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जिला में मात्र 73 हजार हैं किसान

पंजीकृत. प्रयास के बावजूद नहीं बढ़ रही किसानों की संख्या खेती कार्य को लेकर प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से राज्य स्तर व केंद्र स्तर से अनुदान का प्रावधान के बावजूद भी जिला में किसानों की संख्या में वृद्धि नहीं हो पायी है. जमुई : जिला में किसानों की संख्या में वृद्धि नहीं हो पाया है. […]

पंजीकृत. प्रयास के बावजूद नहीं बढ़ रही किसानों की संख्या

खेती कार्य को लेकर प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से राज्य स्तर व केंद्र स्तर से अनुदान का प्रावधान के बावजूद भी जिला में किसानों की संख्या में वृद्धि नहीं हो पायी है.
जमुई : जिला में किसानों की संख्या में वृद्धि नहीं हो पाया है. इस बात का गवाह कृषि विभाग के पंजीकृत किसानों का आंकड़ा बना है. कृषि विभाग के आंकड़ा के अनुसार जिले की लगभग 19 लाख की आबादी में महज 73 हजार 295 ही पंजीकृत किसान हैं. जबकि वित्तीय वर्ष 2016-17 में 13 करोड़ 40 लाख 382 रूपया लक्ष्य के विरूद्ध 756 लाख 61 हजार 55 रूपया अनुदान के रूप में किसानों दिया गया. यह आकड़ा भी कृषि विभाग का ही है. पंजीयन संख्या के कसौटी पर प्रश्न उठना लाजिमी है कि अनुदान के बावजूद आखिर किसानों की संख्या क्यों नहीं बढ़ पा रहा है.
दरअसल इसके पीछे कृषि का व्यवसायीकरण नहीं हो पाना एक बड़ी वजह उभर कर सामने आई है. अपेक्षाकृत सर्वाधिक रोजगार देने के बावजूद कृषि क्षेत्र अब तक विस्तृत उद्योग का रूप नहीं ले सका है. फलत: उद्योग के लाभ-हानि की परिभाषा यहां जीवन-यापन और पेट भरने तक ही सीमित होकर रह गया है. लिहाजा लोगों का रूझान कृषि में कमतर होता गया. लोग खेती को अंतिम प्राथमिकता देते हैं. नतीजतन पंजीयन के प्रति उदासीन हैं. यद्यपि जिले में फसल चक्र में फसलों की संख्या में वृद्धि हुई है. धान, गेहूं के अलावे अब दलहन व तेलहन की भी खेती होती है. बावजूद इसके युवाओं की पसंद आधुनिक खेती नहीं हो पा रहा है.
सिंचाई की है मुख्य समस्या : जिले में फसल की उत्पादकता मौसम पर निर्भर करती है. सिंचाई की यहां सबसे बड़ी समस्या है. अच्छी व ससमय बारिश हुई तो फसल अच्छी होगी वरना भगवान ही मालिक. कहने को जिले में छह जलाशय है मगर इनके आहार की पहुंच सभी खेतों तक नहीं है. इसके अलावे उत्पादन के बाद मानक बाजार की कमी, बिचौलियों का प्रभाव आदि किसानों के मनोबल को नीचे करता है.
कहते हैं कृषि पदाधिकारी : जिला कृषि पदाधिकारी किरण किशोर बताते हैं कि खेती के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा है. फसल चक्र में फसलों की संख्या भी बढ़ी है. उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि आई है. पंजीकृत किसानों की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ रहे है.
60 हजार किसानों को फसल बीमा का लाभ
60 हजार किसान है बीमा धारक
सांख्यिकी विभाग के अनुसार जिले में 60 हजार किसान ही फसल बीमा धारक हैं. ज्यादा बीमा किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से होता है. इधर किसान सुरेश यादव, जितेंद्र यादव, सुशील यादव, बाल्मिकी सिंह, पप्पू सिंह सहित दर्जनों किसान बताते हैं कि खेती करें या बीमा के लिए परेशान रहे. बिना केसीसी धारक किसानों को बीमा कराने में बहुत परेशानी होती है. कुछ किसानों ने बताया कि जब उधार की पूंजी से खेती करते हैं तो बीमा के लिए पैसा कहां से लाएं.

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