जमुई : शराबबंदी कानून लागू करने के साथ ही सदर अस्पताल जमुई में नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की गई. हाईटेक सुविधा व उपचार का उचित प्रबंधन के बावजूद नशेड़ियों ने केंद्र से काफी दूरी बना रखी है. जहां वर्ष 2016 में 65 नशेड़ी केंद्र पहुंचे वहीं साल 2017 में यह आंकड़ा केवल 34 पर ही सिमट कर रह गया. जबकि साल 2018 में 2 महीने गुजर जाने के बाद यह आंकड़ा अब तक शून्य पर ही सिमटा हुआ है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2016 से अब तक 99 व्यक्ति ही नशा मुक्ति केंद्र में पंजीकृत हो पाए. जिसमें से 2016 में शराब के चंगुल में बुरी तरह से फंसे 13 लोगों को समुचित इलाज हेतु केंद्र पर भर्ती किया गया.
जबकि शराब के नशे से आंशिक रूप से ग्रस्त 52 लोगों को इलाजकर छोड़ दिया गया. दरअसल अप्रैल 2016 में सुबे में पुर्ण शराबबंदी कानून लागू करने के साथ ही सदर अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की गई. साथ ही मानसिक रोग विशेषज्ञ के साथ पर्याप्त संख्या में टेक्नीशियन, अनुसेवक को कर्तव्य पर लगाया गया.
इसके अलावा मनोरंजन के लिए टीवीसहित अन्य तरह की व्यवस्था कराई गई. बावजूद समय के साथ नशा मुक्ति केंद्र का प्रभाव खत्म होता गया. आलम यह है कि केंद्र में वीरानगी छाई हुई है. आदतन नशेड़ी नशा मुक्ति केंद्र छोड़ जा रहे हैं जेल. नशा मुक्ति केंद्र की शुरुआत आदतन शराबी को नशे से दूर करने के लिए हुई थी. शराबबंदी के बावजूद लती शराबी का शराब के प्रति मोहभंग नहीं हुआ है. नतीजन शराब पीने के चक्कर में लोग पुलिस के गिरफ्त में आकर जेल जा रहे हैं. परंतु ऐसे लोगों को नशा मुक्ति केंद्र का रास्ता नहीं दिख रहा है. लोगों का यह भी मानना है कि लोग अपने लोक-लाज के भय से भी केंद्र से दूरी बनाए हुएहै. गांजा, भांग, बीड़ी, सिगरेट, खैनी आदि सेवन करने वाले नशेड़ी भी केंद्र पर पहुंचकर अपना इलाज करवा सकते हैं. परंतु बीते वर्ष इस प्रकार के भी10 लोग नहीं पहुंचे हैं. इस बाबत पूछे जाने पर डॉ नगीना पासवान ने कहा कि नशा मुक्ति केंद्र हर समय उपचार के लिए खुला रहता है. चिकित्सक भी मौजूद हैं .परंतु धीरे-धीरे नशा सेवन करने वाले लोग यहां कम पहुंच रहे हैं. लेकिन मेरी अपील है कि जो व्यक्ति नशे की चपेट में हैं वह नशा मुक्ति केंद्र पहुंचे. उन्हें बेहतर वातावरण में समुचित इलाज किया जायेगा.