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320 आंगनबाड़ी केंद्रों का अपना भवन नहीं

जहानाबाद (सदर) : जिले के अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन नियमित रूप से नहीं हो रहा है. किसी केंद्र से सेविका गायब रहती है, तो किसी केंद्र से सहायिका. सीडीपीओ व सुपरवाइजर द्वारा भले ही आंगनबाड़ी केंद्रों का सही से संचालन होने का बात कही जाती है, लेकिन सच्चाई इसके उलट है. डीएम द्वारा जब […]

जहानाबाद (सदर) : जिले के अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन नियमित रूप से नहीं हो रहा है. किसी केंद्र से सेविका गायब रहती है, तो किसी केंद्र से सहायिका. सीडीपीओ व सुपरवाइजर द्वारा भले ही आंगनबाड़ी केंद्रों का सही से संचालन होने का बात कही जाती है, लेकिन सच्चाई इसके उलट है. डीएम द्वारा जब भी जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच करायी गयी, तो अधिकतर केंद्रों से सेविका व सहायिका गायब मिलीं.

वहीं, अधिकतर केंद्रों पर पोषाहार वितरण में भी अनियमितता की शिकायत मिलती रही है. ज्ञात हो कि जहानाबाद जिले में 999 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिनमें 679 आंगनबाड़ी केंद्र ही सरकारी भवन में संचालित हो रहे हैं. 320 आंगनबाड़ी केंद्रों का अब तक अपना भवन नसीब नहीं हुआ है तथा किराये के भवन में चल रहे हैं. इससे प्रतिमाह सरकार का लाखों रुपये किराया के मद में खर्च हो रहा है. जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 999 है, जिनमें 997 सेविका व 929 सहायिका कार्यरत हैं. ऐसे में ऐसे में केंद्रों का बेहतर संचालन होने का प्रशासन का दावा खोखला साबित हो रहा है.

जिले में संचालित हो रहे 999 आंगनबाड़ी केंद्र
679 केंद्र ही चल रहे सरकारी भवन में
जमीन के अभाव में किराये के मकान में हो रहा संचालन
मैनेज कर सेविका चलाती है केंद्र
आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन सेविका-सहायिका मैनेज कर चलाती हैं. सरकार द्वारा सभी केंद्रों पर पोषाहार वितरण के लिए प्रतिमाह 16750 रुपया दिया जाता है. हालांकि अब यह राशि विकास समिति के पास आती है. सरकार भले ही पोषाहार वितरण मद में 16750 रुपये की राशि प्रतिमाह देती है, लेकिन यह सच है कि इतनी राशि का पोषाहार का वितरण आंगनबाड़ी केंद्रों पर नहीं हो रहा है. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक सहायिका ने बताया कि केंद्र चलाने के लिए मैनेज करना पड़ता है. सुपरवाइजर से लेकर सीडीपीओ कार्यालय तक मैनेज करना पड़ता है.
सभी आंगनबाड़ी केंद्रों की नियमित रूप से जांच की जाती है. पोषाहार वितरण पर विशेष नजर रखी जाती है तथा अधिकतर केंद्रों पर सुपरवाइजर की देखरेख में वितरण कराया जाता है. जिले में 999 केंद्रों में 320 का भवन नहीं है. इसके लिए राशि उपलब्ध है, लेकिन जमीन की समस्या बनी हुई है.
शैलेंद्र कुमार, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी

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