गड़बड़. मांझा पंचायत के शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा
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चयनमुक्त शिक्षकों को भुगतान दे रहा विभाग
गड़बड़. मांझा पंचायत के शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा. करप्शन के खेल में पंचायत से लेकर शिक्षा विभाग तक शामिल है. फर्जीवाड़ा में शामिल शिक्षकों को बरखास्त करने के बाद भी विभाग से भुगतान निरंतर जारी है. गोपालगंज : शिक्षा विभाग में शायद सब कुछ संभव […]
शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा. करप्शन के खेल में पंचायत से लेकर शिक्षा विभाग तक शामिल है. फर्जीवाड़ा में शामिल शिक्षकों को बरखास्त करने के बाद भी विभाग से भुगतान निरंतर जारी है.
गोपालगंज : शिक्षा विभाग में शायद सब कुछ संभव है. जिस शिक्षकों को नियोजन इकाई ने बरखास्त कर दिया. वह शिक्षक आज भी स्कूल में पढ़ाने का दावा कर भुगतान उठा रहे हैं. इसकी जानकारी होने के बाद विभाग की तरफ से नियोजन इकाई से स्पष्टीकरण तलब किया गया. और रिकॉर्ड को फाइलों में दबा दिया गया. फाइलों में दबाने के पीछे का कारण आप समझ सकते हैं.
यह पूरा वाकया है मांझा पूर्वी पंचायत का. जहां के पंचायत नियोजन इकाई ने 14 जून 2012 को नवसृजित प्राथमिक विद्यालय शेखटोली में कार्यरत शिक्षिका इशरत जहां तथा नवसृजित प्राथमिक विद्यालय लंगटूहाता के शिक्षिका शबाना प्रवीन का रोस्टर बिंदु 4136 अति पिछड़ा वर्ग उर्दू महिला के स्थान पर इशरत जहां व 4138 पिछड़ा वर्ग उर्दू महिला के स्थान पर सामान्य महिला शबाना प्रवीन को नियुक्त पाते हुए नियोजन को रद्द कर दिया.
नियोजन इकाई की बैठक में यह निर्णय लिया गया. इसकी जानकारी बीइओ, डीइओ और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भेज दिया. आज भी दोनों शिक्षकों का वेतन का भुगतान विभाग कर रहा है. इस बीच मामला डीपीओ स्थापना सह निगरानी कोषांग के नोडल पदाधिकारी के पास पहुंचा. डीपीओ ने अपने 19 नवंबर 16 से दोनों शिक्षकों के वेतन भुगतान किये जाने पर आपत्ति जताते हुए पंचायत सचिव से स्पष्टीकरण तलब किया था. पंचायत सचिव से दो दिनों के भीतर जवाब मांगा गया था जो आज तक विभाग को उपलब्ध नहीं हुआ.
… और नाबालिग का कर लिया चयन : मांझा पूर्वी पंचायत में एक और कारनामा हैरतअंगेज है. जिसमें अपीलीय प्राधिकार की भूमिका भी संदेह के कटघरे में है. नवसृजित प्राथमिक विद्यालय शेखटोली में अपीलीय प्राधिकार के आलोक में पूनम कुमारी शिक्षिका का नियोजन एक अगस्त 2012 को कराया गया. चौंकाने वाली बात यह है कि पूनम कुमारी एक जनवरी 2006 को शिक्षक बनने की आहर्ता उम्र पूरा नहीं कर पा रही थी. महज 17 वर्ष आठ माह की उम्र में उसे शिक्षक के रूप में चयन किया गया.
न तो उसके उम्र पर नियोजन इकाई ने ध्यान दिया न ही अपीलीय प्राधिकार ने.
निगरानी के पदाधिकारी ने किया था जवाब तलब
इशरत जहां मामले में प्राधिकार का आया फैसला
नियोजन इकाई के तरफ से सेवा मुक्त किये जाने के बाद अपीलीय प्राधिकार ने इशरत जहां ने अपील किया. जिसमें प्राधिकार के सदस्य अदयाशरण चौधरी की पीठ ने 22 अक्तूबर 2014 को नियोजन इकाई को 14 फरवरी 2011 से जोड़कर भुगतान देने का आदेश दिया. इशरत जहां सामान्य कोटी के लिए अपना आवेदन दिया था.
बाद में छेड़छाड़ का मामला सामने आया था.
क्या कहते हैं डीपीओ
पंचायत सचिव से भुगतान किये जाने के मामले में जवाब तलब किया गया है. अब तक किसी तरह का जवाब नहीं मिला है. इस मामले ने निगरानी कोषांग की तरफ से कार्रवाई चल रही है. भुगतान करने वाली नियोजन इकाई पर कार्रवाई हो सकती है.
संजय कुमार, डीपीओ स्थापना, गोपालगंज
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