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खटाई में 1.3 अरब की परियोजना
गोपालगंज : थावे में रेलवे की अति महत्वाकांक्षी परियोजना अधर में है. इस परियोजना के अधर में होने से रेल यातायात भविष्य में प्रभावित होगा. इसको लेकर इलाके के लोग अब मोदी सरकार से उम्मीद लगाये हैं कि इस बाइपास रेल लाइन को शुरू किया जा सकता है. बता दें कि पूर्वोत्तर रेलवे के थावे-छपरा […]
गोपालगंज : थावे में रेलवे की अति महत्वाकांक्षी परियोजना अधर में है. इस परियोजना के अधर में होने से रेल यातायात भविष्य में प्रभावित होगा. इसको लेकर इलाके के लोग अब मोदी सरकार से उम्मीद लगाये हैं कि इस बाइपास रेल लाइन को शुरू किया जा सकता है. बता दें कि पूर्वोत्तर रेलवे के थावे-छपरा रेल खंड से थावे-कप्तानगंज रेलखंड को सीधे जोड़ने के लिए तत्कालीन पीएम पीवी नरसिंह राव की सरकार ने 1993 में बाइपास रेल लाइन बिछाने का निर्णय लिया.
तेजी से भूमि अधिग्रहण भेड़िया और आस-पास के गांवों में हुआ. 1.3 अरब की परियोजना थी. मिट्टी भर कर रेल लाइन बिछाने का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा था. जानकार बताते हैं कि रेल लाइन बिछा दी गयी. पुल आदि भी बना लिये गये. इस बीच सरकार के बदलने के बाद वीपी सिंह की सरकार में बिछायी गयी रेल पटरी को उखाड़ लिया गया. तब से यह परियोजना पूरी तरह से उलझ कर रह गयी है.
रेल परियोजना का क्या था उद्देश्य : असम से दिल्ली रेल सेवा को सीधे जोड़ने के लिए थावे में कप्तानगंज रेल खंड से सुंदरपट्टी और भेड़िया गांव के पास थावे छपरा रेल खंड पर बाइपास परियोजना की मंजूरी रेल मंत्रालय ने दी थी. इस परियोजना से गोरखपुर से बिना यात्री ट्रेनों को प्रभावित किये माल ढोने के लिए मालगाड़ी को कम समय में इस रूट से डायवर्ट कर समय पर डिलेवर करना था. इस बाइपास रूट से दिल्ली से माल लेकर असम या बिहार के कई इलाकों में आसानी से पहुंचा जा सकता था.
प्रस्तावित रेल लाइन पर विभाग की चुप्पी : थावे में दो रेलखंडों को सीधे जोड़ने की प्रस्तावित रेल लाइन पर विभाग चुप्पी साधे हुए है. रेल सूत्रों का कहना है कि यह रेल लाइन थावे रेलवे स्टेशन और इस रूट के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. थावे में यात्री ट्रेनों को बिना डिस्टर्ब किये माल गाड़ी को समय से मंजिल तक पहुंचाया जा सकता है.
इतना ही नहीं रेक प्वाइंट बनने से रोजगार के संसाधन बढ़ते. गिट्टी, छड़, सीमेंट से लेकर खाद्य सामग्री के रेक थावे पहुंचने से महंगाई पर भी नियंत्रण होता. इसके प्रति विभाग पूरी तरह से खामोश है. खामोश तो जिले के सांसद और विधायक भी हैं.
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