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घरों में अब भी फंसे हैं लोग

गोपालगंज : गंडक नदी की चपेट में जिले के पांच प्रखंडों के 60 गांव हैं. बाढ़ से घिरे लोगों की हालत बिगड़ रही है. नाव के अभाव में लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. छत-छपर और मचान इनका सहारा है. हर रोज पशुओं की मौत हो रही है. बच्चे भूख से तड़प […]

गोपालगंज : गंडक नदी की चपेट में जिले के पांच प्रखंडों के 60 गांव हैं. बाढ़ से घिरे लोगों की हालत बिगड़ रही है. नाव के अभाव में लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. छत-छपर और मचान इनका सहारा है. हर रोज पशुओं की मौत हो रही है. बच्चे भूख से तड़प रहे हैं. नदी का पानी घटने का नाम नहीं ले रहा है. स्थिति भयावह होती जा रही है. पीड़ित भूख और प्यास से तड़प रहे हैं.
राहत सामग्री इन तक नहीं पहुंच पा रही है. वरीय अधिकारियों की तमाम सख्ती के बाद भी बचाव कार्य में लापरवाही बरती जा रही है. नतीजा यह है कि एक नाव मिलने पर अधिक से अधिक लोग पहले बाहर निकलना चाहते हैं. कुचायकोट प्रखंड के पीड़ितों को आज भी पॉलीथिन नहीं दिया गया. लोग खुले आसमान में शरण लिये हुए हैं. स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिपाया के पॉलिटेक्निक कॉलेज भी डूब चुका है. लोगों की जान आफत में पड़ी है.
सासामुसा. कुचायकोट प्रखंड के भोजछापर और सिपाया में बाढ़पीड़ितों की जान बचाने के लिए लंगर की शुरुआत की गयी है. दोनों समय पांच-पांच हजार से अधिक लोगों को भोजन कराया गया. भोजछापर में शुक्रवार से भाजपा के युवा नेता दीपक द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता मंजीत त्रिपाठी ने स्थानीय लोगों के सहयोग से भंडारा की शुरुआत करायी.
इस बीच भोजछापर स्कूल के कैंपस में चलाये जा रहे इस लंगर को जिला प्रशासन ने अपना बता कर वरीय अधिकारियों को गुमराह कर दिया. मामला जब खुल कर सामने आया तो अंचल पदाधिकारी अमित रंजन पहुंच कर लंगर हटाने पर अड़ गये. प्रशासन की तरफ से आज यहां भोजन की व्यवस्था की शुरुआत की गयी. उधर, सिपाया में सासामुसा के प्रमुख लकड़ी व्यवसायी धूपदेव प्रसाद के नेतृत्व में लंगर की व्यवस्था की गयी. इसमें सोनू कुमार और चंदन कुमार की भूमिका महत्वपूर्ण है.

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