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भागर जलाशय मछुआरों से गुलजार

गोपालगंज : सारण का प्रसिद्ध भागर जलाशय एक बार फिर गुलजार हो गया. पारंपरिक पूजा-अर्चना के बाद भागर जलाशय में मछली मारने का काम शुरू हो गया. गौरतलब है कि जुलाई से भागर जलाशय में मछली मारने पर मत्स्य विभाग द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया था. यह प्रतिबंध 30 अक्तूबर तक था. इधर नोटबंदी के […]

गोपालगंज : सारण का प्रसिद्ध भागर जलाशय एक बार फिर गुलजार हो गया. पारंपरिक पूजा-अर्चना के बाद भागर जलाशय में मछली मारने का काम शुरू हो गया. गौरतलब है कि जुलाई से भागर जलाशय में मछली मारने पर मत्स्य विभाग द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया था. यह प्रतिबंध 30 अक्तूबर तक था. इधर नोटबंदी के कारण मछुआरे मछली मारने का काम शुरू नहीं कर पाये. गौरतलब है कि भागर जलाशय सारण में प्रसिद्ध मछली उत्पादक केंद्र है,

जहां से उत्तम किस्म की मछलियों के साथ एल्गी घास की भी बड़े पैमाने पर उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों में सप्लाइ की जाती है. लगभग 50 एकड़ में फैले इस जलाशय से दो सौ से अधिक मछुआरों का परिवार अपनी रोजी-रोटी चलाता है. पांच माह बाद एक बार फिर भागर जलाशय की रौनक लौट आयी है. पहले दिन 20 क्विंटल से अधिक मछलियां मारी गयीं, जिसमें 150 से अधिक मछुआरे लगे रहे. जलाशय स्थित सारण तटबंध पर खरीदारों के साथ मछुआरों की भीड़ उमड़ी रही.

एक नजर में जलाशय
क्षेत्रफल – 50 वर्ग एकड़
प्रतिवर्ष मछली से आय – 45 लाख
एल्गी घास से आय – 10 से 15 लाख
जलाशय से रोजगार – 200 परिवार
अप्रत्यक्ष रोजगार – 100 व्यक्ति प्रतिदिन

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