सिकंदरा : आरटीआइ कार्यकर्ता वाल्मीकि यादव की हत्या को लेकर चर्चा की बाजार गर्म है. चर्चा है कि भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मियों को आरटीआइ से मांगी गयी सूचना के जाल में उलझा कर ब्लैकमेल करने की प्रवृत्ति में यह घटना घटी है.चर्चा है कि सूचना का अधिकार कानून का इस्तेमाल कर पंचायत की योजनाओं में हो रहे लूट का खुलासा करना व खुलासे के बाद लूट में संलिप्त लोगों से लाभ लेना वाल्मीकि यादव की आदत बन गयी थी. इस मामले में कई बार वाल्मीकि यादव को सफलता भी मिली लेकिन उस क्षणिक सफलता की कीमत आखिरकार उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ी.
वैसे कुछ लोगों का कहना है कि गड़बड़ी करने वाले ब्लैकमेलिंग की अफवाह को ऐसे ही उड़ाते रहते हैं. सूत्रों की मानें तो वाल्मीकि यादव आरटीआइ के जाल में उलझा कर बिछवे पंचायत के एक रोजगार सेवक से काफी मोटी रकम हथियाने में सफल रहा था. अंचल कार्यालय का एक पदाधिकारी भी उसके जाल में उलझ कर आर्थिक शोषण का शिकार हो चुका था. आरटीआइ को माध्यम बना कर जमुई की एक महिला चिकित्सक से भी वाल्मीकि यादव अच्छी खासी रकम ऐंठने में कामयाब रहा था. चर्चा तो इस बात की भी है कि उसने एक पदाधिकारी से एक पैसन प्रो मोटरसाइकिल भी वसूलने में सफलता हासिल की थी. इस तरह उसका लोभ दिनों दिन बढ़ता चला गया और आखिरकार उसका यह लोभ ही उसके जीवन पर ग्रहण लगा गया.