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भगवान भरोसे हो रहा मरीजों का इलाज

भगवान भरोसे हो रहा मरीजों का इलाज एएनएम के सहारे संचालित हो रहा स्वास्थ्य उपकेंद्र सप्ताह में तीन दिन रहता है बंद सप्ताह में एक दिन पहुंचते हैं चिकित्सक फोटो-1,2 हाल. स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर इलाज के नाम पर हो रही खानापूर्तिइंट्रो: जिले में 39 स्वास्थ्य उपकेंद्र संचालित हैं. इसमें कई उपकेंद्रों में 24 घंटे मरीजों […]

भगवान भरोसे हो रहा मरीजों का इलाज एएनएम के सहारे संचालित हो रहा स्वास्थ्य उपकेंद्र सप्ताह में तीन दिन रहता है बंद सप्ताह में एक दिन पहुंचते हैं चिकित्सक फोटो-1,2 हाल. स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर इलाज के नाम पर हो रही खानापूर्तिइंट्रो: जिले में 39 स्वास्थ्य उपकेंद्र संचालित हैं. इसमें कई उपकेंद्रों में 24 घंटे मरीजों की सेवा प्रदान करने का दावा तो करता है लेकिन सच्चाई कुछ और ही है. सभी उपकेंद्र एएनएम के भरोसे संचालित हो रहे हैं. सप्ताह में एक दिन चिकित्सक आते हैं .वहीं सप्ताह में तीन दिन स्वास्थ्य उपकेंद्र बंद रहते हैं. दो दिन आर आइ के कारण तथा एक दिन मिटींग के नाम पर.ऐसे में मरीजों का इलाज कैसे होता होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. जहानाबाद(नगर). समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने को लेकर सरकार संकल्पित है. इसके लिए कई सार्थक प्रयास भी किया जा रहा है. लेकिन मैन पावर की कमी तथा इच्छाशक्ति के अभाव के कारण आम आदमी तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाना असंभव दिख रहा है. जिले में आम आदमी की इलाज भगवान भरोसे है. कहने को तो जिले में सैकड़ों की संख्या में अस्पताल का संचालन किया जा रहा है लेकिन वहां मरीजों के इलाज के लिए न तो चिकित्सक उपलब्ध हैं और नही अन्य सुविधाएं. ऐसे में भगवान भरोसे मरीज का इलाज किया जा रहा है. जिले में 39 स्वास्थ्य उपकेंद्र संचालित हैं. इसमें कई उपकेंद्रों में 24 घंटे मरीजों की सेवा प्रदान करने का दावा किया जाता है. लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है. जिले के सभी उपकेंद्र एएनएम के भरोसे संचालित हो रहे हैं. सप्ताह में एक दिन यहां चिकित्सक आते हैं बाकि दिन एएनएम द्वारा ही मरीजों का इलाज किया जाता है. इन उपकेंद्रों में छह बेड लगे होने के साथ ही अन्य उपकरण भी मौजूद हैं लेकिन इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्त्ति की जाती है. इन उपकेंद्रों में आने वाले चिकित्सक आयूष चिकित्सक होते हैं. वहीं सप्ताह में तीन दिन उपकेंद्र बंद रहता है. दो दिन आर आइ के कारण तथा एक दिन मिटिंग के नाम पर उपकेंद्र बंद रहता है. ऐसे में ग्रामीण इलाके के मरीजों का इलाज कैसे होता होगा. इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. सप्ताह में तीन दिन ही खुलता है स्वास्थ्य उपकेंद्र .जिले में संचालित स्वास्थ्य उपकेंद्र सप्ताह में तीन दिन ही खुलता है. उपकेंद्र में पदस्थापित एएनएम सप्ताह में दो दिन आर आइ के नाम पर उपकेंद्र से अनुपस्थित रहतीं है. जबकि एक दिन मिटींग के नाम अनुपस्थित रहतीं है. ऐसे में उपकेंद्रों में इलाज कराने आने वाले मरीजों को बिना इलाज कराये ही वापस लौट जाना पड़ता है. मरीजों का मर्ज अगर जानलेवा होता है तो वह इलाज कराने जिला मुख्यालय तक पहुंच जाते हैं. सप्ताह में एक दिन पहुंचते हैं चिकित्सक:स्वास्थ्य उपकेंद्रों में सप्ताह में एक दिन ही चिकित्सक पहुंचते हैं बाकी दिन एएनएम के सहारे उपकेंद्र का संचालन होता है. साथ ही मरीजों का इलाज किया जाता है. उपकेंद्र में इलाज कराने आने वाले मरीजों का इलाज कैसा होता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. सरकार द्वारा उपकेंद्रों का भवन निर्माण कराया गया है. साथ ही अन्य उपकरण भी उपलब्ध कराये गये हैं लेकिन चिकित्सक के अभाव में इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है. स्वास्थ्य उपकेंद्र कल्पा:सदर प्रखंड के कल्पा में सरकार द्वारा करोड़ों की लागत से स्वास्थ्य उपकेंद्र का विशाल भवन निर्माण कराया गया है. उपकेंद्र में छह बेड लगे हैं तथा मरीजों के सुविधा के लिए अन्य व्यवस्था भी किया गया है. यह उपकेंद्र 24 घंटे संचालित होता है. लेकिन यहां सप्ताह में एक दिन शनिवार को चिकित्सक आते हैं बाकी दिन आयूष चिकित्सक के सहारे ही मरीजों का इलाज किया जाता है. यहां प्रतिदिन 50-60 मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं. लेकिन इन मरीजों का इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्त्ति किया जाता है. जाड़े के मौसम में सर्दी,खांसी,बुखार आदि से पीडि़त मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं. लेकिन इन मरीजों का इलाज एएनएम के सहारे है. कहने को तो यहां डिलेवरी भी कराया जाता है. लेकिन सच्चाई इससे इतर है. जिले में अस्पताल की संख्या :सदर अस्पताल -01रेफरल अस्पताल-03पीएचसी-07एपीएचसी-39सब सेंटर-266चिकित्सकों की संख्यारेगुलर चिकित्सक-65नियोजित चिकितसक-30आयूष चिकित्सक-25क्या कहते हैं अधिकारी-चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य उपकेंद्रों में थोड़ी परेशानी होती है. हालांकि आयूष चिकित्सक को तैनात किया गया है ताकि मरीजों के इलाज में परेशानी न हो. -डाॅ. ध्रुव कुमार गुप्ता, एसीएमओ

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