हाइकोर्ट के आदेश पर आरडीडीइ ने की थी जांच
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बरौली नेशनल कॉलेज में अनुदान राशि की बंदरबांट
हाइकोर्ट के आदेश पर आरडीडीइ ने की थी जांच गोपालगंज : बरौली नेशनल कॉलेज में शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मियों की अनुदान राशि के वितरण में बंदरबांट का मामला सामने आया है. जांच रिपोर्ट शिक्षा विभाग को भेज दी गयी है. जांच प्रक्रिया और कार्रवाई को लेकर बैकुंठपुर के पूर्व विधायक मंजीत सिंह ने सवाल उठाते […]
गोपालगंज : बरौली नेशनल कॉलेज में शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मियों की अनुदान राशि के वितरण में बंदरबांट का मामला सामने आया है. जांच रिपोर्ट शिक्षा विभाग को भेज दी गयी है. जांच प्रक्रिया और कार्रवाई को लेकर बैकुंठपुर के पूर्व विधायक मंजीत सिंह ने सवाल उठाते हुए पूरे मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग सरकार से की है.
प्रभात खबर को उपलब्ध कराये गये साक्ष्य में सारण प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक रामायण राम के द्वारा की गयी जांच के बाद निदेशक माध्यमिक शिक्षा को सौंपी गयी रिपोर्ट में कई सनसनीखेज खुलासे हुए थे. दरअसल नेशनल कॉलेज में कार्यरत अर्थशास्त्र के व्याख्याता हरेंद्र मिश्र ने पटना हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की. कोर्ट ने विभाग को निर्देश दिया कि जांच कर कार्रवाई करें. हाइकोर्ट के आदेश पर जांच शुरू हुई, जिसमें न सिर्फ अनुदान में धांधली सामने आयी, बल्कि नियुक्ति में भी फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ.
महज 15 वर्षों में बन गये अकाउंटेंट : नेशनल कॉलेज के कारनामे को उजागर करते हुए आरडीडीइ ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि महाविद्यालय के लेखापाल की जन्मतिथि तीन जनवरी, 1974 है. नियुक्ति के समय 15 वर्ष तीन माह तीन दिनों में लेखापाल बना दिया गया. उसी तरह आदेशपाल मालती देवी को 37 वर्ष एक माह 18 दिन, कांती देवी को 47 वर्ष एक माह में नियुक्त किया गया, जबकि अमर कुमार सिंह पुस्तकालयाध्यक्ष की नियुक्ति नियमानुकूल नहीं पायी गयी.
क्या कहते हैं प्राचार्य
जिस जांच को पूर्व विधायक ने उठाया गया है यह एक वर्ष पुराना है. वर्ष 2011-12 के अनुदान में आरोप लगा था, जिसमें आरडीडीइ के द्वारा कॉलेज से मोटी रकम की मांग की गयी थी. नहीं देने पर उनके द्वारा बेबुनियाद आरोप लगाया गया. इसकी जानकारी माध्यमिक शिक्षा निदेशक आरबी चौधरी को देने के बाद महाविद्यालय को क्लीन चिट दिया जा चुका है.
फुलबदन राव, प्राचार्य
क्या कहते हैं पूर्व विधायक
आरडीडीइ की जांच रिपोर्ट ने नेशनल कॉलेज में घोटाले की पोल खोल दी है. शिक्षा विभाग को तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन विभाग को मैनेज पर जांच रिपोर्ट की फाइल को दबा दिया गया है. मैंने विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिख कर इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
मंजीत सिंह, पूर्व विधायक
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