस्पताल उपलब्ध है और न ही चिकित्सक. ऐसी स्थिति में सभी को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना संभव नहीं दिखता है.अस्पताल चिकित्सक सदर अस्पतालसदर अस्पताल-1 स्थायी चिकित्सक- 59 चिकित्सक- 19रेफरल अस्पताल-3 नियोजित चिकित्सक- 40 नर्सिंग स्टाफ- 20पीएचसी- 7 आयुष चिकित्सक- 27 ए ग्रेड – 29एपीएचसी- 39 कर्मियों की संख्या- 535 चतुर्थवर्गीय कर्मी- 21स्वास्थ्य उपकेंद्र- 266दवाओं की उपलब्धता: जिले के अस्पतालों में दवाओं की कमी के कारण मरीजों का बेहतर उपचार नहीं हो पा रहा है. दवाओं की कमी के कारण अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों को बाहर से दवा खरीदना पड़ रहा है. ऐसे में गरीब मरीज बिना दवा ही घर वापस लौट रहे हैं. अस्पताल के इंडोर में 112 तरह की दवा उपलब्ध रहने की बात बतायी जाती है. लेकिन फिलवक्त 80 दवाएं ही उपलब्ध हैं. कुछ एैसा ही हाल आउटडोर का भी है. आउटडोर में 33 प्रकार की दवाओं की उपलब्धता के स्थान पर मात्र 18 दवाएं ही उपलब्ध हैं. कई जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध नहीं रहने के कारण मरीजों का बेहतर इलाज करने का दावा खोखला दिखता है. सुरक्षा के इंतजाम: सदर अस्पताल की सुरक्षा निजी सुरक्षा गार्डों के हवाले है. एक निजी कंपनी की 15 गार्ड सदर अस्पताल की सुरक्षा में तैनात रहते हैं. लेकिन ये निहत्थे गार्ड सिर्फ दिखावे को ही अपनी ड्यूटी बजाते रहते हैं. सदर अस्पताल में अक्सर मरीजों के परिजनों द्वारा हंगामा व तोड़-फोड़ की घटना को अंजाम दिया जाता है. इस दौरान ये निहत्थे गार्ड सिर्फ मुकदर्शक बने घटना को देखते रहते हैं. सदर अस्पताल में कितनी राशि होती है खर्च-साफ-सफाई- 36,000सुरक्षा- 80,000जेनरेटर- 75,000भोजन- 125,000 क्या कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक: मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अस्पताल प्रशासन कटिबद्ध है. इलाज कराने आने वाले सभी मरीजों का बेहतर इलाज किया जा रहा है. दवाओं की उपलब्धता थोड़ी कम है इसके लिए टेंडर निकाला गया है. शीघ्र ही सभी दवाएं उपलब्ध हो जायेंगी: डा. केके राय

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