नक्लग्रस्त जमुई जिले की चार सीटों पर 50 प्रत्याशी हैं. चुनाव प्रचार अंतिम चरण में है, लेकिन मतदाता अब तक खामोश हैं. बस, सबकी बात सुन रहे हैं. वोट की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे असली मुद्दे गौण हो रहे हैं. उसकी जगह जातीय समीकरण हावी होता दिख रहा है. वैसे चुनाव प्रचार के दौरान एनडीए नेताओं ने जहां विशेष पैकेज की चर्चा की, वहीं महागंठबंधन ने बिहार की हकमारी का सवाल उठाया है.
वर्ष 2010 के चुनाव में तीन सीटों- जमुई, झाझा व सिकंदरा पर जदयू व चकाई सीट पर झामुमो को जीत मिली थी. पिछली बार झामुमो के टिकट पर जीते सुमित कुमार सिंह जदयू में शामिल हो गये थे. इस बार निर्दलीय चुनाव ल रहे हैं. जमुई की चारों सीटों पर आमने-सामने के मुकाबले को निर्दलीय प्रत्याशियों ने दिलचस्प बना दिया है. यहां की हर सीट पर निर्दलीय अपनी दमदार मौजूदगी दिखा रहे हैं. वे किसी का समीकरण बिगाड़ रहे हैं, तो कहीं किसी को राहत भी दे रहे हैं. जमुई सीट से राजग गंठबंधन से भाजपा प्रत्याशी अजय प्रताप और महागंठबंधन से राजद प्रत्याशी विजय प्रकाश के बीच के मुकाबले को निर्दलीय प्रत्याशी धरमवीर भदौरिया व अनिल सिंह बहुकोणीय बनाने में जुटे हैं.
झाझा में भाजपा प्रत्याशी डॉ रवींद्र यादव तथा जदयू प्रत्याशी दामोदर रावत के बीच के मुकाबले में निर्दलीय विनोद यादव अपनी पैठ बनाने में जुटे हैं. सिकंदरा में लोजपा प्रत्याशी सुभाष चंद्र बोस उर्फ सुभाष पासवान और कांग्रेस प्रत्याशी सुधीर कुमार उर्फ बंटी चौधरी के अलावा भाकपा माले की गिरिजा चौधरी भी चुनाव प्रचार में लगी हैं. चकाई में निर्वतमान विधायक सुमित कुमार सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. यहां राजद प्रत्याशी सावित्री देवी व लोजपा प्रत्याशी विजय सिंह एक-दूसरे के वोट बैंक में सेंधमारी में लगे हैं.
यहां नक्सली पौलुस हेंब्रम की मां बसपा के टिकट पर मैदान में हैं. एनडीए से राजनाथ सिंह, रविशंकर प्रसाद, हेमा मालिनी, सुशील मोदी, जीतनराम मांझी, रामविलास पासवान, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा दौरा कर चुके हैं.
नौ अक्तूबर को चकाई में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आने वाले हैं. महागंठबंधन की ओर से नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, शरद यादव, जयप्रकाश नारायण यादव, अशोक चौधरी आदि ने सभाएं कीं हैं. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन व हेमंत सोरेन भी यहां चुनावी सभाएं कर चुके हैं. (रिपोर्ट – अजीत की)