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खाता खोला नहीं, घर आया डेबिट कार्ड

जमुई में 100 ग्रामीणों के पास पहंुचा डेबिट कार्ड, फर्जीवाड़े की आशंका सिकंदरा (जमुई) : बैंक में खाता खुलवाया ही नहीं और घर पर डेबिट कार्ड पहुंच गया. मामला जमुई जिले के सिकंदरा प्रखंड के अचंभो गांव का है. अब तक इस गांव के लगभग 100 लोगों के पास डेबिट कार्ड डाक के माध्यम से […]

जमुई में 100 ग्रामीणों के पास पहंुचा डेबिट कार्ड, फर्जीवाड़े की आशंका

सिकंदरा (जमुई) : बैंक में खाता खुलवाया ही नहीं और घर पर डेबिट कार्ड पहुंच गया. मामला जमुई जिले के सिकंदरा प्रखंड के अचंभो गांव का है. अब तक इस गांव के लगभग 100 लोगों के पास डेबिट कार्ड डाक के माध्यम से पहुंचा है. ये सभी डेबिट कार्ड सिझौड़ी गांव स्थित पंजाब नेशनल बैंक के हैं. इन लोगों का कहना है कि हमने बैंक में जब खाता खुलवाया ही नहीं, तो डेबिट कार्ड कैसे पहुंच गया? ऐसे में आशंका जतायी जा रही है कि नोटबंदी के बाद पुराने नोटों को खपाने के लिए तो ऐसा नहीं किया गया? हालांकि, पीएनबी की सिंझौड़ी शाखा प्रबंधक ने ऐसी किसी जानकारी
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से इनकार किया है. बगैर खाता खुलवाये ही अचानक डेबिट कार्ड मिलने से ग्रामीण भयभीत हैं. ग्रामीण बताते हैं कि इनमें से कुछ ऐसे लोगों के नाम से भी डेबिट कार्ड आये हैं, जो वर्षों से दूसरे राज्यों में रह रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि तीन दिन पहले गांव में डेबिट कार्ड आना शुरू हुआ और अब तक 100 से ज्यादा लोगों को डेबिट कार्ड मिल चुका है. ये लोग यह सोच कर आशंकित हैं कि कहीं किसी ने काला धन को ठिकाने लगाने के लिए कहीं उनके नामों से फर्जी खाते खोल कर उनका इस्तेमाल तो नहीं कर लिया है.
वहीं, पीएनबी के सिझौड़ी शाखा प्रबंधक केके सिंह ने इस बारे में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि अब खातों की जांच के बाद ही पता चल पायेगा कि बगैर जानकारी के इतने खाते कैसे और किसके द्वारा खोले गये.
नोटबंदी के बाद बिहार के कई बैंक खातों में जमा हुए हवाला के पैसे
पटना. नोटबंदी के बाद राज्य में 1784 सामान्य और 681 जनधन संदिग्ध बैंक खातों का पता चला है. सभी 681 संदिग्ध जनधन खातों में 11.88 करोड़ रुपये जमा हैं. फिलहाल सभी खातों को फ्रीज कर दिया गया है. बिहार और झारखंड के विभिन्न बैंकों में मौजूद इन दोनों तरह के खातों की आयकर विभाग बारीकी से स्कैनिंग कर रहा है. अब तक की जांच में इनमें 14 ऐसे खातों का पता चला है, जिनमें नक्सलियों और आतंकियों के पैसे जमा हुए हैं. फिलहाल ‘टेरर लिंक’ की जांच के लिए इसे इडी और सीबीआइ को ट्रांसफर कर दिया गया है. बिहार में नक्सली तो नहीं, लेकिन कई बैंक खातों में माफियाओं और हवाला के पैसे जमा होने के लिंक मिले हैं. हालांकि, अभी तक इन माफियाओं के नाम सामने नहीं आये हैं. सुरक्षा कारणों से जांच एजेंसियां इससे जुड़े किसी तथ्य का खुलासा नहीं कर रही हैं. आयकरविभाग ने हाल में गया और मुजफ्फरपुर में दो ऐसे बेनामी जनधन खातों को पकड़ा है, जिनमें बिना खातेदार की जानकारी के एक में करीब 20 करोड़ और दूसरे में करीब 15 करोड़ रुपये जमा किये गये थे. मुजफ्फरपुर के दो व्यापारी बंधु राजकुमार गोयनका और अशोक गोयनका ने अपनी ब्लैक मनी को सफेद करने के लिए अपने कर्मचारी को बिना बताये उनसे नाम से चार खाते खुलवा कर करीब 13 करोड़ों रुपये जमा कर दिये थे. जांच के दौरान पता चला कि इससे जुड़े कुछ अन्य बैंक खाते सीवान जिले में खोल कर वहां भी करीब दो करोड़ काला धन जमा किया है. इसी क्रम में आयकर की टीम ने सीवान में भी छापेमारी की और सभी खातों को जब्त कर लिया. इन तीनों मामलों में संबंधित स्थानीय थानों में एफआइआर दर्ज कर मामले की जांच चल रही है. इससे इतर अब तक यह बात सामने आयी है कि झारखंड के जमशेदपुर, रांची, चतरा समेत अन्य स्थानों पर करीब सात ऐसे बैंक खातों का पता चला है, जिनमें नक्सलियों के पैसे जमा होने के मामले की जांच चल रही है. फिलहाल इन खातों की जांच सीबीआइ और इडी संयुक्त रूप से कर रहे हैं. जांच पूरी होने के बाद ही यह स्पष्ट हो पायेगा कि खातों में किन नक्सली सरगना के पैसे जमा किये गये हैं. ये सभी खातें जनधन योजना के तहत खोले गये हैं. इसकी जांच के लिए स्थानीय पुलिस की भी मदद ली जा रही है. यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि इन खातों में नक्सली के कुछ बड़े नेताओं के रुपये जमा हैं. प्राप्त सूचना के अनुसार सभी सात खातों में नोटबंदी के बाद करीब तीन करोड़ रुपये जमा किये गये हैं.

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