लालटेन की रौशनी में होता है पोस्टमार्टम बिसरा सुरक्षित रखने की नहीं है व्यवस्था मृतक के परिजन लाते हैं जार, तभी रखा जाता है बिसरा फोटो-10,11 जहानाबाद(नगर). मौत के उपरांत उसके कारण व समय की जानकारी के लिए शव का पोस्टमार्टम किया जाता है. विशेष रूप से सस्पेक्ट केस में जिसमें मौत का कारण अज्ञात होता है वैसे केस में पोस्टमार्टम कराया जाता है ताकि मौत का कारण व समय की जानकारी हो सके. जिले में महीने में औसतन 20 पोस्टमार्टम होता है. इसके लिए अस्पताल के समीप पोस्टमार्टम रूम का निर्माण कराया गया है. लेकिन यहां सुविधाओं का घोर अभाव है. पोस्टमार्टम रूम में न लाइट की व्यवस्था है और न ही खिड़की में शीशा ही लगा है ऐसे में लालटेन की रोशनी में पोस्टमार्टम किया जाता है. इतना ही नहीं इस दौरान पोस्टमार्टम रूम के आसपास के लोग खिड़की के माध्मय से पोस्टमार्टम को लाइव देखते हैं. पोस्टमार्टम के लिए उपयोग किये जाने वाला उपस्कर का भी अभाव है .ऐसे में चिकित्सक पोस्टमार्टम के नाम पर सिर्फ खानापूर्त्ति कर अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन कर लेते हैं. जिले में पोस्टमार्टम रूम के निर्माण के लिए राशि पड़ी हुई है लेकिन पोस्टमार्टम रूम का निर्माण कब होगा यह कोई नहीं जानता है. उपस्कर का है अभाव:जिले में महीने में औसतन 20 पोस्टमार्टम होता है लेकिन पोस्टमार्टम में उपयोग आने वाले उपस्कर का घोर अभाव है. ऐसे में पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक किसी तरह से अपनी जिम्मेवारी का निवर्हन करते हैं. पोस्टमार्टम के लिए जब कोई शव आता है और इसकी सूचना चिकित्सक को दी जाती है तो उनके द्वारा सबसे पहले कर्मचारी को यह बताया जाता है कि अमूक उपस्कर की व्यवस्था कर लो इसके बाद ही वे पोस्टमार्टम के लिए जाते हैं. बिसरा सुरक्षित रखने की नहीं है व्यवस्था:जिले में पोस्टमार्टम के उपरांत बिसरा सुरक्षित रखने की कोई व्यवस्था नहीं है. बिसरा रखने के लिए शीशे का जार उपलब्ध नहीं होने के कारण मृतक के परिजनों को बाजार से जार खरीदकर देना पड़ता है. तभी बिसरा को रखा जाता है. बिसरा रखने के लिए सोडियम क्लोराइड के घोल का उपयोग किया जाता है. बिसरा को 15 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है. अधिकांश मामलों में बिसरा को तत्काल पुलिस को सौंप दिया जाता है ताकि वह उसे जांच के लिए ले जाएं. शीत घर की होनी चाहिए व्यवस्था:पोस्टमार्टम के लिए आने वाले शव को रखने के लिए शीत घर की व्यवस्था होनी चाहिए. लेकिन जिले में शीत घर नहीं रहने से सड़क किनारे शव को रखा जाता है. जहां बेवजह लोगों की भीड़ लगी रहती है. पोस्टमार्टम रूम पूरी तरह एसी तथा उसमें बेड की व्यवस्था होनी चाहिए लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है. चारो तरफ से खुला होने के कारण दुर्गंध फैला रहता है साफ-सफाई का भी घोर अभाव दिखता है. रात में भी किया जाता है पोस्टमार्टम:जिले में प्रशासनिक दबाव में रात में भी पोस्टमार्टम होता है. रात में पोस्टमार्टम किये जाने पर कोई फाइंडिग नहीं मिल पाता है. फिर भी प्रशासनिक दबाव के आगे अस्पताल प्रशासन अपनी जिम्मेवारी का निवर्हन करता है. पोस्टमार्टम रूम में प्रकाश की व्यवस्था नहीं होने के कारण लालटेन की रोशनी के सहारे ही पोस्टमार्टम किया जाता है. ऐसे में मौत के कारणों ही सही जानकारी होना संभव नहीं दिखता है. नये पोस्टमार्टम रूम का होना है निर्माण:जिले में नये पोस्टमार्टम रूम का निर्माण किया जाना है. इसके लिए राशि भी उपलब्ध है. लेकिन जगह के संबंध में स्पष्ट दिशा- निर्देश नहीं होने के कारण निर्माण कार्य ठप पड़ा है. ऐसे में पुराने रूम में जिसमें संसाधनों का घोर अभाव है तथा गंदगी का साम्राज्य कायम है,वहीं पोस्टमार्टम किया जा रहा है.
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लालटेन की रौशनी में होता है पोस्टमार्टम
लालटेन की रौशनी में होता है पोस्टमार्टम बिसरा सुरक्षित रखने की नहीं है व्यवस्था मृतक के परिजन लाते हैं जार, तभी रखा जाता है बिसरा फोटो-10,11 जहानाबाद(नगर). मौत के उपरांत उसके कारण व समय की जानकारी के लिए शव का पोस्टमार्टम किया जाता है. विशेष रूप से सस्पेक्ट केस में जिसमें मौत का कारण अज्ञात […]
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