अस्पताल में हंगामा . लावारिस शव को लेकर स्वास्थ्य विभाग और पुलिस आमने-सामने
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फूटा मरीजों का गुस्सा, सीएस का घेराव
अस्पताल में हंगामा . लावारिस शव को लेकर स्वास्थ्य विभाग और पुलिस आमने-सामने सदर अस्पताल में लावारिस शव को हटाने में पुलिस को तीन दिन लग गये. स्वास्थ्य विभाग और पुलिस का दो दिनों तक आमना-सामना होता रहा. तीसरे दिन मरीजों ने हंगामा शुरू कर दिया. सिविल सर्जन के कार्यालय पर पहुंच कर अधिकारियों ने […]
सदर अस्पताल में लावारिस शव को हटाने में पुलिस को तीन दिन लग गये. स्वास्थ्य विभाग और पुलिस का दो दिनों तक आमना-सामना होता रहा. तीसरे दिन मरीजों ने हंगामा शुरू कर दिया. सिविल सर्जन के कार्यालय पर पहुंच कर अधिकारियों ने उनका घेराव किया. स्थिति बिगड़ते देख डीएम को हस्तक्षेप करना पड़ा. अंतत: डीएम के हस्तक्षेप पर लावारिस शव को पुलिस ने प्रक्रिया पूरी कर दफनाया.
गोपालगंज : सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में तीन दिनों से लावारिस शव पड़ा था. उससे निकल रही दुर्गंध मरीजों को बीमार बना रही थी. संक्रमण रोग फैलने की आशंका जता रही थी. मानवीय संवेदनहीनता वाली भयावह दृश्य बुधवार की दोपहर तक रहा. भरती मरीज के परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से शव हटाने के लिए कई बार गुहार लगायी, लेकिन अस्पताल प्रशासन पुलिस की जिम्मेवारी बता शव हटाने से पल्ला झाड़ता रहा.
मरीजों के वार्ड से शव नहीं हटाये जाने पर नाराज परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया. सिविल कार्यालय पर पहुंच कर सीएस समेत अन्य अधिकारियों का घेराव किया गया. घंटों हंगामा किये जाने के बाद सिविल सर्जन ने मामले की जानकारी डीएम को दी. डीएम ने पुलिस को तत्काल इमरजेंसी वार्ड से शव हटाने का निर्देश दिया.
तीन दिनों से स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के बीच हुए विवाद को लेकर शव नहीं हटाया जा रहा था. इसके पहले भी लावारिस शव इमरजेंसी वार्ड में तीन-तीन दिनों तक रखा गया था, जिससे मरीज इलाज कराये बिना ही अस्पताल से लौट जाते थे.
कोई संस्थान भी नहीं आया आगे
लावारिस शव का अंतिम संस्कार कराने के लिए शहर में एनजीओ संचालित है. अस्पताल में लावारिस शव का अंतिम संस्कार कराने के लिए पुलिस से प्रक्रिया पूरी होने के बाद कराया जाता है. अस्पताल में तैनात पुलिस अधिकारी ने कहा कि अंतिम संस्कार कराने के लिए सूचना देने पर एनजीओ भी आगे नहीं आया.
इमरजेंसी वार्ड में होता है पोस्टमार्टम
रात में किसी भी शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड का इस्तेमाल करता है. रात में पोस्टमार्टम होने के बाद सफाई सुबह के दस बजे के बाद करायी जाती है, जिससे भरती मरीजों में संक्रमण जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है.
मरने के लिए छोड़ जाते हैं अपने
सदर अस्पताल में लावारिस मरीज को अपने ही परिवार के सदस्य लाकर छोड़ जाते हैं. इलाज के दौरान मरीजों की मौत होने पर शव लेने के लिए परिजन नहीं आते हैं.
पुलिस द्वारा सूचना देने पर शव को पहचानने से भी इनकार कर दिया जाता है. इसलिए 72 घंटे तक अस्पताल में शव पड़ा रहता है.
सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में तीन दिनों से पड़ा था लावारिस शव
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