जहानाबाद : घर से दूर दूसरे शहरों में किराये के कमरे, हॉस्टल में रहने वाले छात्रों को कभी-कभी चंद पैसों की खातिर भी मोहताज होना पड़ता है. अभिभावकों के द्वारा मोटी रकम न देकर पैसों को किश्त में भेजे जाने की जटिल प्रक्रिया से अब हर शख्स परेशान है. पैसा कम हो या ज्यादा इस भेजने के लिए जरूरी काम छोड़-छाड़ कर अभिभावकों को पहले तो बैंक में लंबी लाइन में लगते हैं.
फिर लंबी प्रक्रियाओं के बाद पैसा ट्रांसफर हो पाता है. जिसकी सत्यता जानने के लिए भी इन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है. कोई जरूरी नहीं की आरटीजीएस के पैसे तुरंत लाडले के खाते में चला ही जाय. खैर! जो भी आरबीआई की ये प्रक्रिया लोगों को रास नहीं आ रही. अन्य शहरों में में रहने वाले छात्रों को अकस्मात अगर पैसों की जरूरत पड़ जाये तो उन्हें कुछ घंटे अपने हाल पर ही जीना होगा. जरूरी नहीं कि जरूरत के हिसाब से उन्हें पैसा तुरंत मिल ही जाये.
दुर्घटना या बीमारी की स्थिति में तो दूसरे साथियों की मदद लेना इनकी मजबूरी है. यह स्थिति तब जटिल हो जाती है जब अभिभावक और उनके लाडले का खाता एक बैनर के बैंक में नहीं होता है.
इस बावत पूछे जाने पर जहानाबाद एसबीआई, मुख्य शाखा, जहानाबाद के मुख्य प्रबंधक आनंद कुमार झा ने बताया कि पैसा ट्रांसफर करने की प्रक्रिया है जो आरबीआई के रूल के अनुसार बैंकों को फॉलो करना होता है. अगर आपको एसबीआई से एसबीआई में पैसा ट्रांसफर करना है तो पूरे भारत में पैसा ट्रांसफर करने में आपको कोई दिक्कत नहीं होगी. मगर जैसे ही लेन-देन करने वाले बैंकों का बैनर बदलता है तो इसकी प्रक्रिया भी बदल जाती है.
रकम छोटी हो या बड़ी दोनों स्थिति में आरटीजीएस के बगैर पैसा ट्रांसफर नहीं हो सकेगा. इस स्थिति में बैंक के द्वारा निर्गत चेक से ही पैसा ट्रांसफर होता है. जिसमें आइएफएस नंबर भी देना अनिवार्य है. उसमें पैसा भेजे जाने वाले बैंक का भी पूरा विवरण देना होता है. इस बावत परेशानी झेल रहे कुछ अभिभावकों में से एक अरवल मोड़ निवासी संजय कुमार ने बताया कि मेरा बेटा दिल्ली में रहकर एमसीए की पढ़ाई कर रहा है.