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11 साल पहले भी खजूरबानी में पड़ा था छापा

गोपालगंज : खजूरबानी में 11 साल पहले अप्रैल, 2005 में उत्पाद विभाग की टीम ने डीएम रहे केके पाठक के आदेश पर छापेमारी की थी. इसमें नगीना चौधरी के घर से शराब बरामद हुई थी. केके पाठक जब तक डीएम रहे तब तक कारोबार को रोका गया था. पुन: यह कारोबार शुरू हो गया. तब […]

गोपालगंज : खजूरबानी में 11 साल पहले अप्रैल, 2005 में उत्पाद विभाग की टीम ने डीएम रहे केके पाठक के आदेश पर छापेमारी की थी. इसमें नगीना चौधरी के घर से शराब बरामद हुई थी. केके पाठक जब तक डीएम रहे तब तक कारोबार को रोका गया था. पुन: यह कारोबार शुरू हो गया. तब से अनवरत जारी रहा.

नगीना पासी शराब के कारोबार में जेल भी जा चुका है. उसने जेल से बाहर आने के बाद उत्पाद विभाग और पुलिस को मैनेज पर अपने नेटवर्क को मजबूत कर लिया. उसके बाद आज तक खजूरबानी में छापेमारी नहीं हुई थी. पूर्ण शराबबंदी के बाद पुलिस की टीम रेलवे लाइन और चिराईघर के समीप घात लगा कर बैठती थी. जैसे ही शराब पीकर लोग निकलते थे, उन्हें हिरासत में ले लिया जाता था. थाना तक लाने के पहले मैनेज कर छोड़ दिया जाता था.
पुलिस को यहां के कारोबार की जानकारी थी. आस पड़ोस के लोगों ने पहले दिन ही मिडिया के सामने स्पष्ट कर दिया कि यहां शराब पुलिस वाले भी आकर पीते थे. सवाल यह है कि वह कौन पुलिस वाले थे जो खजूरबानी मंे बैठ कर शराब पीते थे. पुलिस के लिए यह अब भी चुनौती बना हुआ है.

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