जमुई : राज्य सरकार द्वारा जिले में गौ-पालन को बढ़ावा देने के लिए समग्र गव्य विकास योजना और डेयरी उद्यमिता विकास योजना चलायी जा रही है. इन योजनाओं के द्वारा गव्य विकास विभाग की ओर से क्षेत्र में गोपालन के साथ साथ लोगों को स्वरोजगार देने का प्रयास भी किया जा रहा है. लेकिन कुछ […]
जमुई : राज्य सरकार द्वारा जिले में गौ-पालन को बढ़ावा देने के लिए समग्र गव्य विकास योजना और डेयरी उद्यमिता विकास योजना चलायी जा रही है. इन योजनाओं के द्वारा गव्य विकास विभाग की ओर से क्षेत्र में गोपालन के साथ साथ लोगों को स्वरोजगार देने का प्रयास भी किया जा रहा है.
लेकिन कुछ बैंकों की लापरवाह कार्यशैली के कारण सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना पर ग्रहण लगता दिख रहा है.
गव्य कार्यालय कर्मियों की माने तो जिले के कार्यरत बैंकों के लापरवाह रवैये के कारण गौ-पालन के लिए बैंकों को भेजा गया अधिकांश परियोजना प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हो पाता है. बैंक द्वारा परियोजना प्रस्ताव में ग्राहकों के साथ सही तरीके से नहीं पेश आने के कारण कई आवेदक को बीच में ही इन योजनाओं में रुचि लेना बंद कर देते हैं.
कई बार तो बैंक प्रबंधन द्वारा जानबूझ कर भी प्रस्ताव को स्वीकृति देने में कई प्रकार की बहानेबाजी भी की जाती है. वित्तीय वर्ष 2016-17 में विभिन्न बैंक को साक्षात्कार के पश्चात कुल 310 परियोजना प्रस्ताव भेजा गया था. लेकिन बैंक द्वारा मात्र 132 परियोजना प्रस्ताव को ही स्वीकृति प्रदान किया गया. बैंक का यह रवैया काफी उदासीनता है.
समग्र गव्य विकास योजना के तहत कितना मिलता है अनुदान
समग्र गव्य विकास योजना के तहत राज्य सरकार के द्वारा दो गौ-पालन के लिए कुल 1 लाख 6 हजार रुपया प्रदान किया जाता है. जिसमें से सामान्य कोटि के लोगों को 50 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को 66.6 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है. वहीं चार गौ-पालन के लिए 2 लाख 40 हजार रुपया दिया जाता है. इस वर्ष से सरकार द्वारा डेयरी उद्योग को बढावा देने के लिए डेयरी उद्यमिता विकास योजना की शुरुआत की गयी है. जिसमें भी 50 प्रतिशत अनुदान सामान्य कोटि और 66.6 प्रतिशत अनुदान अन्य कोटि के लोगों को दिया जाता है.
सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर लगा ग्रहण
गव्य विकास कार्यालय द्वारा वित्तीय वर्ष 2016-17 में बैंक को भेजा गया 310 प्रस्ताव
पूरे वर्ष में स्वीकृत हुआ मात्र 132 प्रस्ताव
समग्र गव्य विकास योजना के तहत सामान्य वर्ग के लोगों को 50 प्रतिशत और अन्य वर्ग के लोगों को 66.6 प्रतिशत मिलता है अनुदान
कहते हैं गव्य विकास पदाधिकारी
गव्य विकास पदाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि कम परियोजना प्रस्ताव स्वीकृत होने के पीछे बैंक का उदासीनता भरा रवैया भी है. इसकी वजह से कई लोगों को ससमय सही सही लाभ नहीं मिल पाता है.