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सुकर्मा योग में होलिकादहन का है शुभ मुहूर्त

जहानाबाद : इस बार होलिकादहन गुरुवार को सुकर्मा योग में किया जायेगा. उसके बाद अगली सुबह से रंग खेला जायेगा. एक मार्च की सुबह होलिका का पूजन और रात में 12 बजे से पहले होलिकादहन का शुभ समय है. ज्योतिषाचार्य पं राजेश्वरी मिश्र के अनुसार, होलिका दहन के लिए भद्रा का विचार विशेष किया जाता […]

जहानाबाद : इस बार होलिकादहन गुरुवार को सुकर्मा योग में किया जायेगा. उसके बाद अगली सुबह से रंग खेला जायेगा. एक मार्च की सुबह होलिका का पूजन और रात में 12 बजे से पहले होलिकादहन का शुभ समय है. ज्योतिषाचार्य पं राजेश्वरी मिश्र के अनुसार, होलिका दहन के लिए भद्रा का विचार विशेष किया जाता है.

भद्रा रहित समय में होलिकादहन करना शुभ रहता है. चतुर्दशी तिथि, प्रतिपदा एवं सूर्यास्त से पहले भी होलिकादहन नहीं किया जाना चाहिए. इस बार भद्रा काल एक मार्च को सुबह 08:58 बजे से रात्रि 07:26 बजे तक है. इसलिए होलिकादहन शाम 07:26 बजे से रात 09:33 बजे तक प्रदोषकाल बेला एवं कन्या लग्न में श्रेष्ठ रहेगा. रात्रि 11:52 बजे तक सामान्य शुभ रहेगा. इसी प्रकार होलिकापूजन मुहुर्त प्रात: 10:31 बजे के बाद 12:24 बजे तक एवं 12:58 बजे तक करना श्रेष्ठ रहेगा.

क्यों होता है होलिकापूजन : होलिकादहन करने से पहले होली की पूजा की जाती है. पूजा करने वाले को होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ कर होलिका का पूजन करना चाहिए. पं अमित शास्त्री की मानें तो बड़गुल्ले की बनी हुईं चार मालाएं इनमें से एक पितरों के नाम की, दूसरी हनुमानजी के नाम की, तीसरी शीतला माता के नाम की तथा चौथी माला अपने घर-परिवार की होलिका को समर्पित कर कच्चे सूत को तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें, फिर लोटे का शुद्ध जल व अन्य पूजन की सभी वस्तुएं होली को समर्पित करें. गंध पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन करें.
पूजन के बाद जल से अर्घ्य दें तथा सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका में अग्नि प्रज्वलित करें. सार्वजनिक होली से अग्नि लाकर घर में बनायी गयी होली में अग्नि प्रज्वलित करें. होली की अग्नि में सेंक कर लाये गये धान्यों को खाएं, इसके खाने से निरोगी रहने की मान्यता है.
होलिकादहन शाम 07.26 से रात 09:33 बजे तक
पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन करना श्रेयस्कर
होली की राख से लाभ
किसी ग्रह की पीड़ा होने पर, होलिकादहन के समय देशी घी में भिंगो कर दो लौंग के जोड़े, एक बताशा और एक पान के पत्ते पर रखकर अर्पित करना चाहिए. अगले दिन होली की राख लाकर अपने शरीर पर तेल की तरह लगाकर एक घंटे बाद हल्के गर्म पानी से स्नान करना चाहिए.

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