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प्रभात खबर की ओर से फादर्स डे पर कवि गोष्ठी
जहानाबाद : ‘बरखा बहार में वियोगिनी की व्यथा कोई जाने न जाने, मगर चिड़िया जानती है.. बागवां को इल्म हो न हो मगर कलियों की व्यथा तितलियां जानती हैं.’ महेश कुमार मधुकर की इस कविता पर श्रोता झूम उठे. मौका था फादर्स डे पर आयोजित प्रभात खबर द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन का. इनडोर स्टेडियम परिसर […]
जहानाबाद : ‘बरखा बहार में वियोगिनी की व्यथा कोई जाने न जाने, मगर चिड़िया जानती है.. बागवां को इल्म हो न हो मगर कलियों की व्यथा तितलियां जानती हैं.’ महेश कुमार मधुकर की इस कविता पर श्रोता झूम उठे. मौका था फादर्स डे पर आयोजित प्रभात खबर द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन का.
इनडोर स्टेडियम परिसर में आयोजित कवि गोष्ठी में दर्जनों स्थानीय कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं मन मोह लिया. कवि सम्मेलन में युवा कवि सागर आनंद ने ‘रात फिर खामोश होगी, चांद फिर गुम जायेगा, तुम आयोगे इससे पहले दर्द हवा हो जायेगा’. ‘ यार तुम मेरी नजर को आजमाया न करो, इस तरह दिल बेखुदी में बावला हो जायेगा’ समेत कई रचनाओं से समां बांध दिया. सम्मेलन के दौरान कवि सत्येंद्र पाठक की ‘आजाद हिंद के अरमानों तुम समझो यह कहना है आजादी के गानों से गूंज रहा नील गगन, आजादी को छीनने का सबको था एक लगन’ की काव्य पंक्तियों खूब ताली बटोरी.
वहीं डॉ उमा शंकर सुमन ने ‘राह कब से देखती है जर्द चेहरों की चुभन, तेरे आते ही यह मौसम खुशनुमा हो जायेगा’ से श्रोताओं को श्रृंगार रस से भाव विभोर कर दिया. कवि सम्मेलन में सुधाकर राजेंद्र, सावित्री सुमन, रचना जोशी, रविशंकर प्रसाद, विश्वजीत अलवेला, अरविंद कुमार आजांस आदि ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को गुदगुदाया.
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