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जल संचयन बिना नहीं होगा नक्शा पास

जहानाबाद : राज्य में उत्पन्न भीषण जल संकट और गिरते जल स्तर को देखते हुए नगर विकास और आवास विभाग ने शहरी क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए नगर पर्षद जहानाबाद समेत राज्य के सभी शहरी निकायों को निर्देश जारी किये हैं. निर्देश के अनुसार भारत सरकार जल […]

जहानाबाद : राज्य में उत्पन्न भीषण जल संकट और गिरते जल स्तर को देखते हुए नगर विकास और आवास विभाग ने शहरी क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए नगर पर्षद जहानाबाद समेत राज्य के सभी शहरी निकायों को निर्देश जारी किये हैं. निर्देश के अनुसार भारत सरकार जल संसाधन मंत्रालय द्वारा प्रारंभ जल शक्ति अभियान को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए नगर पर्षद शहरी इलाके में सभी प्रकार के भूखंडों पर बनने वाले भवनों में छत वर्षा जल संचयन की संरचना बनाना अनिवार्य करेगा.

बिहार सरकार भवन निर्माण बायलॉज के अनुसार प्रत्येक घर की छतों में वर्षा के जल को संचय करना है. वहीं सभी नये पुराने सरकारी भवनों में एक साल के अंदर वर्षा जल संचय का इंतजाम कर लेने का निर्देश नगर पर्षद को दिया गया है.
क्या हैं निर्देश : भवन निर्माण उप नियमों के अनुसार प्रत्येक भवन में वर्षा जल संचयन करना है. प्रति 100 वर्ग मीटर छत के लिए छह क्यूबिक मीटर का रिचार्जिंग पिट बनाना है. पिट या भूमिगत टैंक की तली में महिन कंकड़ या बालू का लेयर देना है. वहीं कंक्रीट के स्लैब से पिट को ढक देना है.
छत पर गिरने वाले जल को एक पीवीसी पाइप के माध्यम से पिट ( टैंक ) में इकट्ठा करना है. वहीं प्लॉट की खुली जगह के एक हिस्से में मिट्टी की ऊपरी सतह को हटा कर उसमें बालू बिछा देना है, ताकि वर्षा जल उससे धीरे -धीरे जमीन में रिसकर समा सके. भवनों के नक्शे पास करते समय उसमें वर्षा जल संचयन को सुनिश्चित करने के निर्देश नगर पर्षद को दिये गये हैं.
जल संरक्षण के लिए चिह्नित होंगे स्थल : विभाग के निर्देश के अनुसार शहरों में पीने वाले जल की बर्बादी के स्थलों को चिह्नित कर रोकने के उपाय किये जाने हैं. वहीं खुले मैदानों, पार्कों आदि जहां बारिश का पानी बह जाता है, वहां पानी को रोकने के इंतजाम करने हैं.
नगर पर्षद शहर के सार्वजनिक कुओं की उड़ाही करायेगी और अतिक्रमण को दूर करेगी. कुएं की उड़ाही से पहले भूमिगत जल स्तर को ध्यान में रखना होगा, ताकि उड़ाही बेकार न जाये. सभी कार्यों के लिए राशि राज्य वित्त आयोग या नगर पर्षद के आंतरिक स्रोतों से उपलब्ध करायी जायेगी.

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