!!राजेश पांडेय!!
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मिसाल! मंदिर को जमीन दान करेगा मुसलिम परिवार
!!राजेश पांडेय!! कुचायकोट : जहां बात-बात में अापसी सौहार्द पर चोट पहुंचाने की साजिश रची जा रही है, मंदिर और मसजिद को लेकर तनाव पैदा किया जा रहा है, वहीं कुचायकोट प्रखंड के बथनाकुटी में ऐतिहासिक मंदिर के लिए एक मुसलिम परिवार ने अपनी कीमती जमीन दान देने का निर्णय लिया है. मुसलिम परिवार से […]
कुचायकोट : जहां बात-बात में अापसी सौहार्द पर चोट पहुंचाने की साजिश रची जा रही है, मंदिर और मसजिद को लेकर तनाव पैदा किया जा रहा है, वहीं कुचायकोट प्रखंड के बथनाकुटी में ऐतिहासिक मंदिर के लिए एक मुसलिम परिवार ने अपनी कीमती जमीन दान देने का निर्णय लिया है.
मुसलिम परिवार से मिली जमीन पर मंदिर का मुख्य गेट बनाया जायेगा. इसके लिए जमीन की रजिस्ट्री शुक्रवार यानी जुम्मे के दिन होगी. यह सब कुचायकोट के जदयू विधायक अमरेंद्र कुमार उर्फ पप्पू पांडेय की पहल पर हुआ है. यूपी बाॅर्डर पर बथना कुट्टी के ऐतिहासिक मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य संत शिरोमणि विसंभर दास जी के नेतृत्व में चल रहा है. मंदिर का गेट एनएच 28 की तरफ बनाने की योजना थी.
जहां गेट बनाना था, वहां की 2.9 कट्ठा जमीन हाल ही में गोपालपुर थाने के अहिरौली दुबौली टोला तकिया के रहनेवाले तबारक देवान के पुत्र मनु देवान ने 12 लाख रुपये में कारोबार के लिए लिखायी थी. यह जमीन नहीं मिलने से मंदिर का गेट बन पाना मुश्किल हो गया था.
कुछ लोग यहां भी माहौल को बिगाड़ने के फिराक में पड़ गये. जब विधायक पप्पू पांडेय को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने मनु देवान और उनके परिजनों से बात की. बाद में संत विसंभर दास से विधायक और मनु देवान के बीच घंटों बात होने के बाद इस मुसलिम परिवार ने अपनी जमीन मंदिर के लिए दान में देने का निर्णय लिया. मनु देवान का मानना है कि धर्म कोई भी हो सब एक है. अल्लाह की राह में यह दान महत्वपूर्ण है. मुझे इस बात की खुशी है कि हम जिस पर कारोबार करना चाहते थे, अल्लाह की फजल से उनके ही काम आ गये. यहां मंदिर में लोग पूजा करें और मेरी इस जमीन से गुजर कर जाये तो इससे बेहतर और क्या होगा.
अलीराजा मियां ने भी दान कर दी जमीन : बथना मंदिर के लिए यूपी के कुशीनगर जिले के रामैना गांव के रहनेवाले अलीराजा मियां ने भी अपनी 12 धूर जमीन दान कर दी. विधायक और स्थानीय प्रबुद्ध लोगों की पहल से अलीराजा मियां ने संत विसंभर दास के साथ रजिस्ट्री कचहरी पहुंच कर अपनी जमीन को दान किया. संत विसंभर दास की मानें, तो यहां हिंदू से अधिक श्रद्धा मुसलिमों में है.
बथना संस्कृत हाइस्कूल में वेद पढ़ते हैं मुसलिम बच्चे : मंदिर के कैंपस में ही संस्कृत हाइस्कूल है, जहां हिंदू से अधिक मुसलिम बच्चे वेद, शास्त्र की पढ़ाई करते हैं. यहां से प्रतिवर्ष सैकड़ों मुसलिम बच्चे मध्यमा तक की पढ़ाई कर रहे हैं.अब मंदिर का भव्य स्वरूप देने में मुसलिम परिवारों के योगदान ने समाज को एक नयी दिशा देने का काम किया है.
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